आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने बीजेपी की केंद्र सरकार के दिल्ली सेवा विधेयक की कड़ी आलोचना की. उन्होंने बिल को ‘राजनीतिक धोखाधड़ी’ और ‘संवैधानिक पाप’ करार दिया. सांसद राघव चड्ढा ने विधेयक को सदन में अब तक प्रस्तुत सबसे अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अवैध कानून बताया है.
कभी बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी संसद में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते थे लेकिन, अब वही बीजेपी दिल्ली सरकार के अधिकार कम कर रही है.राघव चड्ढा, AAP सांसद
राघव चड्ढा ने इस बात पर जोर दिया कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था कि दिल्ली सरकार में सिविल सेवक मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह हैं. यह जवाबदेही सरकार के लोकतांत्रिक और जवाबदेह स्वरूप के लिए आवश्यक है.
बीजेपी को ध्यान दिलाते हुए राघव चड्ढा ने ‘नेहरूवादी’ रुख अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि यह उनके तात्कालिक एजेंडे के अनुकूल है.
उन्होंने राज्य के लिए अनुभवी नेताओं के ऐतिहासिक संघर्ष का संदर्भ देते हुए बीजेपी से दिल्ली के लिए वाजपेयीवादी या आडवाणीवादी नजरिया अपनाने का आग्रह किया.
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 2003 में दिल्ली राज्य विधेयक भी पेश किया था.
घोषणा पत्र और विधेयक की प्रतियां प्रदर्शित करते हुए राघव चड्ढा ने 1977 से 2015 तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने को लेकर बीजेपी की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि कृपया आडवाणी जी की इच्छा पूरी करें.
महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध के बीच समानताएं दर्शाते हुए राघव चड्ढा ने रामधारी
दिनकर की मशहूर पंक्तियों का जिक्र किया...
"दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर इसमें भी यदि कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल पांच ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम.
हम वहीं खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असि न उठाएंगे.
दुर्याेधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे हरि को बांधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला.
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है."
सोमवार को राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली के अधिकारी दिल्ली की चुनी हुई जनता के प्रतिनिधियों के प्रति जवाबदेह हैं. इस सिद्धांत के विपरीत यह बिल दिल्ली की निर्वाचित सरकार से नियंत्रण को अनिर्वाचित एलजी को स्थानांतरित कर इस जवाबदेह संरचना को कमजोर करता है.
उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यादेश का उद्देश्य दिल्ली सरकार की शक्ति और लोगों के जनादेश को कम करना है. इस दौरान सांसद राघव चड्ढा ने पांच अहम बिंदुओं को रेखांकित किया, जो उनके मुताबिक विधेयक को असंवैधानिक बनाते हैं.
यह विधेयक अध्यादेश बनाने की शक्तियों का दुरुपयोग है. साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को सीधी चुनौती, संघवाद का क्षरण और जवाबदेही की ट्रिपल श्रृंखला को खत्म करता है.
राघव चड्ढा ने तर्क दिया कि विधेयक एक निर्वाचित सरकार से उसके अधिकार छीन लेता है और इसे एलजी के अधीन नौकरशाहों के हाथों में सौंपता है. यह विधेयक निर्वाचित अधिकारियों पर अनिर्वाचित अधिकारियों के प्रभुत्व का प्रतीक है.
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