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कांग्रेस के पतन का ठीकरा शीला पर फोड़ा तो नेताओं ने बताई हकीकत

पीसी चाको के बयान के बाद शीला दीक्षित के समर्थन में उतरे कांग्रेस नेता

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए एक बार फिर जश्न की तरह आए. वहीं बीजेपी इस बात से थोड़ी खुश है कि पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन कांग्रेस अभी तक ये तय नहीं कर पा रही है कि आखिर गलती कहां हुई. जहां पार्टियां अपना वोट प्रतिशत बढ़ाती हैं, कांग्रेस ने इसके उलट इस बार अपना वोट प्रतिशत पिछली बार से भी गिरा दिया. लेकिन ब्लेम गेम के इस दौर में अब दिवंगत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम आ चुका है.

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शीला दीक्षित का नाम आने से कांग्रेस नेताओं में जमकर बहस शुरू हो चुकी है. कांग्रेस के बड़े नेता इस हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने पर काफी गुस्से में हैं.

दरअसल दिल्ली कांग्रेस के चुनाव प्रभारी पीसी चाको ने अपना इस्तीफा दिया और दिल्ली में हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने कहा,

“साल 2013 में कांग्रेस का दिल्ली में पतन शुरू हुआ था, तब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं. नई पार्टी AAP ने कांग्रेस के पूरे वोट पर कब्जा कर लिया. जिसके बाद हम उसे कभी वापस हासिल नहीं कर पाए. आज भी वो वोट AAP के पास है.”
पीसी चाको, कांग्रेस नेता
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अब पीसी चाको के ऐसे बयान के बाद कांग्रेस नेताओं ने मोर्चा संभाला और बताया कि शीला दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस को अर्श से फर्श तक कैसे पहुंचाया. नेताओं ने चाको का नाम लिए बिना ही उन्हें जमकर लताड़ लगा दी. सबसे पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने कमान संभाली. उन्होंने एनएनआई के पीसी चाको वाले बयान के ट्वीट पर लिखा,

"शीला दीक्षित जी एक शानदार राजनेता और कमाल की प्रशासक थीं. उनके दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए राजधानी का पूरा कायापलट हो गया था और तब कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत थी. ये देखना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी मौत के बाद उन्हें दोष दिया जा रहा है. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस और दिल्ली के लोगों के लिए समर्पित कर दी थी."

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विजेंदर सिंह बोले- शर्मनाक

इसके बाद हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए बॉक्सर विजेंदर सिंह ने शीला दीक्षित को लेकर ट्वीट किया. विजेंदर सिंह ने लिखा, "शीला जी सबसे अच्छी सीएम थीं. लेकिन अब लोग कांग्रेस की हार और पतन का जिम्मेदार उन्हें बता रहे हैं. काफी शर्मनाक है."

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कुछ आंकड़े दिए, जिनसे उन्होंने बताया कि कैसे कांग्रेस का ग्राफ दिल्ली में गिरता गया और इसके लिए शीला दीक्षित कहीं भी जिम्मेदार नहीं है. पवन खेड़ा ने ट्विटर पर लिखा,

“डेटा के तौर पर देखें तो साल 2013 में जब हम हारे थे, तब कांग्रेस का दिल्ली में वोट शेयर कुल 24.55 प्रतिशत था. लेकिन साल 2015 में ये फिसलकर 9.7 प्रतिशत हो गया, तब शीला जी इसमें शामिल नहीं थीं. लेकिन जब 2019 में शीला जी ने वापस चार्ज संभाला तो वोट शेयर 22.46 प्रतिशत हो गया.”
पवन खेड़ा, कांग्रेस नेता

कांग्रेस नेता संजय झा ने भी शीला दीक्षित की तारीफ की. उन्होंने लिखा, "अगर मैं अपनी बात करूं तो एक वोट विनिंग पार्टी बनना चाहिए न कि एक वोट काटने वाली पार्टी... हमने महान महिला की विरासत के साथ न्याय नहीं किया. वो दिवंगत शीला दीक्षित जी जिन्होंने खुद के दम पर दिल्ली को एक अलग तरह से बदलने का काम किया."

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शीला के दौर में क्या था कांग्रेस का ग्राफ?

दिल्ली में भले ही दिवंगत नेता शीला दीक्षित पर कांग्रेस की हार और पतन का ठीकरा फोड़ा जा रहा हो, लेकिन आंकड़े साफ दिखाते हैं कि शीला ने दिल्ली में कांग्रेस को एक नई पहचान दिलाई. साल 2003 में कांग्रेस को कुल 48 प्रतिशत वोट मिला था. वहीं 2008 विधानसभा चुनाव में ये फिगर 40 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसके बाद साल 2015 में हुए चुनावों में कांग्रेस 9.7 प्रतिशत पर ही सिमट गई. लेकिन तब शीला दीक्षित कांग्रेस की कमान नहीं संभाल रही थीं. इस चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी.

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