सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी करने वाले और कांग्रेस के सीनियर लीडर कपिल सिब्बल इस केस से अलग हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान ने कपिल सिब्बल को कहा है कि वह खुद को इस केस से अलग कर लें. बता दें कि कपिल सिब्बल बाबरी मस्जिद केस की पिछली कुछ सुनवाई में मौजूद नहीं रहे. सुनवाई में सिब्बल के मौजूद न रहने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद पार्टी हाईकमान ने उन्हें इस केस से अलग होने को कहा है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सिब्बल से कहा गया है कि इस केस से अलग होना ही पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से समझदारी भरा फैसला होगा. हालांकि, मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने इससे इंकार किया है. उनका कहना है कि सिब्बल फिलहाल अस्थाई ब्रेक पर हैं.
अगली सुनवाई पर सबकी नजर
कयासों के बीच अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर हैं. अब देखना ये है कि कपिल सिब्बल इस केस की सुनवाई के दौरान मौजूद रहते हैं या नहीं. बता दें कि गुजरात चुनाव के दौरान कपिल सिब्बल और रामजन्मभूमि केस को लेकर एक विवाद पैदा हो गया था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिब्बल ने मांग की थी कि इस संवेदनशील केस की सुनवाई को 2019 के लोकसभा चुनावों तक रोक देना चाहिए.
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कपिल सिब्बल के इस तर्क को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था.
2019 लोकसभा चुनाव के लिए तो नहीं है कांग्रेस का ये दांव?
कर्नाटक चुनाव करीब हैं. अगले साल लोकसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति को चुनौती देने के लिए कांग्रेस भी पूरा जोर लगा रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात चुनाव की तरह ही कर्नाटक चुनाव से पहले भी लगातार मंदिरों और मठों का दौरा कर रहे हैं. ऐसे में अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि राम के नाम पर राजनीति करने वाली बीजेपी को इन चुनावों में कांग्रेस को घेरने का कोई मौका ना मिले, इसी सिलसिले में ये प्रयास किए जा रहे हैं.
हाल ही में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी कहा था कि बीजेपी कांग्रेस को एक मुस्लिम पार्टी के तौर पर पेश करने में सफल हो गई. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस इस छवि को तोड़ने का प्रयास कर रही है.
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