पंजाब-महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक में हुए फाइनेंस फ्रॉड मामले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि पीएमसी बैंक के 12 डायरेक्टर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी से संबंध रखते हैं.कांग्रेस नेता ने कहा कि हर रोज PMC बैंक के पीड़ितों के रोते-बिलखते वीडियो सामने आ रहे हैं. लेकिन वित्त मंत्री अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहीं हैं.
गौरव वल्लभ ने कहा, ‘अगर वित्त मंत्रालय और आरबीआई की कोई जिम्मेदारी नहीं है, तो 1 से 10 हजार और फिर 25 हजार रुपये निकालने की बंदिश क्यों लगाई गई.’
पीएमसी बैंक के 12 डायरेक्टर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी से संबंध रखते हैं. 12 साल से निदेशक के पद पर काबिज एक व्यक्ति बीजेपी के चार बार से विधायक का बेटा है. क्या इन डायरेक्टरों की कोई जिम्मेदारी नहीं है?गौरव वल्लभ, प्रवक्ता, कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि महाराष्ट्र की मुलुंड सीट से बीजेपी विधायक के बेटे रणजीत सिंह PMC बैंक और HDIL दोनों में डायरेक्टर है और पीएमसी बैंक ने सबसे ज्यादा लोन HDIL को ही दिया है.
कांग्रेस की सरकार से मांग
- निकासी पर लगी बंदिश पूरी तरह से हटाई जाए
- पीएमसी के 73% लोन HDIL को दिए गए हैं, उससे रिकवरी कैसे की जाएगी, इसकी रिपोर्ट एक सप्ताह में देश को बताई जाए
- 25,00 से ज्यादा वाले 30% जमाकर्ता कौन हैं, जिनका उल्लेख ये कर रहे हैं, उनकी जानकारी दी जाए
- धन निकासी पर बंदिश लगाने के एक सप्ताह पहले तक 50,000 या उससे ज्यादा पैसा निकालने वाले लोगों के नाम बताए जाएं
- हाउसिंग सोसायटी को पैसे निकालने की तुरंत इजाजत दी जाए
- पूछताछ पूरी होने तक पीएमसी के डायरेक्टरों को देश छोड़ने की इजाजत न दी जाए
कांग्रेस ने मांग की है कि वित्त मंत्री पीएमसी मामले पर श्वेत पत्र जारी कर देश को इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी दें.
सरकार से कांग्रेस का सवाल?
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि साल 2013-14 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बट्टा खाते का बैलेंस कुल 34,409 करोड़ रुपये था, जो 2018-19 में बढ़कर 1.72 लाख करोड़ रुपये हो गया.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के बट्टा खाते की रकम में लगभग 5 गुना वृद्धि हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसको फायदा पहुंचाने के लिए इतनी बड़ी रकम को बट्टा खाते में डाला जा रहा है?
बढ़ते NPA पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आरबीआई और बैंकों ने SME सेक्टर के एनपीए को एक साल तक नहीं दिखाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि एक रेटिंग एजेंसी के अनुसार ये एनपीए लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये का है और सरकार को अपने प्रॉफिट/कैपिटल से उसका प्रावधान करना पड़े, इसलिए इन्हें छिपाया जा रहा है.
गौरव वल्लभ ने कहा कि अब सरकार ने एक नया चलन शुरू किया है. बैंकों के बढ़ते एनपीए को कम करने के लिए उन्हें बट्टा खाते में डाला जा रहा है. आरटीआई से मिली सूचना के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों का साल 2018-19 में करीब 2.75 लाख करोड़ रुपया बट्टा खाते में डाला गया है.
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