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क्यों ED के रडार पर हैं राज ठाकरे, क्या है कोहिनूर मामला?

एमएनएस ने पूछा है कि ईडी ने अब तक बीजेपी के किसी नेता को समन क्यों नहीं भेजा है. 

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम मनोहर जोशी के बेटे उन्मेष जोशी ईडी के रडार पर हैं. राज ठाकरे से ईडी पूछताछ कर रहा है. इस मामले को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है. MNS ने यहां तक कहा कि राज ठाकरे को ED का नोटिस मिलने से दुखी एक पार्टी कार्यकर्ता ने खुदकुशी तक कर ली. लेकिन ये मामला है क्या? आखिर गड़बड़ी क्या हुई है, जिसकी जांच हो रही है?

राज ठाकरे ईडी के रडार पर क्यों? क्या है मामला ?

ईडी सरकारी क्षेत्र की कंपनी IL&FS की ओर से मुंबई की कोहिनूर CTNL कंपनी को दिए 860 करोड़ रुपये के लोन और इन्वेस्टमेंट की जांच कर रहा है. ईडी कंपनी के शेयर होल्डिंग और निवेश की जांच कर रहा है. बता दें कि कोहिनूर मिल्स नंबर 3 को खरीदने के लिए शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी के बेटे उन्मेष जोशी, एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और उनके करीबी राजन शिरोडकर ने मिलकर साल 2003 में सौदा किया था जिसमें IL&FS ने 225 करोड़ का निवेश किया था. कुल मिलाकर कोहिनूर मिल की वो जमीन 421 करोड़ में खरीदी गई.

साल 2008 में IL&FS ने बड़ा नुकसान उठाते हुए कंपनी में अपने शेयर्स को महज 90 करोड़ रुपये में सरेंडर कर दिया. उसी साल राज ठाकरे ने भी अपने शेयर बेच दिए थे और कंपनी से बाहर निकल गए थे. अपना शेयर सरेंडर करने के बाद भी IL&FS ने कोहिनूर सीटीएनएल को एडवांस लोन दिया, जिसे कथित तौर पर कोहिनूर सीटीएनएल चुका नहीं पाई.

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साल 2011 में कोहिनूर सीटीएनएल कंपनी ने अपनी कुछ संपत्तियां बेचकर 500 करोड़ रुपये का लोन चुकाने के समझौते पर साइन किया. इस समझौते के बाद भी IL&FS ग्रुप ने कोहिनूर सीटीएनएल को 135 करोड़ रुपये का और लोन दे दिया. अब ED इसी मामले की जांच कर रही है.

कोहिनूर: आज की स्थिति

कोहिनूर CTNL ने इस पुरानी मिल की 4.8 एकड़ की प्रॉपर्टी पर पहले मॉल बनाने की योजना बनाई थी. फिर यहां एक बड़ा फाइव स्टार होटल बनाने की योजना बनी. फिर इसे मिक्स्ड कॉमर्शियल यूज टावर बनाने की योजना बनी. योजना थी कि यहां एक कॉमर्शियल टावर बने और बगल में एक रिहाइशी इमारत. लेकिन ये मामला भी अटक गया. दरअसल BMC ने इमारत में अतिरिक्त फ्लोर स्पेस की इजाजत दी थी ताकि पब्लिक पार्किंग बनाई जा सके. लेकिन फिर ये नीति बदल गई पार्किंग स्पेस को तोड़ने का आदेश हुआ. मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इस तरह से प्रोजेक्ट देर हुआ और घाटा बढ़ता गया. इस बीच एडिलवाइस असेट रिकंट्रक्शन कंपनी ने बकाए लोन की वसूली के लिए NCLT में अपील की. NCLT ने जनवरी 2019 में प्रोजेक्ट संदीप शिर्के एंड एसोसिएट्स को दे दिया. अब प्रोजेक्ट को 2021 में पूरा करने की बात है.

कंपनी के मौजूदा एमडी संदीप शिर्के को राज ठाकरे का अच्छा दोस्त माना जाता है. संदीप शिर्के की भी जांच ED ने की है. संदीप ही कोहिनूर बिल्डिंग के आर्किटेक्ट भी हैं.

मौजूदा स्थिति ये है कि डेवलपर जब प्रोजेक्ट के लिए बैंक गारंटी मुहैया कराएंगे तो उन्हें BMC से पार्शियल ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलेगा.

फडणवीस ने कहा,गुनाह नहीं किया तो घबराने की क्या जरूरत?

नोटिस के जवाब में एमएनएस की ओर से बदले की कार्रवाई के आरोप के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘’ED का राज ठाकरे को नोटिस आया है इस बात की जानकारी मुझे मीडिया के जरिये ही मिली’’.अगर राज ठाकरे ने कोई गुनाह नहीं किया है तो उन्होंने घबराने की जरूरत नहीं है. ED से राज्य सरकार का कोई संबंध नहीं आता. ED एक स्वायत्त संस्था है. अगर कोई कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगा तो वो किसी भी पार्टी का हो सख्त करवाई होगी.

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MNS ने कहा बदले की राजनीति,NCP ने भी किया समर्थन

राज ठाकरे को ED के नोटिस के बाद MNS नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि बीजेपी और मोदी सरकार बदले की राजनीति कर रही है. पार्टी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से राज ठाकरे ने मोदी सरकार के झूठ को बेनकाब करने का काम किया उसका बदला लिया जा रहा है. पार्टी इससे डरने वाली नहीं है. देशपांडे ने पूछा कि बीजेपी सत्ता में आने के बाद कितने बीजेपी नेताओं की ED ने जाृच के लिये अब तक बुलाया है? विपक्ष के नेताओं को परेशान करने की ये नीति देश की जनता अच्छी तरह जानती है.

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सूत्रों के मुताबिक स्कवेयर टावर के जरिये ED राज ठाकरे के दूसरी कारोबारी गतिविधियों की जांच की फिराक में है. साथ ही ईडी यह भी जानना चाहता है कि स्कवेयर टावर की जमीन खरीदने के लिए पैसा कहां से आया. राज ठाकरे किस तरह की कारोबारी गतिविधियों में सक्रिय हैं.

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