पीएम मोदी के पास बहुमत है, पर अविश्वास प्रस्ताव तय करेगा 2019 के महाभारत में कौन किस तरफ है. इसलिए शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव में बीजेडी के नवीन पटनायक और टीआरएस के चंद्रशेखर राव का रोल अहम है क्योंकि अपने अपने राज्यों के ये एकछत्र नेता हैं.
एनडीए के कई सहयोगी नाराज है इसलिए बीजेपी चाहती है एनडीेए का विस्तार हो जिसमें अगर नवीन पटनायक और चंद्रशेखर राव आ जाएं तो अच्छा है, अगर ना भी आएं तो कम से कम यूपीए से भी दूरी बनाए रखें.
तो क्या करेंगे बीजू जनता दल और टीआरएस के नेता?
बीजेडी और टीआरएस पर टिकीं सबकी निगाहें
बीजू जनता दल ने अपने सभी सांसदों को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में मौजूद रहने को कहा है. पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी सदन में ही तय करेगी कि उसे क्या करना है?
विपक्ष को उम्मीद है कि ये दोनों दल अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करेंगे. लेकिन बीजेपी को लगता है कि अगले साल होने वाले आम चुनावों को देखते हुए दोनों पार्टियां बीच का रुख अपनाएंगी.
लोकसभा में उड़ीसा के बीजू जनता दल (बीजेडी) के 20 और टीआरएस के 11 सांसद हैं.
BJP को 314 सांसदों के समर्थन की उम्मीद
बीजेपी को उम्मीद है कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 314 सांसदों का समर्थन का वोट मिलेगा. अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष लाता है इसलिए सरकारी पक्ष इसके विरोध में ही वोट डालेगा. पार्टी नेताओं के आकलन के मुताबिक, सरकार को एनडीए के घटक दलों के अलावा अंबुमणि रामदास की अगुवाई वाले पीएमके और राजू शेट्टी के नेतृत्व वाले स्वाभिमानी पक्ष से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है. हालांकि शेट्टी और रामदास अब एनडीए में शामिल नहीं हैं, इसके बावजूद सरकार को उम्मीद है कि वे वोटिंग के दौरान प्रस्ताव का विरोध करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बीजेडी और टीआरएस की तरफ इशारा करते हुए उम्मीद जताई कि सरकार को एनडीए के बाहर के दलों से भी समर्थन मिलेगा.
क्या कहता है वोटों का गणित?
लोकसभा में अभी 535 सदस्य हैं उनमें सरकार को 268 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.
अभी लोकसभा में एनडीए के 314 सदस्य हैं. इसमें लोकसभा अध्यक्ष को लेकर बीजेपी के 274, शिवसेना के 18, एलजेपी के छह और एसएडी के छह सदस्य हैं.
कांग्रेस को उम्मीद 'सफल' रहेगा अविश्वास प्रस्ताव
कांग्रेस का कहना है कि वह शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा के दौरान विभिन्न मोर्चों पर नरेन्द्र मोदी सरकार की 'विफलताओं और जुमलों को उजागर करेगी और उसे उम्मीद है कि इस प्रस्ताव पर वह ''सफल'' रहेगी.
संख्याबल के सवाल पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने पत्रकारों से कहा, ''किसने कहा कि हमारे पास संख्या नहीं है?''
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मोदी सरकार पर 'पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि रोजगार, कृषि क्षेत्र में संकट, महिला सुरक्षा, लोकपाल की नियुक्ति नहीं होना, दलितों पर हमले और एससी-एसटी कानून को कमजोर करना, बैंकिंग क्षेत्र के घोटालों, जम्मू-कश्मीर की स्थिति, महंगाई, पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी तथा आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज की मांग पूरी नहीं होने के मुद्दे चर्चा के दौरान उठेंगे.
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