दिल्ली में विधानसभा चुनावों में भले ही आम आदमी पार्टी रिकॉर्ड जीत करती आई हो, लेकिन नगर निगम पर अब तक बीजेपी का कब्जा है. पिछले चुनावों में तमाम भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी एमसीडी में बीजेपी जीत दर्ज करने में कामयाब रही. इसका सबसे बड़ा कारण चुनाव में सभी नए उम्मीदवारों को खड़ा करना बताया गया. लेकिन अब एक बार फिर बीजेपी ने एमसीडी चुनावों से पहले बड़ा दाव खेला है. बीजेपी ने अपनी पुरानी रणनीति के तहत तीनों मेयरों को हटाकर उनकी जगह नए उम्मीदवारों का ऐलान किया है.
बीजेपी ने नए उम्मीदवारों का किया ऐलान
दिल्ली एमसीडी में बीजेपी की बदलाव करने की नीति एक बार फिर नजर आई है. इस बार चुनाव से करीब 1 साल पहले ही बदलाव शुरू हो चुका है. तीनों मेयर को हटाकर अब मुकेश सूर्यान को साउथ दिल्ली, राजा इकबाल सिंह को वेस्ट दिल्ली और श्याम सुंदर अग्रवाल को ईस्ट दिल्ली का महापौर उम्मीदवार बनाया गया है. महापौर और उप महापौर के पदों के लिए 16 जून को चुनाव होगा.
इसके अलावा बीजेपी ने तीनों ही एमसीडी में नेता सदन को भी बदल दिया है. बीजेपी ने सभी पदों पर नामों की घोषणा कर दी है. जिसके बाद जिन नेताओं के नाम दिए गए हैं, उनका चुना जाना लगभग तय है, क्योंकि एमसीडी में बीजेपी का बहुमत है.
क्यों बदले जा रहे मेयर?
अब दिल्ली में 2017 में एमसीडी चुनाव हुए थे. जिसके बाद बीजेपी को बहुमत मिला और तीनों एमसीडी में मेयर बनाए गए. लेकिन तब से लेकर अब तक कई बार मेयर बदले जा चुके हैं. इसका कारण एमसीडी में पिछले कई सालों से लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को बताया जा रहा है. ऐसे में बीजेपी लगातार एमसीडी में बदलाव कर लोगों को हर बार नया चेहरा देती है. जिससे कहीं न कहीं लोगों और एमसीडी कर्मचारियों का गुस्सा शांत हो जाता है.
2017 एमसीडी चुनावों से पहले हुई थी पार्षदों की छुट्टी
बीजेपी ने 2017 में भी चुनावों से पहले एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए सभी पार्षदों का टिकट काट दिया था. बीजेपी ने पार्षदों की अचानक बैठक बुलाई और फरमान सुना दिया गया कि आप सभी लोगों के टिकट काट दिए गए हैं. विरोध जरूर हुआ, लेकिन बीजेपी नेताओं को समझाने में कामयाब रही. क्योंकि एमसीडी में भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगातार आवाज उठा रहे थे तो बीजेपी ने जनता के सामने सभी नए चेहरे रख दिए. कई लोगों ने इसे घातक कदम बताया, लेकिन नतीजों ने बता दिया कि बीजेपी का दाव काम आ गया.
अब एक बार फिर बीजेपी उसी थ्योरी पर काम कर रही है. इस बार चुनाव से काफी पहले ही ये बदलाव की बयार शुरू की गई है. क्योंकि एमसीडी के हजारों कर्मचारियों और डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने, सफाई कर्मचारियों की कई बार सैलरी रुकने और भ्रष्टाचार को लेकर एमसीडी मेयरों और पार्षदों के खिलाफ माहौल बना है. तो बीजेपी एक बार फिर बदलाव से एमसीडी में अपनी सत्ता को बचाने की कोशिश में जुट गई है.
उपचुनावों में AAP ने बनाया माहौल
अब बीजेपी के लिए एक चिंता का सबब हाल ही में हुए एमसीडी उपचुनाव के नतीजे भी हैं. जहां पर आम आदमी पार्टी ने पांच में से 4 सीटें जीतकर एमसीडी चुनावों के लिए अपना बड़ा दावा ठोक दिया. बीजेपी इन उपचुनावों में खाता तक नहीं खोल पाई. कांग्रेस को पांच में से 1 सीट पर जीत मिली. इसके बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने दावा किया था कि वो एमसीडी से इस बार बीजेपी को बाहर कर देंगे. साथ ही तब से आम आदमी पार्टी नेता लगातार एमसीडी में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा रहे हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)