राज्यसभा के लिए नामित किए गए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने नामांकन को लेकर विवाद पर फिलहाल ज्यादा कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया है. जस्टिस गोगोई ने कहा कि पहले वो सदस्य के रूप में अपनी शपथ ग्रहण करेंगे और उसके बाद सदस्यता स्वीकार करने का कारण बताएंगे. वहीं उन्हें नामित करने पर विपक्षी दलों ने अपना हमला और तेज कर दिया.
सोमवार 16 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था. जस्टिस गोगोई नवंबर 2019 में ही भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर करीब 13 महीने के अपने कार्यकाल के बाद रिटायर हुए थे.
राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद से ही विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार और जस्टिस गोगोई को निशाने पर लिए हुए हैं और दोनों की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं.
विवाद के बीच जस्टिस गोगोई ने मंगलवार को कहा कि वो पहले दिल्ली जाएंगे और शपथ के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे.
ANI के मुताबिक जस्टिस गोगोई ने कहा,
“मैं शायद कल दिल्ली जाउंगा. पहले मुझे शपथ लेने दीजिए, उसके बाद मैं विस्तार से मीडिया से बात करूंगा और बताउंगा कि मैंने ये क्यों स्वीकार किया और मैं क्यों राज्यसभा जा रहा हूं.”
वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि इससे पूरे देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठ गया है. उन्होंने कहा,
“देश की न्यायपालिका, सरकार और प्रशासन के खिलाफ देश की जनता का आखिरी हथियार है. आज पूरे देश में उसकी स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह उठ गया है.”
सुरजेवाला ने साथ ही जस्टिस गोगोई के ही एक पुराने फैसले की याद दिलाते हुए कहा,
“रंजन गोगोई ने ट्रिब्यूनल की नियुक्तियों का मुकदमा सुनते हुए कहा था कि पोस्ट रिटायरमेंट जॉब जो जजों को दी जाती हैं वो प्रजातंत्र पर धब्बा है. सरकार कहना क्या चाहती है कि बी लॉयल यानि लॉयल( ईमानदार) बनो या जज लोया बन जाओ.”
नवंबर 2019 में अपने कार्यकाल के आखिरी महीने में उन्होंने देश के सबसे बड़े विवाद, अयोध्या में विवादित भूमि के मामले में फैसला सुनाया था. जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला देते हुए राम मंदिर बनने का रास्ता साफ किया था.
इसके अलावा उन्होंने जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया था.
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