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कांग्रेस अध्यक्ष पद: गांधी परिवार के बाहर से किस-किसने संभाली कमान

क्या कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का हो सकता है? 

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कांग्रेस में इस वक्त पार्टी के नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेटर लिखकर 23 बड़े नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस को पूर्णकालिक नेतृत्व मिलना चाहिए जो जमीन पर सक्रिय हो. इस बीच कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर सकती हैं. खबरें ये भी हैं राहुल गांधी भी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हैं.

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ऐसे में एक सवाल यह सामने आ रहा है कि क्या कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बन सकता है? मगर कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जिस तरह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पक्ष में खड़े हैं और मांग कर रहे हैं कि अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होना चाहिए, उससे गांधी परिवार के बाहर किसी का अध्यक्ष बनना आसान भी नहीं दिखता. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर नेहरू-गांधी परिवार के बाहर भी लंबा इतिहास रहा है, चलिए इस पर एक नजर दौड़ाते हैं:

आजादी से लेकर अब तक के कांग्रेस अध्यक्ष

जेबी कृपलानी: महात्मा गांधी के शिष्यों में से कृपलानी 1947 में अंग्रेजों से देश की सत्ता के ट्रांसफर के वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उन्होंने मेरठ सत्र की अध्यक्षता की थी.

पट्टाभि सीतारमैय्या: वह 1948 और 1949 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे. सीतारमैया भाषाई आधारों पर प्रांत विभाजन के कड़े समर्थक थे. उन्होंने जयपुर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी.

पुरुषोत्तम दास टंडन: वह 1950 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. उन्होंने नासिक सत्र की अध्यक्षता की थी. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वह उन प्रमुख चेहरों में से एक थे जिन्होंने हिंदी के लिए आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग की थी.

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 1951 से लेकर 1954 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. 

यूएन ढेबर: साल 1955 से 1959 तक ढेबर कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उन्होंने अवडी, अमृतसर, इंदौर, गौहाटी और नागपुर में सत्रों की अध्यक्षता की थी

ढेबर के बाद साल 1959 में इंदिरा गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई थीं.

नीलम संजीव रेड्डी: वह 1960 से 1963 तक कांग्रेस अध्यक्ष थे. उन्होंने बैंगलोर, भावनगर और पटना सत्रों की अध्यक्षता की थी. रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति भी बने थे.

के कामराज: वह 1964 से 1967 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे. उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर सत्रों की अध्यक्ष की थी. उन्हें भारतीय राजनीति में 'किंगमेकर' के तौर भी जाना जाता है.

एस निजलिंगप्पा: वह 1968 से 69 तक कांग्रेस अध्यक्ष थे. निजलिंगप्पा देश की आजादी के आंदोलन और कर्नाटक के एकीकरण के प्रमुख सदस्य थे.

जगजीवन राम: बाबूजी के नाम से लोकप्रिय जगजीवन राम 1970 से 1971 तक कांग्रेस अध्यक्ष थे. वह पिछड़े वर्गों, 'अछूतों' और शोषित श्रमिकों के नेता थे.

शंकर दयाल शर्मा: वह 1972 से 1974 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे. शर्मा भारत के नौवें राष्ट्रपति भी बने थे.

देवकांता बरुआ: वह इमर्जेंसी के दौरान (1975-1977) कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे. उन्होंने एक बार कहा था: “भारत इंदिरा है. इंदिरा भारत है. ” हालांकि, बाद में उन्होंने इंदिरा का साथ छोड़ दिया था और कांग्रेस (Urs) में शामिल हो गए थे.

ब्रह्मानंद रेड्डी: वह 1977 से लेकर 1978 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे.

1978 में कांग्रेस में विभाजन के बाद इंदिरा गांधी वाले धड़े ने उन्हें फिर से पार्टी अध्यक्ष चुन लिया. इसके बाद, एक संक्षिप्त अंतराल को छोड़कर, वह 1984 में अपनी हत्या होने तक इस पद पर रहीं. इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी 1991 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे.

पीवी नरसिम्हा राव: राजीव गांधी के बाद राव 1996 तक कांग्रेस के अध्यक्ष थे. दक्षिण भारत से वह देश के पहले प्रधानमंत्री थे, उनके कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था का उदारीकरण हुआ था.

सीताराम केसरी: वह 1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे.

केसरी के बाद सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनी थीं. उनके बाद साल 2017 में राहुल गांधी ने इस पद को संभाला था और फिर 2019 में उनके इस्तीफे के बाद सोनिया पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं.

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