नागरिकता संशोधन विधेयक के राज्यसभा से भी पास होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इंडियन मुस्लिम लीग ने CAB के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इससे पहले कांग्रेस के कई नेता भी कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट में इस बिल पर अंतिम फैसला होगा.
कांग्रेस भी कर रही तैयारी
भले ही कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दल लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता बिल को पास कराने से न रोक पाए हों, लेकिन अभी उन्हें सुप्रीम कोर्ट से आस है. कांग्रेस के कई नेता नागरिकता बिल पर सुप्रीम कोर्ट का जिक्र कर चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को निकट भविष्य में अदालत में चुनौती दी जाएगी क्योंकि यह संवैधानिकता के लिहाज से "बेहद संदिग्ध" है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील पी चिदंबरम ने भी कहा है कि विधेयक संविधान में निहित मौलिक विचारों पर एक “हमला” है और इस कानून का भाग्य सुप्रीम कोर्ट में तय किया जाएगा.”
वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही. पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा था कि हम सभी संभावनाएं तलाशेंगे.
क्या है नागरिकता संशोधन बिल 2019?
यह बिल सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस एक्ट के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. हालांकि यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.
नागरिकता संशोधन बिल 2019, 3 देशों से आए 6 धर्म के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है. इस ढील के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)