राजनीति असंभव को संभव करने का काम है और ये राज्यसभा चुनाव इसके लिए टेस्ट केस है. लोकसभा चुनाव के करीब 14 महीने पहले ही बड़े राजनीतिक एक्शन की आहट है.
थोड़ा ट्रेलर दे देता हूं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार को बीएसपी विधायक वोट देंगे और बदले में कांग्रेस के विधायक उत्तर प्रदेश में बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट देंगे.
बात बारीक है. ऐसा लग रहा है कि यूपीए गठबंधन चुपके-चुपके नरेंद्र मोदी की सरकार के मुकाबले के लिए अपनी सेना में नई भर्तियों में जुटा हुआ है.
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राज्यसभा चुनाव गठबंधन के ट्रिगर
उत्तर-पूर्व के राज्यों में बीजेपी की जबरदस्त जीत के बाद जिस तेजी से विरोधी पार्टियां हरकत में आई हैं, वो तो स्क्रिप्ट में था ही नहीं.
उत्तर प्रदेश में अनहोनी हो गई
उत्तर प्रदेश की दो सबसे बड़ी पार्टियों- समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी का साथ आना किसी अजूबे से कम नहीं. अब तक दोनों के बीच दुश्मनी थी. राज्यसभा चुनाव में साथ की जरूरतों ने दोनों मजबूर कर दिया.
अखिलेश को मायावती फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए समर्थन देंगी, बदले में बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार को एसपी के अतिरिक्त विधायकों का वोट मिलेगा.
फायदा दोनों का है. यही साथ 2019 लोकसभा चुनाव तक रहा, तो बीजेपी को कांटे की टक्कर मिलेगी. दिल्ली की गद्दी यूपी होकर जाती है, क्योंकि अक्सर जो पार्टी या गठबंधन राज्य की 80 लोकसभा सीटों में आगे रहता है, वही दिल्ली के तख्त पर बैठता है.
एसपी, बीएसपी के साथ कांग्रेस के तार जुड़े
कांग्रेस भी लेन-देन के फॉर्मूले पर चल रही है. यूपी में कांग्रेस के 7 विधायक हैं, जो बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट करेंगे. बदले में मध्य प्रदेश में बीएसपी के चार विधायकों के वोट कांग्रेस के उम्मीदवार को देने का वादा है.
इस तरह रिश्ते आगे बढ़े, तो एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का गठजोड़ का दायरा उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश में भी बन सकता है. इन दोनों राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 109 सीटें हैं.
झारखंड में कांग्रेस-JMM का रिश्ता
अब आगे बढ़ते हैं. कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से 2019 लोकसभा और विधानसभा चुनावों का समझौता कर लिया है. समझौते को मजबूत करने के लिए जेएमएम विधायकों के वोट कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार को मिलेंगे.
शायद कांग्रेस और बीजेपी विरोधी दूसरी पार्टियों को समझ आ गया है कि साथ चले बिना गुजारा नहीं है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी
महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस की पुरानी दोस्ती पिछले विधानसभा चुनाव में दोस्ती टूट गई थी. पर अब फिर दोनों ने मिलकर एनडीए का मुकाबला करने का ऐलान किया है. राज्य में लोकसभा की 48 सीटें हैं. ऐसे में जिस तरह शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में दरार दिख रही है, उससे कांग्रेस-एनसीपी का साथ आना राज्य बड़ा रोचक होगा.
कर्नाटक-पश्चिम बंगाल कनेक्शन
कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें जनता दल सेक्युलर और बीएसपी के बीच गठबंधन हो गया है. इससे यही लग यही रहा है कि आगे चलकर जनता दल सेक्युलर के भी यूपीए से वर्किंग रिश्ते बन सकते हैं.
इसी तरह पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस एक- दूसरे का साथ दे रहे हैं. हालांकि केरल में दोनों विरोध में हैं. दोनों पार्टियों ने पश्चिम बंगाल में राज्यसभा सीट के लिए एक-दूसरे का साथ देने का फैसला किया है.
यही नहीं, त्रिपुरा में बीजेपी की जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी का रुख भी कांग्रेस और लेफ्ट के प्रति नरम हुआ है.
बिहार में महागठबंधन में मांझी आए
बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के महागठबंधन में नई एंट्री हुई है एनडीए में शामिल जीतनराम मांझी की पार्टी की. राज्य में राज्यसभा की 6 सीटों पर चुनाव है. यहां राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 35 वोट चाहिए और कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं, जिनमें 4 विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. लेकिन ऐसे में आरजेडी के पास 9 अतिरिक्त विधायक का समर्थन उसे मिल सकता है. इसलिए यहां विपक्षी गठजोड़ मजबूत है.
दक्षिण भारत में गठबंधन
एनडीए के सबसे बड़े घटक टीडीपी के मोदी सरकार से बाहर होने से हालात बदलते दिख रहे हैं. केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को स्पेशल राज्य का दर्जा नहीं दिया, तो टीडीपी के मंत्रियों ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया. हालांकि चंद्रबाबू नायडू ने अभी सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया है. लेकिन उनके पास 13 मार्च को सोनिया गांधी के डिनर का भी निमंत्रण है.
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया है कि यूपीए की सरकार बनी, तो आंध्र प्रदेश को स्पेशल राज्य का दर्जा मिलेगा. ये वादा टीडीपी और कांग्रेस के बीच रिश्तों का ब्रिज बन सकता है.
पड़ोसी तेलंगाना में भी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी में लगे हैं. हालांकि अभी वो तीसरे मोर्चे का गान ही कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह रिश्ते बिगड़ रहे हैं और नए रिश्ते बन रहे हैं, उससे वो भी किसी भी तरफ जा सकते हैं.
यूपीए का तमिलनाडु में गठबंधन मजबूत है. डीएमके ने दोहराया है कि वो मजबूती से यूपीए के साथ है.
13 मार्च को सोनिया का डिनर अहम
अभी तो ऐसा लगता है कांग्रेस ने अपने पत्ते स्मार्ट तरीके से चले हैं और कुछ हालात का खेल है. ऐसे में सोनिया गांधी के विपक्षी दलों को दिए गए डिनर पर सबकी नजर होगी, क्योंकि इसमें विपक्षी नेताओं की मौजूदगी तय करेगी कि यूपीए की उम्मीदों पर नेताओं को कितना भरोसा है.
इस डिनर में एसपी, बीएसपी, लेफ्ट, जेएमएम, डीएमके, आरजेडी, जैसे दलों के नेताओं ने रजामंदी दे दी है.
राज्यसभा चुनाव के जरिए बना ये गठजोड़ 2019 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र की करीब 250 लोकसभा सीटों पर विपक्षी एकता का आधार बन सकता है.
राज्यसभा के इन चुनावों ने विपक्ष को दोस्ती के फायदे दिखा दिए हैं . इससे 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए ब्लॉकबस्टर स्क्रिप्ट तैयार हो रही है. हालांकि अंतिम स्क्रीन प्ले लिखा जाना अभी बाकी है.
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