पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी ANI को इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए बन रहे गठबंधन से लेकर राम मंदिर, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक पर तमाम सवालों के जवाब दिए. हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के बाद उन पर जोरदार जुबानी हमला बोला. कांग्रेस ने दावा किया कि अपनी ‘नीतिगत गलतियों' पर अफसोस जताने की बजाय पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान सिर्फ ‘जुमला भरी' बातें की हैं.
कांग्रेस ने पीएम मोदी के इंटरव्यू को ‘पूर्वनियोजित' करार दिया है. कांग्रेस ने कहा कि मोदी को संसद का सामना करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की हिम्मत करनी चाहिए. कांग्रेस ने कहा है कि मोदी जी ने 55 महीनों के कार्यकाल में देश को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. उन्हें देश को इन 10 सवालों का जवाब देना चाहिए.
- प्रधानमंत्री को बताना चाहिए था कि 15 लाख रुपये जनता के खाते में आए कि नहीं?
- कालेधन का एक रुपया भी आया या नहीं?
- किसान को लागत पर पचास फीसदी मुनाफा देने की बात की थी क्या किसान को लागत भी मिली?
- गब्बर सिंह टैक्स लगाकर व्यापार मंदा और चौपट क्यों कर डाला?
- नोटबंदी में कालेधन वालों की ऐश क्यों हुई?
- राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ क्यों किया गया?
- राफेल के तीस हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार? अगर कुछ गलत नहीं तो राफेल पर जेपीसी बनाने से परहेज क्यों?
- क्या गंगा मैया साफ हो गई?
- मेक इन इंडिया का क्या हो गया?
- हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा था. साढ़े चार साल में 9 करोड़ रोजगार पैदा होने थे. 9 लाख भी क्यों नहीं हुए?
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘इस पीएम मोदी के इंटरव्यू में कुछ नहीं निकला. प्रधानमंत्रीजी, आप 2019 में भी अगर ‘मैं, मेरा, मुझे, और मैंने' की बात करेंगे तो देश भी ‘हम' की बात करके आपको चलता करने की तरफ चल पड़ा है.''
सुरजेवाला ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि आप अपनी नीतिगत गलतियों पर अफसोस जताएंगे, लेकिन आपने झूठ बोलने का काम किया. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.''
‘राम मंदिर मुद्दे पर पीएम ने देश को किया गुमराह’
राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी और आरएसएस की मांग को खारिज किया है. साथ ही उन्होंने कहते हुए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की है कि कोर्ट के फैसले के बाद अध्यादेश लाया जाएगा, जबकि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद किसी अध्यादेश की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह फैसला देश का कानून बन जाता है.''
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘एक बात साफ हो गई कि वह मोहन भागवत की बात नहीं मानते और न ही बीजेपी की मानते हैं. मुझे लगता है कि उन लोगों को अब यह बात समझ लेनी चाहिए.''
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या मामले में कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अध्यादेश के बारे में विचार किया जा सकता है.
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