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संसद में कोरोना पर सवाल-जवाब, सरकार ने कहा- 'ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई कोई मौत'

विपक्ष के सवाल पर सरकार का जवाब- राज्यों से आए डेटा में ऑक्सीजन से मौत की जानकारी नहीं

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संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन कोरोना महामारी (COVID 19) को लेकर चर्चा हुई. जिसमें तमाम विपक्षी दलों ने वैक्सीन की कमी, अस्पतालों में दूसरी लहर के दौरान बेड्स की कमी और ऑक्सीजन आदि के मुद्दे उठाए और सरकार से सवाल किए. तमाम सवालों का जवाब नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दिए. लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीन पवार ने ऑक्सीजन से हुई मौतों को लेकर चौंकाने वाले लिखित जवाब में कहा कि, ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई.

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कांग्रेस ने मौतों के आंकड़े पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि, सभी सदस्यों की इच्छा थी कि कोरोना को लेकर चर्चा हो जाए. खड़गे ने कहा कि,

"गंगा नदी में तैरते हुए शवों को कहीं जगह नहीं मिली. जाने कितने लोग नदियों के किनारे दफन कर दिए गए. ये इतिहास में याद रखा जाएगा. साथ ही इस कोरोना महामारी के दौरान लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया. कई मजदूरों ने अपनों को खो दिया. उनके बारे में सरकार ने कोई चिंता नहीं जताई. सरकार हमेशा एडवर्टिजमेंट में माहिर है. अस्पतालों में बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी और हर चीज की कमी थी. कांग्रेस नेता ने कहा कि इस पूरी अव्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए."
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता

कांग्रेस सांसद खड़गे ने कोरोना से मौतों के आंकड़े पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि करीब 4 लाख लोगों की कोरोना से मौत हुई. उन्होंने कहा कि करीब 6 लाख गांव में अगर 5 मौत हर गांव में होती है तो भी आंकड़ा 21 लाख के पार जाता है. खड़गे ने कहा कि, आरएसएस प्रमुख बोलते हैं कि जो लोग चले गए वो मुक्त हो गए. सरकार को सपोर्ट करने वाले संघ की नीति और मंशा इससे साफ होती है.

मनोज झा बोले- ये सिस्टम की नहीं, सरकार की नाकामी है

कांग्रेस के अलावा आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि वो कोई भाषण नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन तमाम लोगों से माफी मांगता हूं जिनकी मौत को भी हम आंकड़ों में नहीं गिन रहे हैं. झा ने कहा कि इतिहास में कभी भी दोनों सदनों के दो सत्रों के बीच 50 लोगों की मौत कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा,

"मैं आंकड़ा नहीं देना चाहता हूं, मेरा आंकड़ा या फिर तुम्हारा आंकड़ा... अपनी पीड़ा में सब लोग आंकड़ा ढूंढ़िए. इस सदन में या सदन के बाहर एक व्यक्ति ऐसा नहीं है जो ये कहे कि उसने किसी जानने वाले को नहीं खोया हो. हम सांसद होकर भी ऑक्सीजन अरेंज नहीं करवा पाते थे. 100 फोन के बाद सिर्फ 2 लोगों को ही ऑक्सीजन मिल पाती थी. जो लोग गए वो हमारी नाकामी का जिंदा दस्तावेज छोड़कर गए हैं."
आरजेडी सांसद मनोज झा
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मनोज झा ने कहा कि, हर बड़े बिल की बात होती है लेकिन अब तक राइट टू हेल्थ की बात क्यों नहीं हुई. इसकी बात कोई नहीं करना चाहता है. जो वक्त लोगों ने बिताया है वो किसी बुरे सपने की तरह लगता है. आखिर कब हम इसका निदान खोज पाएंगे. अगर किसी की नाकामी है तो वो सरकार की नाकामी है, इसे सिस्टम का नाम दिया जा रहा जो गलत है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिया जवाब

