भारतीय किसान यूनियन(बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो किसान प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक के लिए चलेगा. टिकैत ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, "अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी, तो हम 2024 तक भी धरने पर बैठे रहेंगे."
उन्होंने आगे कहा, "जब तक तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, एमएसपी पर एक कानून नहीं बनाया जाता है और स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू नहीं किया जाता है, हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे." टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार केवल कमीशन एजेंटों को लाभान्वित कर रही है.
'दिल्ली के लोग आंदोलन का हिस्सा'
जब किसान प्रदर्शन के कारण दिल्ली के लोगों को हो रही असुविधा के बारे में न्यूज एजेंसी IANS ने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा, "दिल्ली के लोग खुद इस आंदोलन का हिस्सा हैं."
किसान नेता दर्शन पाल बोले- बातचीत के लिए माहौल बनाए सरकार
आंदोलन की दिशा को जानने के लिए द क्विंट ने वरिष्ठ किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ दर्शन पाल सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि किसानों का ये आंदोलन लगातार चलता रहेगा. साथ ही सरकार के साथ बातचीत को लेकर भी दर्शन पाल ने हमसे बात की. उन्होंने कहा,
“हमारा आंदोलन चल रहा है और हम काफी अच्छी स्थिति में हैं. सरकार से बातचीत की अगर बात करूं तो इसके लिए मोदी जी ने कल स्टेटमेंट दिया था. लेकिन इसके लिए पहले कोई माहौल बने, कोई इनविटेशन आए या फिर कोई प्रपोजल आए. हम भी बातचीत करने के लिए तैयार हैं.”
हमने दर्शन पाल सिंह से टिकैत के उस बयान को लेकर सवाल पूछा, जिसमें उन्होंने कहा है कि फिलहाल 2 अक्टूबर तक वो आंदोलन करेंगे और उसके बाद आगे की तैयारी की जाएगी. इस पर दर्शन पाल सिंह ने कहा, “टिकैत ने ये बयान स्टेज में दिया था, लेकिन हमारा संघर्ष लंबा चलेगा. हमारा आंदोलन लगातार चलता रहेगा, जैसे पिछले ढ़ाई महीने से चल रहा है. आगे की तैयारी बैठकों में की जाएगी. कल संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.”
‘पीएम अपने रवैये से खुद आंदोलन को दे रहे हैं ऊर्जा’
आंदोलन के भविष्य को लेकर हमने ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) के सदस्य अविक साहा से भी बातचीत की. जिन्होंने बताया कि,
“ये आंदोलन अब किसानों और सरकार दोनों के लिए कठिन मोड़ की तरफ बढ़ रहा है. किसानों के लिए इसलिए क्योंकि इतनी बड़ी भीड़ को मैनेज करना, खिलाना-पिलाना अभूतपूर्व है. इसका कोई तर्जुबा भी नहीं है. ये बहुत कठिन काम है. सरकार के लिए इसलिए कठिन है, क्योंकि सरकार जितना अड़ियल रवैया अपनाएगी, उतनी ही किसानों की लड़ने और जूझने की ताकत बढ़ेगी. प्रधानमंत्री ने जो संसद में रवैया दिखाया, उससे वो खुद आंदोलन को ऊर्जा दे रहे हैं.”
साहा ने बताया कि, ये आंदोलन लगातार चलता रहेगा. किसान आंदोलन जब तक दिल्ली में है, ये पूरे भारत में फैलता जाएगा. अगर फैलता जाएगा और एक दो चुनाव पर इसका असर पड़ेगा तो पीएम सिर झुका लेंगे. पीएम अपने दोस्तों को ऐसे सड़कों पर नहीं छोड़ सकते हैं और किसान अपनी मांगे पूरी होने तक सड़क नहीं छोड़ेगा. साहा ने ये भी बताया कि अगर बातचीत होती है तो सरकार को कानून वापसी पर ही बात करनी होगी.
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