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नागरिकता संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी, बिल की बड़ी बातें जानिए

कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन बिल पर हुई चर्चा

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संसद के शीतकालीन सत्र में आज नागरिकता संशोधन बिल पेश किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी है. बैठक में इस बिल पर मुहर लगने के बाद अब बिल को दोनों सदनों में पेश किया जाएगा. कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इसीलिए सदन में इस बिल पर खूब हंगामे के आसार हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई गई. बीजेपी के बड़े नेताओं ने इस बैठक में बिल को पेश किए जाने और इससे संबंधिंत अन्य विषयों पर चर्चा की और इसे हरी झंडी दिखाई गई. यह बिल मोदी सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल है. 
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आसान नहीं होगी राह

मोदी सरकार जहां नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश करने और पास कराने के मूड में है, वहीं विपक्ष पूरी तरह इसके विरोध में खड़ा है. कई पार्टियों ने मोदी सरकार को इसके लिए चेतावनी भी दी है. ऐसे में केंद्र सरकार के सामने इस बिल को बिना हंगामे के पेश करने और पास कराने की बड़ी चुनौती है.

बीजेपी की तरफ से इस बिल को पेश करने से पहले ही अपने सभी सांसदों को संसद में मौजूद रहने को कहा गया है. हालांकि अगर बिल लोकसभा और राज्यसभा में पेश होता है तो उस पर चर्चा होगी, जिसके बाद बिल पास कराने के लिए वोटिंग की जाएगी.

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क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक?

नागरिकता (संशोधन) विधेयक से मुस्लिम आबादी बहुल पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अप्रवासियों के लिए भारत की नागरिकता लेना आसान हो जाएगा. विधेयक में इसे साफ नहीं किया गया है लेकिन इसके तहत ऐसा प्रावधान किया गया है कि इन देशों में अत्याचार सह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं. इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.

इस विधेयक में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया. नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, भारत की नागरिकता के लिए आवेदक का पिछले 14 साल में 11 साल तक भारत में निवास करना आवश्यक है. लेकिन संशोधन में इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इस 11 साल की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है.
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इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सिविल सोसायटी समूहों के सदस्यों के साथ नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पर चर्चा की थी. शाह ने असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नगालैंड के नेताओं से मुलाकात की. वहीं उन्होंने त्रिपुरा और मिजोरम के नेताओं से भी इसे लेकर चर्चा की. उन्होंने नेताओं को सीएबी और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के बारे में समझाया. बता दें कि पूर्वोत्तर के नेता नागरिकता संशोधन विधेयक का कई बार विरोध कर चुके हैं.

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