न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को बदलकर राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने के राज्य सरकार के फैसले पर शुरू हुई रार में प्रदेश के 521447 सरकारी कर्मचारी फंस गए है. केंद्र की ना और राजस्थान की हां में इन कर्मचारियों की पेंशन पर बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. राजस्थान सहित कई राज्यों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल किए जाने के बीच केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा कि मौजूदा नियमों के तहत नई पेंशन योजना (एनपीएस) में जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिल सकता.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को जयपुर में स्पष्ट तौर से कहा कि अगर कोई राज्य सरकार यह अपेक्षा कर कर रही है कि एनपीएस के लिए जमा किया गया पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा तो यह नामुमकिन है. सीतामरण कहा कि ऐसा फैसला करने वाले राज्य अगर फिर अपेक्षा करते हैं कि जो पैसा ईपीएफओ कमिश्नर के पास रखा हुआ है. वह पैसा इकट्ठा राज्य को दे देना चाहिए तो ऐसी अगर अपेक्षा है तो नहीं, वह पैसा कर्मचारी का हक है. उनका पैसा ब्याज कमा रहा है, वह पैसा रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के हाथ में आएगा.
वित्त मंत्री ने क्या कहा?
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा नियमों के तहत नई पेंशन योजना एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिल सकता. ओपीएस लागू करके राज्य सरकारें अपनी देनदारियों को 'स्थगित' कर रही हैं.
कर्मचारियों को ऐसा लग रहा है कि उनको फायदा है वह है कि नहीं है यह भी एक देखने वाली बात है. केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया कि कानून बड़ा स्पष्ट है कि राज्य सरकार को वह पैसा नहीं मिल सकता. क्योंकि नई पेंशन योजना एनपीएस में पैसा कर्मचारी से संबंध है और यह एक समझौता कर्मचारी व एनपीएस ट्रस्ट में है, उन्होंने कहा कि अगर कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने से पहले हटता है तो उसके अलग नियम है.
जहां तक राज्य समझ रहे हैं कि वह हमें वापस मिल जाएगा मैं समझता हूं कि यह मौजूदा नियमों के हिसाब से संभव नहीं है.
CM गहलोत बोले- कोर्ट जाएंगे
केंद्र सरकार का यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है, जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल में कहा था कि केंद्र ने एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य को नहीं लौटाया तो राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखाएगी. गहलोत वित्त मंत्री के बयान पर भी कहा कि वित्त मंत्री का साफ कहना चाहिए कि वो ओपीएस के खिलाफ हैं.
यह कर्मचारियों के मानवीय दृष्टिकोण का सवाल है. हम उन पर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं. वित्त मंत्री का जवाब समझ से परे है. मानवाधिकार आयोग इस स्कीम को गलत बता चुका है. कर्मचारियों को शेयर मार्केट के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. गहलोत ने कहा कि जब स्कीम को लेकर कमी पता चल गया है तो भूल सुधार करने में कहा दिक्कत है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हालिया गिरावट का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए उस शेयर बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, जहां नई पेंशन योजना (एनपीएस) का पैसा लगाया जा रहा है. गहलोत ने कहा कि पूरा पैसा जो हमारा जमा है वह भारत सरकार हमें वापस दे नहीं रही है. ओपीएस लागू करने के बावजूद नहीं दे रही है। और हम कहना चाहेंगे नहीं देंगे तो हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे। उच्च न्यायालय जाएंगे लेकिन वह पैसा हम लेकर रहेंगे।
गहलोत सरकार का यह भी दावा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में पुरानी पेंशन योजना में पेंशन दिये जाने पर सरकार पर अलग से कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए नई पेंशन योजना में राजकीय अंशदान के लिए 2695 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान कर रखा है. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस साल 946 कार्मिक सेवानिवृत होगें, जिन्हें पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन दी जाएगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)