उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी ने मिल कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. दोनों पार्टियां राज्य की 48 में से 45 पर मिल कर चुनाव लड़ेंगी. तीन सीटों पर अभी भी दोनों के बीच कड़ी सौदेबाजी चल रही है.
राज्य में प्रकाश अंबेडकर दलित राजनीति के प्रमुख चेहरा हैं. इसलिए उनकी पार्टी भारिपा बहुजन महासंघ को भी इस गठबंधन में शामिल होने के लिए मनाया जाएगा. हालांकि हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि क्या उनकी पार्टी सिर्फ एक सीट पर मान जाएगी.
कांग्रेस और एनसीपी के बीच अभी तीन सीटों पर तालमेल बाकी
कांग्रेस और एनसीपी के बीच जिन तीन सीटों पर तालमेल की बातचीत चल रही है. उनमें से दो सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी पहले मिल कर चुनाव लड़ चुकी हैं. ये दो सीटें हैं हैं नॉर्थ महाराष्ट्र की नंदरबार और मराठवाड़ा की औरंगाबाद. दोनों सीटों पर कांग्रेस का खासा दबदबा है. नंदरबार सीट कांग्रेस के लिए काफी अहम है. आदिवासी बहुल इस सीट से यूपीए ने कई अहम विकास योजनाओं की शुरुआत की थी.
हालांकि एनसीपी इस सीट पर अपना दावा ठोक रही है. 2014 चुनाव से पहले बीजेपी में जा चुके एनसीपी के मंत्री विजय कुमार गवित के दोबारा पार्टी में लौटने की उम्मीद है. एनसीपी यह सीट उनके लिए सुरक्षित रखना चाहती है. लेकिन राज्य में कांग्रेस के नेता इस सीट से समझौता नहीं करना चाहते.
जहां तक बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन का सवाल है तो अभी यह तय नहीं हो पाया है. बीजेपी के तेवरों से ऐसा लगता है कि अगर शिवसेना ने कड़ा रुख अपनाया तो वो अकेली चुनाव लड़ेगी. बीजेपी के इंटरनल सर्वे में कहा गया है कि अगर शिवसेना से उसका गठबंधन नहीं भी हुआ तो वह अकेले दम पर 18 से 20 सीटें जीत लेगी जबकि कांग्रेस-एनसीपी अलायंस को 22 से 24 सीटें मिल सकती है.
शिवसेना को उद्धव ठाकरे पर भरोसा
शिवसेना को 4-5 सीटों से ज्यादा नहीं मिलने वाली. सेना से जब इस बारे में बीजेपी के रुख के बारे में पूछा गया तो उसकी प्रवक्ता मनीषा कायदें ने कहा कि बीजेपी का इंटरनल सर्वे में चाहे जो कहा जा रहा लेकिन पार्टी चीफ उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की जीत पक्की करने की पुख्ता तैयारी की है. हम इस बार ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने जा रहे हैं. 2014 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 20 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 18.
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