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पांच राज्यों के नतीजों का राष्ट्रपति चुनाव पर कितना असर पड़ेगा?

राष्ट्रपति के चुनाव में अहम भूमिका UP की होती है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट यहीं से होते हैं.

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पांच राज्यों के चुनावी नतीजे (5 State Election Result) सिर्फ इन राज्यों नहीं बल्कि देश की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रपति चुनाव पर भी असर डालेंगे. नए राष्ट्रपति का चुनाव इसी साल जून-जुलाई में होना है. 24 जुलाई को राष्ट्रपति (President) रामनाथ कोविंद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. जाहिर है उससे पहले राष्ट्रपति का चुनाव होना है.

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राष्ट्रपति के चुनाव में अहम भूमिका UP की होती है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट यहीं से होते हैं.पूरे देश का मिलाकर राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,98,882 वोट हैं. UP में 403 विधानसभा सीटें हैं. यूपी देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है. राज्य के एक विधायक की वोट का वेटेज 208 है. ऐसे में उत्तर प्रदेश विधानसभा के कुल वोट का वेटेज 83,824 होता है. जो कि किसी भी अन्य राज्य की तुलना में काफी ज्यादा है. बीजेपी की बड़ी जीत का बड़ा फायदा ये हो सकता है कि एनडीए को अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुनने का मौका मिले.
राष्ट्रपति के चुनाव में अहम भूमिका UP की होती है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट यहीं से होते हैं.

कौन करता है राष्ट्रपति को वोट

(फोटो: शाकिब)

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भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?

सबसे पहले तो राष्ट्रपति का चुनाव आम जनता नहीं करती है, बल्कि इसका चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं.

यानी 4120 विधायक और 776 सांसद मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते रहे हैं. नॉमिनेटेड सांसदों को वोट देने का अधिकार नहीं होता.

लेकिन इन सभी के वोटों का वैल्यू अलग-अलग होता है. लोकसभा और राज्यसभा के वोट की वैल्यू एक होती है और विधानसभा के सदस्यों की अलग होता है. ये राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है.

राष्ट्रपति के चुनाव में अहम भूमिका UP की होती है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट यहीं से होते हैं.

विधायकों की कितना वैल्यू

(फोटो: शाकिब)

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विधायकों के वोटों की वैल्यू

राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों की वोट वैल्यू अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या के हिसाब से बदलती है. यानी जिस राज्य की आबादी ज्यादा होती है उसकी वैल्यू ज्यादा. किसी राज्य के विधायक की वैल्यू उस स्टेट की टोटल जनसंख्या से 1000 से डिवाइड कर उसमें टोटल विधायकों की संख्या से मल्टीप्लाई करके निकाली जाती है. इस लिहाज से उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सबसे ज्यादा है तो यहां के विधायकों की वैल्यू सबसे ज्यादा हुई. इस कैलकुलेशन से दिल्ली के एक विधायक के वोट का मूल्य 58, यूपी में 208 और सिक्किम में 7 होता है.

उत्तर प्रदेश में सभी विधायकों के वोटों की वैल्यू 83,824 है, वहीं दिल्ली में विधायकों की वैल्यू 4020 है, पंजाब में 13572, उत्तराखंड में 4480 और मणिपुर में 1080 है, देश सभी राज्यों के विधायकों के वोटों की कुल वैल्यू 5,49495 है.

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सांसदों के वोटों की वैल्यू

राष्ट्रपति के चुनाव में अहम भूमिका UP की होती है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट यहीं से होते हैं.

अब बात करते हैं सांसदों के वोटों की वैल्यू की, इनकी वैल्यू निकालने के लिए सभी विधायकों के टोटल वोटों की वैल्यू को सांसदों की संख्या से डिवाइड करते हैं यानी 5,49495 से 776 को भाग देंगे तो 708 आएगा, यानी हर सांसद के पास 708 वोट हैं. अब सांसदों के वोटों की वैल्यू यानी 708 को पूरे सांसदों की संख्या 776 से मल्टीप्लाई करेंगे तो इनकी पूरी संख्या 549408 होगी, अब विधायक और सासंदों की संख्या यानी 5,49495 और 549408 को एक साथ जोड़ देंगे तो 10,98,903 वोट होगा. साफ है कि जिस पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक और सांसद होंगे उस पार्टी का पलड़ा भारी होगा.

इस वक्त बीजेपी के विधायक हों या सांसद सबसे ज्यादा है तो ऐसे हालात में उसका पलड़ा भारी है.

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