लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस की हार के बाद कर्नाटक में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. यह हलचल तब और बढ़ गई जब बागी के तौर पर देखे जा रहे कांग्रेस के दो विधायकों ने रविवार को बीजेपी नेता एसएम कृष्णा से मुलाकात की.
इस बीच कांग्रेस की राज्य इकाई ने बेंगलुरु में 29 मई को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है. इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव भी मौजूद रहेंगे.
224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के पास अभी 79 विधायक हैं, जबकि जेडीएस के विधायकों की संख्या 37 है. पिछले साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा (104) सीटें मिली थीं. बीजेपी के बहुमत साबित ना कर पाने के बाद कांग्रेस और जेडीएस साथ आकर कर्नाटक में सरकार चला रही हैं. कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 का है. उपचुनाव में एक सीट जीतने के बाद बीजेपी के पास अभी 105 सीटें हैं.
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और जेडीएस के कई नेता एक दूसरे पर निशाना साधते दिखे. माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच की 'खटपट' ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया, जिसने राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 को अपने नाम किया है.
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को खतरे की खबरें भी सामने आई हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन खबरों पर कांग्रेस नेता जी परमेश्वर ने कहा, ''यह जनादेश देश के चुनाव के लिए है, राज्य के लिए नहीं. ऐसे में हम कुमारस्वामी के नेतृत्व में अपना गठबंधन जारी रखेंगे.''
रविवार को जब कांग्रेस विधायक रमेश जरकीहोली और के सुधारक ने बीजेपी नेता एसएम कृष्णा से मुलाकात की तो राज्य की सियासत में नई अटकलें लगनी शुरू हो गईं. दरअसल इन दोनों विधायकों को पिछले कुछ समय से कांग्रेस के उन 7-8 विधायकों की लिस्ट में देखा जा रहा है, जिनको बागी माना जा रहा है.
हालांकि जरकीहोली और सुधारक ने कहा है कि कृष्णा के साथ उनकी मुलाकात राजनीतिक नहीं थी. इस मुलाकात को लेकर जरकीहोली ने कहा, '' कर्नाटक में बीजेपी के 25 सीटें जीतने के बाद हम एसएम कृष्णा जी को बधाई देना चाहते थे.''
इंडियन एक्सप्रेस ने जेडीएस से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि जी परमेश्वर के गुट वाले कांग्रेस नेता राज्य में गठबंधन जारी रखना चाहते हैं, वहीं सिद्धारमैया के ग्रुप को बीजेपी के हाथ में सत्ता जाने से फर्क नहीं पड़ेगा.
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