दिल्ली में चुनाव का मंच सज चुका है. मुकाबला आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है. तीनों पार्टियों की मजबूत दावेदारी है और तीनों दिल्ली की सत्ता पर काबिज रह चुके हैं. ऐसे में ये त्रिकोणीय मुकाबले दिलचस्प रहने वाला है.
AAP ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से उतारा है. अपनी पहली लिस्ट में बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. इसके बाद AAP नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए ट्विटर पर लिखा था कि पार्टी ने AAP को वॉकओवर दे दिया है.
हालांकि, अब कांग्रेस ने केजरीवाल के खिलाफ रोमेश सभरवाल और बीजेपी ने सुनील यादव को टिकट दे दिया है. क्या 'गुमनाम' से उम्मीदवारों को केजरीवाल के खिलाफ टिकट दे कर बीजेपी और कांग्रेस ने उनकी राह आसान कर दी है? या फिर दोनों पार्टियों की कोई रणनीति है?
आज के दिल्ली चाट सेंटर में ये जानने की कोशिश करते हैं.
कांग्रेस और बीजेपी के ये दोनों उम्मीदवार कौन हैं और केजरीवाल के सामने इन्हे क्यों उतारा गया, इसका जवाब नीरज गुप्ता ने दिया.
रोमेश सभरवाल 30 साल पहले NSUI के अध्यक्ष रहे थे. वो पिछले कुछ समय से सक्रिय राजनीति में नहीं थे. लेकिन उन्हें सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. नई दिल्ली सीट का गोल मार्किट एरिया का एक बहुत बड़ा इलाका सरकारी कर्मचारियों के वोट बैंक के तौर पर जाना जाता है. सभरवाल यहीं रहते हैं और गोल मार्किट के आसपास की RWA में वो सक्रिय रहे हैं. और यही वोट बैंक पॉलिटिक्स के नाम पर सभरवाल का आधार हैनीरज गुप्ता
नीरज बताते हैं, "वहीं, बीजेपी उम्मीदवार सुनील यादव युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं और ब्लॉक लेवल से उठे हैं लेकिन उनकी ज्यादा पहचान तेजिंदर बग्गा वाली ही दिखती है. बीजेपी और कांग्रेस ने शायद ये मान लिया है कि उनके पास केजरीवाल को टक्कर देने वाला उम्मीदवार मौजूद नहीं है.”
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