विपक्षी दलों के सवालों पर सरकार की तरफ से नए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि, पिछले चार घंटे से कोरोना पर चर्चा चली. नेता विपक्ष ने कहा था कि चर्चा सकारात्मक होनी चाहिए और आगे की तैयारी के लिए उपयोगी बातें हों. लेकिन जब से चर्चा शुरू हुई, उसमें सिर्फ सरकार की आलोचना हुई है. मांडविया ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने कोरोना को लेकर राजनीति की. उन्होंने कहा कि क्राइसिस में पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, वैक्सीन को लेकर राज्यों ने कहा कि हमें भी इंपोर्ट करने का मौका दिया जाए. इसके बाद मोदी जी ने राज्यों को इसकी इजाजत दी तो कोई भी वैक्सीन नहीं खरीद पाया. उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा,

"देश में जनवरी 2020 में पहला केस आया था, तब मोदी जी ने उससे काफी पहले ही हमें अलर्ट कर दिया था. तब से सारी व्यवस्थाएं शुरू हो चुकी थीं. हर स्टेट के पास 10 या 15 लाख वैक्सीन पड़ी हैं और ये लोग मुझे कह रहे हैं कि वैक्सीनेश की रफ्तार बढ़ाओ. विपक्ष ने कहा कि लॉकडाउन क्यों लगाया? जिस तरह से दुनिया में कोरोना वायरस फैल रहा था, उस वक्त हमारे पास टेस्टिंग की व्यवस्था नहीं थी. पीपीई किट नहीं थी. इसीलिए तुरंत लॉकडाउन जरूरी थी, हमें सारी व्यवस्थाएं करनी थी."
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया

वैक्सीन विदेश भेजने को लेकर मांडविया ने कहा कि, देश को वैक्सीन पर गुमराह किया गया. हम वासुधेव कुटुंबकम में मानने वाले देश हैं. इसीलिए वैक्सीन मैत्री के तहत वैक्सीन वेदेशों को भेजी गई. हम ये सोचते हैं कि हमारा भला होना चाहिए और दूसरों का भी भला होना चाहिए.

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केंद्र को राज्यों ने दिए मौतों के आंकड़े

मौतों के आंकड़े छिपाए जाने के आरोपों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, प्रधानमंत्री ने बार-बार मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कहा कि हमारे हाथ में मृत्यु नहीं है. जितनी मौतें हो रही हैं, वो दर्ज कीजिए. रजिस्ट्रेशन स्टेट करता है, आंकड़े वही देता है. छिपाने का कोई कारण नहीं है. यहां सदस्यों ने कहा कि भारत सरकार आंकड़ा छिपा रही है, लेकिन भारत सरकार राज्यों के भेजे गए आंकड़े को एक साथ मिलाकर पब्लिश करने का काम करती है. भारत सरकार ने किसी को नहीं कहा कि आंकड़े कम कीजिए. ऐसे विषय उठाने से हमें कोई फायदा नहीं होता है.

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ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी दिया जवाब

ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया. विपक्षी दलों के सांसदों ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को लेकर सरकार को घेरा था. इस पर मांडविया ने कहा,

देश का ऑक्सीजन प्रोडक्शन कम था. मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शन 700 से 900 टन तक था. लेकिन ऐसी स्थिति में हमें उसे बढ़ाना था. हमें उसे बढ़ाकर वहां ले जाना था, जहां हमारी आवश्यकता पूरी हो. हमने इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन देने को कहा. इसके लिए लॉजिस्टिक की व्यवस्था भी की गई. बाहर से भी मंगवाया गया. हमने 10 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने की व्यवस्था की. इसके लिए विपक्ष को सरकार की तारीफ करनी चाहिए थी.

स्वास्थ्य मंत्री के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को ही नकार दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों की तरफ से केंद्र को डेटा दिया जाता है और उस डेटा में ये नहीं बताया गया है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत हुई. बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की खबरें सामने आई थीं.

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