वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार ने बहस छेड़ दी है, लेकिन चुनाव आयोग के मुताबिक भारत में फिलहाल ऐसा होना मुमकिन नहीं है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक भारत में एक देश, एक चुनाव होने के लिए अभी सही समय नहीं है. इसके अलावा एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त का भी यही कहना है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उनका कहना है कि यह प्रस्ताव जितना उचित है, उतना ही अनुचित भी है.
कानून व्यवस्था का दिया हवाला
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक अगर एक देश एक चुनाव का मॉडल या इसका विचार संभव होता तो इस साल 2019 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाते. लेकिन आयोग ने ऐसा नहीं किया. इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में कराए गए थे. 11 अप्रैल से शुरू होकर चुनाव 19 मई को जाकर खत्म हुए. सूत्रों ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि यह चुनाव कराने के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. क्योंकि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या सीमित है. इसीलिए एक साथ चुनाव कराना इतना आसान साबित नहीं होने वाला है. देश में 90 करोड़ से ज्यादा वोटर्स हैं, एक साथ चुनाव की तैयारी फिलहाल मुमकिन नहीं है.
पीएम मोदी पहले भी एक देश, एक चुनाव की बात करते आए हैं. अपनी इस महत्वाकांशी योजना के पीछे उनका तर्क है कि इससे करोड़ों रुपये बचेंगे और विकास कार्यों में बार-बार होने वाली रुकावट भी बंद हो जाएगी. इसके लिए पीएम ने बुधवार को बजट सत्र की शाम एक बैठक भी बुलाई थी
येचुरी बोले, 'राष्ट्रपति शासन की कोशिश'
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के केंद्र सरकार के विचार को असंवैधानिक और संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि यह देश में संसदीय प्रणाली की जगह पिछले दरवाजे से राष्ट्रपति शासन लाने की कोशिश है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक में हुई बातचीत के बारे में कहा, “लगभग सभी दलों ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का समर्थन किया है. CPI(M) और CPI का इसके लागू किए जाने के तरीके पर मतभेद था. इस पर सुझाव देने के लिए एक कमेटी के गठन की बात कही है.
पीएम मोदी की तरफ से बुधवार शाम को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मायावती-ममता बनर्जी के अलावा कई और विपक्षी नेता भी शामिल नहीं हुए. टीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया. उनकी जगह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बेटे के टी रामा राव बैठक में शामिल हुए. वहीं अरविंद केजरीवाल, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, चंद्रबाबू नायडू समेत कई और नेता भी बैठक में नहीं पहुंचे.
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