हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार पर अब खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. किसानों का प्रदर्शन हरियाणा की बीजेपी सरकार पर भारी पड़ सकता है. क्योंकि सरकार बनाने में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली जेजेपी ने किसानों का समर्थन किया है. साथ ही कहा है कि अगर एमएसपी के साथ छेड़छाड़ हुई तो पहला इस्तीफा पार्टी चीफ और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का ही होगा.
पार्टी के 10 विधायकों के समर्थन से हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर ने सरकार बनाई थी, लेकिन अब जेजेपी के सभी विधायक किसानों के साथ खड़े होने की बात कर रहे हैं, साथ ही केंद्र से जल्द किसानों के मसले को सुलझाने की अपील भी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि केंद्र और किसानों के बीच हो रही चौथे दौर की बैठक के बाद पार्टी अपना स्टैंड साफ कर सकती है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि जेजेपी पहले से ही किसान आंदोलन को लेकर अपना सख्त रुख अपनाए हुए थी. पहले पार्टी ने इस मामले को लेकर ज्यादा बयानबाजी नहीं की. लेकिन आंदोलन को बढ़ता देख अब पार्टी सीधे किसानों के हितों की बात कर रही है.
जबकि पार्टी के नेता अजय चौटाला ने मंगलवार को कहा था कि, जब पीएम नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बार-बार ये कह रहे हैं कि एमएसपी जारी रहेगी तो कृषि कानूनों से किसी तरह का नुकसान नहीं होगा.
जेजेपी ने क्यों बदला अपना स्टैंड?
अब सवाल ये है कि कृषि कानूनों का समर्थन कर रही जेजेपी ने अब अपनी रुख क्यों बदल लिया है और क्यों किसानों के साथ खड़े होने की बात की जा रही है. जेजेपी पर कई चीजों से दबाव बनता गया.
सांगवान का समर्थन वापस लेना और खाप का दबाव
हरियाणा के दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने किसानों के समर्थन में खट्टर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. सांगवान खाप नेता भी हैं, उन्होंने समर्थन वापस लेने के साथ ही ऐलान किया कि वो हरियाणा लाइव स्टॉक बोर्ड से भी इस्तीफा दे रहे हैं. इसके अलावा कई और खाप पंचायतों ने किसानों के समर्थन का ऐलान किया है. साथ ही जेजेपी को अपना स्टैंड भी क्लियर कर दिया है.
किसानों पर बीजेपी नेताओं के आरोप
अब जेजेपी पर एक और बात से किसानों के समर्थन का दबाव बना. हरियाणा में प्रदर्शन करने वाले कई किसान नेताओं और किसानों पर केस दर्ज कर दिए गए. हरियाणा सरकार पर आरोप लगा कि उसने किसानों पर जानबूझकर कार्रवाई की, जबकि केंद्र सरकार ने दिल्ली में उन्हें प्रदर्शन की इजाजत दे दी थी. खट्टर सरकार ने किसान आंदोलन को खालिस्तान से भी जोड़ दिया, जिससे सरकार के प्रति और ज्यादा नाराजगी बढ़ गई. वहीं जब केंद्र सरकार लगातार किसानों से बात कर रही तो भी हरियाणा के बीजेपी नेता लगातार किसानों पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी नेता जेपी दलाल ने तो कहा कि चीन और पाकिस्तान भारत में अशांति पैदा करना चाहते हैं.
अब जेजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही थी कि उसके कोर वोटर जाट हैं. जिनमें से ज्यादातर किसान ही हैं. कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और निर्दलीय जाट विधायक किसानों के साथ खड़े हैं और किसानों को किसी न किसी तरह से सपोर्ट कर रहे हैं. ऐसे में जेजेपी के लिए भी किसान आंदोलन के साथ खड़ा होना जरूरी हो गया है.
विपक्षी दलों का दबाव
एक दूसरा एंगल ये भी है कि जेजेपी और आईएनएलडी का वर्चस्व जींद, हिसार, कैथल और फतेहाबाद जैसे जिलों में है. जो पंजाब से काफी करीब हैं, इसीलिए यहां के किसान संगठनों का पंजाब के किसान संगठनों के साथ काफी अच्छा रिश्ता है. वहीं इस मामले पर अब कांग्रेस और आईएनएलडी ने जेजेपी की आलोचना शुरू कर दी है और कहा जा रहा है कि वो किसानों के लिए स्टैंड नहीं ले रही है.
अब आगे क्या?
अब फिलहाल दुष्यंत चौटाला और जेजेपी के अन्य नेताओं की नजरें किसानों की केंद्र के साथ हो रही बैठक पर हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि किसानों का प्रदर्शन खत्म करने के लिए सरकार एमएसपी को लेकर लिखित में गारंटी दे सकती है. अगर ऐसा हुआ तो ये जेजेपी के लिए एक राहत भरी खबर होगी.
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