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छत्तीसगढ़: कांग्रेस की भारी बहुमत वाली सरकार में शुरू हुई तकरार, दिल्ली में बैठक

Chhattisgarh Congress में जारी तनाव को लेकर अब दिल्ली पहुंच रहे हैं दोनों सीनियर नेता

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पंजाब के बाद अब कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ में भी मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं. यहां भी कांग्रेस के दो नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ी है, जो सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जाती है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच तनाव को देखते हुए अब दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है. बताया गया है कि दिल्ली में दोनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. जिसके बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी इस घमासान को लेकर कोई अंतिम फैसला हो सकता है.

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ढाई साल वाले फॉर्मूले के तहत तकरार

दरअसल बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान कांग्रेस में एक फॉर्मूला तय हुआ था. जिसके तहत ढाई साल तक भूपेश बघेल मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे और उसके बाद अगले ढाई साल टीएस सिंह देव को इस पर बैठने का मौका मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अब तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की कुर्सी बघेल के पास है. जिसके चलते टीएस सिंह देव लगातार नराज चल रहे हैं.

इस बात को लेकर बघेल या फिर टीएस देव के बीच खुलकर तो नहीं, लेकिन अपने समर्थक विधायकों और नेताओं के जरिए तकरार जारी है. विधायक लगातार अपने नेता के पक्ष में बोलते हुए अपनी ही पार्टी के दूसरे नेता पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. इस घमासान के बीच जब बात दिल्ली तक पहुंची तो पार्टी ने अब दोनों नेताओं को बुलाया है.
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भारी बहुमत के साथ सरकार, फिर भी तकरार?

अब छत्तीसगढ़ का ये घमासान कांग्रेस के लिए पंजाब से बड़ा झटका इसलिए साबित हो सकता है, क्योंकि पार्टी ने यहां दो तिहाई से ज्यादा बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. अब इतने बड़े बहुमत से जीतने और सरकार बनाने के बावजूद राज्य में अस्थिरता नजर आ रही है. जो कांग्रेस के लिए कहीं न कहीं आने वाले चुनावों में नुकसानदायक हो सकती है. वैसे ही पार्टी को अलग-अलग राज्यों में हाशिए पर जाना पड़ रहा है, अब पंजाब और छत्तीसगढ़ में जारी इस फूट के चलते कांग्रेस कोई नुकसान नहीं उठाना चाहती. इसीलिए सीधे पार्टी हाईकमान मामले को देख रहा है.

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बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात के बाद इस मामले पर कोई अंतिम फैसला हो सकता है. क्योंकि भूपेश बघेल कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल हैं और गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं. ऐसे में पलड़ा उनका ही भारी नजर आ रहा है. लेकिन टीएस सिंह देव की नाराजगी भी पार्टी को मंजूर नहीं होगी. इसीलिए पंजाब की तरह कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कांग्रेस करने वाली है.

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