इंडियन मुस्लिम लीग के बाद अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने इस अधिनियम की वैधता को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि यह संविधान के अंतर्गत निहित मूलभूत अधिकारों पर हमला है. याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम अवैध अप्रवासियों के जांच के स्थान पर इसे बढ़ावा देता है और यह राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से जुड़ा हुआ है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक,
“इस अधिनियम में लाखों लोगों को बाहर करने के मुद्दे को मानवीय और तार्किक आधार पर सुलझाने का प्रयास भी नहीं किया गया और इस बारे में भी पता नहीं है कि उन्हें घर कहां देना है, उन्हें प्रत्यर्पित कहां करना है और उनके मामले को कैसे संभालना है.”
रमेश का दावा है कि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है और यह सुप्रीम कोर्ट के कानून के विपरीत है और इतना ही नहीं यह असम समझौते और अंतर्राष्ट्रीय संविदाओं का भी उल्लंघन करता है. याचिका के तहत नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में जोर देकर कहा गया है कि यह कानून अंतर्राष्ट्रीय कानून और बाध्यताओं का उल्लंघन करता है, जोकि अंतर्राष्ट्रीय संविदाओं के तहत भारत की तरफ से सहमत और स्वीकृत है.
मुस्लिम लीग पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सबसे पहले इंडियन मुस्लिम लीग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया. इस याचिका में भी इस कानून का विरोध किया गया है और इसे खत्म करने की मांग की गई है. जयराम रमेश से पहले कांग्रेस के कई नेता नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जिक्र कर चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील पी चिदंबरम ने भी कहा था कि विधेयक संविधान में निहित मौलिक विचारों पर एक “हमला” है और इस कानून का भाग्य सुप्रीम कोर्ट में तय किया जाएगा.
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