ADVERTISEMENTREMOVE AD

केजरीवाल ने MCD से उखाड़ा 'अंगद पांव',कई राज्यों के बाद दिल्ली में भी BJP को सबक

Delhi MCD Chunav Result: AAP की जीत और बीजेपी की हार की वजह हर दिल्ली वाला जनता है

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने एमसीडी से बीजेपी का 'अंगद पांव' उखाड़ फेंका है. दिल्ली नगर निगम (MCD) के मामले में कह सकते हैं कि एक युग परिवर्तन हो रहा है. 15 साल से चली आ रही परिपाटी बदल रही है. एमसीडी चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल गया है. सवाल है कि 'महा पराक्रमी' पार्टी की ये गत क्यों हुई?

ADVERTISEMENTREMOVE AD
Delhi MCD Chunav Result: AAP की जीत और बीजेपी की हार की वजह हर दिल्ली वाला जनता है

बीजेपी नहीं हारी, आम आदमी पार्टी जीती?

कोई कह सकता है कि बीजेपी एमसीडी चुनाव नहीं हारी है, क्योंकि उसका वोट शेयर लगभग बरकरार है. 2017 के चुनाव में बीजेपी को 36% वोट मिले थे और इस बार भी उसको थोड़े ही ज्यादा वोट मिले हैं. आम आदमी पार्टी को पिछली बार 26% वोट मिले लेकिन इस बार ये बढ़कर 42% हो गया है.

दरअसल कांग्रेस, बीएसपी और निर्दलीय उम्मीदवारों का जितना वोट शेयर घटा है, उतना ही आम आदमी पार्टी का बढ़ा है. लेकिन गौर करने वाली बात है कि गैर बीजेपी वोटर ने आम आदमी पार्टी की तरफ जाना तय किया.

2014 में बीजेपी केंद्र में आई, 2019 का चुनाव और ज्यादा वोट से जीती. उसे यूपी में दोबारा जीत मिली. कह सकते हैं कि बीजेपी इस वक्त अपने स्वर्णिम युग में है. तो फिर सवाल ये है कि अपने सर्वोत्तम समय में बीजेपी दिल्ली में ज्यादा मतदाता क्यों नहीं जोड़ पाई? ये भी गौर करने वाली बात है कि बीजेपी ने एमसीडी चुनाव से पहले दिल्ली में परिसीमन किया. तीन निगमों का एकीकरण किया. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि ये सारी कवायद इसलिए की गई ताकि एमसीडी चुनाव में फायदा उठाया जा सके. संसाधनों से सराबोर बीजेपी की चुनाव मशीनरी की ताकत से हम सब वाकिफ हैं. इसके बावजूद अगर बीजेपी अपना वोट शेयर नहीं बढ़ा पाई तो क्यों? जाहिर है इस मायने में ये बीजेपी की हार है और चूंकि वोटर ने आम आदमी पार्टी को विकल्प माना तो ये आम आदमी पार्टी की जीत है.

0

15 साल फेल होने की सजा मिली

चुनावी पंडित एमसीडी चुनाव 2022 की बारीकियों में जाएंगे, समीकरण समझाएंगे, लेकिन आप किसी दिल्ली वाले से पूछिए तो वो आपको दो टूक समझा देगा कि एमसीडी में बदलाव क्यों जरूरी था. पिछले पंद्रह सालों में बीजेपी शासित एमसीडी ने क्या किया है, ये जमीन पर दिखता ही नहीं.

गली मोहल्लों में कूड़े का वही हाल है. एमसीडी के स्कूलों और अस्पतालों की बदहाली बदस्तूर जारी है. अवैध निर्माण जारी हैं. सबसे बड़ी बात एमसीडी में काम करने का ढर्रा नहीं बदला है. आज भी एमसीडी में आम नागरिक के लिए काम कराना, पहाड़ चढ़ने जैसा है. भ्रष्टाचार जारी है. सिस्टम सुधरा नहीं है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

केजरीवाल पर भरोसा

केजरीवाल ने एमसीडी के स्कूल-अस्पताल के सामने अपने स्कूल और अस्पताल रखे. चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार कहा कि अगर दिल्ली सरकार के स्कूल और अस्पताल जैसे एमसीडी के स्कूल और अस्पताल चाहते हो तो आम आदमी पार्टी को वोट दो. बीजेपी लगातार कहती रही कि केजरीवाल के दावे झूठे हैं. जाहिर है दिल्ली की जनता को ये बात सच नहीं लगी कि केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं.

दिल्ली की जनता बीजेपी शासित एमसीडी से कितनी परेशान होगी, इसका अंदाजा आप इससे भी लगा लीजिए कि उसने बड़ा रिस्क लिया है. भले ही दिल्ली में केजरीवाल की सरकार हो, भले ही कल एमसीडी पर आम आदमी पार्टी का कब्जा हो लेकिन असल ताकत अब भी केंद्र के पास रहेगी. तो दिल्ली की जनता ने इस आशंका के बावजूद आम आदमी पार्टी को एमसीडी में बिठाया है कि कल को केंद्र और दिल्ली के बीच ठनी तो काम अटकेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जुमला नहीं, काम चाहिए

संसद में जब एमसीडी के एकीकरण पर बहस चल रही थी तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बड़े-बड़े दावे किए. उनकी बातों को फेस वैल्यू पर लेंगे तो लगेगा कि दिल्ली चमन बन गई है, लेकिन सच ये नहीं है.

एक उदाहरण देखिए. क्विंट ने आरटीआई के हवाले से एक खबर छापी थी. बीजेपी ने 2019 में वादा किया था कि पीएम उदय योजना के तहत दिल्ली के 40 लाख लोगों को उनके मकानों का मालिकाना हक दिया जाएगा. इस आरटीआई से हमें जानकारी मिली कि योजना के ऐलान के 3 साल बाद भी सिर्फ 14 हजार लोगों को इसका फायदा मिला.

2022 चुनाव से पहले उसी योजना की रिपैकेजिंग कर दी गई और खूब बेचा गया. रिपैकेजिंग की रवायत है कि उसका चेहरा मोहरा बदल दिया जाए. लिहाजा इस बार बीजेपी ने 50 लाख लोगों को मालिकाना हक देने का वादा किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन पब्लिक पॉलिटिकल रिपैकेजिंग की चाल को समझ चुकी है. केंद्र के चुनाव में वोटर के पास शायद विपक्ष से कोई विकल्प नहीं मिलता, लेकिन हमने देखा है कि एमसीडी जैसा हाल कई राज्यों के चुनावों में हुआ है.

हिमाचल में सत्तारूढ़ बीजेपी को कांग्रेस कांटे की टक्कर दे रही है. इससे पहले महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान में बीजेपी हारी. पंजाब हारी. हरियाणा हारते-हारते बची. जाहिर है लोकल चुनाव-लोकल मुद्दों पर लड़े जा रहे हैं. तो एमसीडी चुनाव के नतीजे एक बार फिर यही संदेश दे रहे हैं कि कोई पार्टी कितनी भी पराक्रमी क्यों न हो, उसमें कितने ही चक्रवर्ती नेता क्यों न हों, काम नहीं करेंगे तो वोटर सजा देगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×