ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिवसेना के सामने झुकने को तैयार बीजेपी, ‘हिंदुत्व’ की कसम दिलाई

शिवसेना के साथ बीजेपी का इमोशनल अत्याचार

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

शिवसेना अपने वचन से मुकर सकती है? शिवसेना के लिए बीजेपी की बातों में अचानक इतनी मिठास आ गई है जो उसे फैसला बदलने को मजबूर कर सकती है. मैं शिवसेना के उस वचन और प्रतिज्ञा की बात कर रहा हूं जो कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे और पूरी पार्टी ने मिलकर किया था.

ये प्रण था 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का, बीजेपी से अलग लड़ने का. लेकिन संजय राउत और मुख्यमंत्री फड़णवीस के बीच की बातचीत रूठों को मनाने जैसी थी.

फड़णवीस ने अपने इंटरव्यू करने वाले राउत के लिए हिंदुत्व का कार्ड चल दिया, हिंदू के नाम पर ही साथ आने की नसीहत दे डाली. महाराष्ट्र के सीएम को याद आ गया कि वो और शिवसेना दोनों हिंदुत्ववादी पार्टियां है, इसलिए बोले...

छद्म धर्मनिरपेक्ष’ विपक्ष का -मुकाबला करने के लिए सभी ‘हिन्दुत्ववादी धर्मनिरपेक्ष’ दल को एक जुट होना होगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘गिले-शिकवे भुलाकर गले लग जाओ’

पहले तकरार और अब प्यार शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में अचानक मिठास सी आने लगी है. बीजेपी नेता जिस तरह से शिवसेना के बारे में अच्छा अच्छा कह रहे हैं उससे बीजेपी पर 2019 के लोकसभा दबाव का डर साफ नजर आ रहा है.

बीजेपी के खिलाफ सबसे तीखे बोल बोलने वाले शिवसेना नेता संजय राउत ने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस का इंटरव्यू लिया तो फड़णवीस का अंदाज मनाने और पुचकारने की तरह बना रहा. मतलब मुख्यमंत्री को ऊपर से भी संदेश मिला होगा और खुद वो मानने लगे हैं कि 2019 में तो साथियों की जरूरत तो पड़ेगी.

शिवसेना और बीजेपी के बीच 2014 से ही मतभेद चल रहे हैं. दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव साथ लड़ा पर उसी साल हुआ विधानसभा चुनाव अलग अलग लड़ा. लेकिन महाराष्ट्र में ‘लोकमत महाराष्ट्रियन 2018’ कार्यक्रम के दौरान शिव सेना नेता संजय राउत को दिए अपने इंटरव्यू में फडणवीस ने बिना लाग लपेट कह दिया कि साथ आ जाओ.

फड़णवीस ने शिवसेना को मनाते हुए कहा

सेक्युलर पार्टियों से लड़ने के लिए बीजेपी और शिव सेना के बीच के मतभेद भी जल्द दूर होंगे. और 2019 का चुनाव दोनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ेंगी.
देवेंद्र फड़णवीस, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

बालासाहेब की याद आई

फडणवीस ने शिव सेना के फाउंडर बालासाहब को याद करते हुए कहा कि शिवसेना की कमान भले ही अब उद्धव ठाकरे के पास हो लेकिन पार्टी आज भी बाला साहब के दिखाए रास्ते पर ही चलती है.

यह बाला साहब का भी मानना था कि छद्म धर्मनिरपेक्षता के दिखावे को हराने के लिए सभी हिन्दुत्ववादी दलों को साथ आना होगा और मैं भी यह कह सकता हूं कि आने वाले समय में ऐसा ही होगा.
0

उद्धव ठाकरे बन सकते थे सीएम

संजय राउत ने फडणवीस से पूछा कि बीजेपी को 2014 विधानसभा चुनाव में शिवसेना से गठबंधन तोड़ते वक्त बालासाहब की हिंदुत्व की सोच की याद क्यों नहीं आई? जवाब में फडणवीस ने शिव सेना पर इल्जाम मढ़ते हुए कहा,

शिव सेना चार सीटों के लिए जिद पर अड़ी थी. जिसकी वजह से गठबंधन टूट गया. हमने आपको 147 सीट ऑफर किया था लेकिन आप लोग 151 पर अड़े थे. क्या आप ने ऑफर मंजूर किया था. अगर आप मान लेते तो शिव सेना को बीजेपी से भी ज्यादा सीटें मिलती, और आप या उद्धव ठाकरे में से कोई महाराष्ट्र के सीएम बनते.
देवेंद्र फड़णवीस, मुख्यमंत्री महाराष्ट्र
ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिव सेना का फ्यूचर प्लान

राउत ने फडणवीस से पूछा कि वो शिव सेना के फ्यूचर प्लान के बारे में कैसे बात कर सकते हैं जबकि उन्हें ये नहीं पता कि आरएसएस अगला कदम क्या चलेगी?

जवाब में फडणवीस ने कहा कि “शिवसेना एक राजनीतिक दल है, इसलिए वो भविष्य में क्या करेगी इसका अंदाज लगाना आसान है. लेकिन जहां तक आरएसएस की बात है तो उसका कोई राजनीतिक बाध्यता नहीं है. उनका प्रोग्राम पहले से फिक्स होता है कि आगे क्या करना है, और वो उसी हिसाब से चलते हैं.”

फडणवीस के इन बयानों से साफ है कि बीजेपी ने शिवसेना को मनाने के लिए तमाम कोशिशें शुुरू कर दी हैं.

आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी के एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी ने अपने सहयोगियों को मनाने के लिए तेवर नरम करने शुरु कर दिए हैं. बीजेपी को मालूम है कि आगे जिस तरह के हालात हैं उसे सहयोगियों की जरूरत होगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×