Gandey Assembly By Elections 2024: लोकसभा चुनाव के बीच झारखंड की गांडेय सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई, शाम 5 बजे तक 66.45% मतदान हो चुका है.
ढाई महीने के सार्वजनिक जीवन के सफर में जेएमएम (JMM) और इंडिया ब्लॉक के बीच एक महत्वपूर्ण चेहरा के तौर पर उभरीं कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) अब उस मोड़ पर पहुंची हैं, जहां से उनका राजनीतिक भविष्य तय होना है. कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव के लिए इंडिया ब्लॉक समर्थित जेएमएम की उम्मीदवार हैं.
लोकसभा चुनाव के पांचवें फेज के साथ गांडेय विधानसभा सीट के लिए 20 मई को उपचुनाव है, जबकि लोकसभा चुनावों के नतीजों के साथ ही चार जून को उपचुनाव के परिणाम निकलेंगे.
जाहिर तौर पर गांडेय उपचुनाव पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. गांडेय उपचुनाव का नतीजा राज्य की सियासत को भी सीधे तौर पर प्रभावित करेगा.
इसी उपचुनाव में बीजेपी की ताकत भी परखी जाएगी. कल्पना सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने दिलीप कुमार वर्मा को मौदान में उतारा है.
2019 के विधानसभा चुनाव में दिलीप कुमार वर्मा झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से चुनाव लड़े थे और 8952 वोट लाकर छठे नंबर पर थे.
जेएमएम के विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा के बाद गांडेय विधानसभा की सीट खाली हुई है.
पिछले 14 मार्च को सरफराज अहमद राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं. इन दिनों वे कल्पना सोरेन के लिए चुनावी मोर्चा संभाले हुए हैं.
उपचुनाव के आगे क्या?
गांडेय उपचुनाव के बाद आगे क्या? यह सवाल भी सूबे की राजनीति को मथ रहा है.
दरअसल, हाल के दिनों में अलग-अलग कई इंटरव्यू में कल्पना सोरेन से यह सवाल जरूर पूछा गया है कि क्या वे उपचुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं?
हालांकि, कल्पना सोरेन इस सवाल को गैर जरूरी बताती रही हैं. फिलहाल, उनका सारा ध्यान गांडेय में जीत दर्ज करने के साथ लोकसभा चुनावों में जेएमएम और इंडिया ब्लॉक के मजूबत प्रदर्शन पर है.
झारखंड में पांचवीं विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को पूरा हो रहा है. नवंबर-दिसंबर में यहां विधानसभा चुनाव हो सकते हैं.
हेमंत सोरेन जेएमएम के सबसे बड़े कर्ता धर्ता हैं और रणनीतिकार भी. पार्टी की किसी महत्वपूर्ण रणनीति और निर्णय पर उनकी सहमति/असहमति महत्वपूर्ण मानी जाती है.
कल्पना सोरेन अगर गांडेय का उपचुनाव जीतती हैं, तो हेमंत सोरेन कोई जल्दीबाजी दिखाने से पहले हर समीकरण और परिस्थितियों को भांपना जरूर चाहेंगे.
हालांकि, इसके भी संकेत साफ हैं कि कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव जीतती हैं, तो उन्हें बड़ा राजनीतिक माइलेज मिलेगा और दल में उनकी हैसियत भी बढ़ेगी. जेएमएम भी बूस्टअप होगा.
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि झारखंड कैबिनेट में एक सीट पहले से खाली रही है. यहां 12 मंत्री हो सकते हैं. पहले हेमंत सोरेन और अब चंपई सोरेन दोनों की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्री ही शामिल रहे हैं.
सरफराज अहमद का इस्तीफा
इससे पहले, 31 दिसंबर को सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दिया था. सरफराज अहमद का इस्तीफा उस वक्त सुर्खियों में रहा था.
राजनीतिक हलके में अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रवर्तन निदेशालय के समन का सामना कर रहे हेमंत सोरेन विपरीत परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के लिए कल्पना सोरेन का नाम आगे कर सकते हैं. कल्पना सोरेन पहले मुख्यमंत्री बनेंगी, फिर गांडेय का उपचुनाव लड़ेंगी.
लेकिन समय के साथ जेएमएम और सोरेन परिवार में परिस्थितियां बदलती चली गईं.
31 जनवरी की रात प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने फिर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा के बाद हेमंत सोरेन ने अगले मुख्यमंत्री के लिए जेएमएम के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन का नाम आगे कर दिया.
अब जेएमएम के अंदर- बाहर इसे हेमंत सोरेन का सूझ-बूझ वाला निर्णय भी माना जाता है.
क्या है गांडेय का ताना-बाना?
झारखंड के गिरिडीह जिले में आने वाला गांडेय विधानसभा सीट कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.
समीकरणों के लिहाज से गांडेय में आदिवासी, कुशवाहा (कोइरी) मुस्लिम और अनुसूचित जाति वर्ग के वोटों का खासा प्रभाव है. बीजेपी के उम्मीदवार कुशवाहा समुदाय से आते हैं, जबकि कल्पना सोरेन संताली आदिवासी हैं. गांडेय को जेएमएम का गढ़ भी माना जाता है.
सरफरराज अहमद 2019 से पहले दो बार यहां से कांग्रेस के विधायक रहे हैं, जबकि जेएमएम से सालखन सोरेन के नाम भी चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रहा है.
2019 के विधानसभा चुनाव में सरफराज अहमद ने बीजेपी के उम्मीदवार जयप्रकाश वर्मा को हराया था. सरफराज अहमद को 65023 और जयप्रकाश वर्मा को 56118 वोट मिले थे.
पिछले साल (2023) जयप्रकाश वर्मा बीजेपी छोड़ कर जेएमएम में शामिल हो गए थे. और अब जेएमएम से बगावत कर कोडरमा लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
20 मई को ही कोडरमा संसदीय सीट के लिए भी चुनाव है. लिहाजा, लोकसभा चुनावों की तपिश से गांडेय का उपचुनाव भी प्रभावित होता दिख रहा है.
कोडरमा संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी और इंडिया ब्लॉक समर्थित भाकपा माले के उम्मीदवार विनोद सिंह के बीच सीधी लड़ाई है.
कल्पना सोरेन हर वर्ग और हर समुदाय के समीकरणों को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी हैं.
जेएमएम की स्टार प्रचारक होने के साथ वे अपने भाषणों में जैसा प्रभाव दिखाती हैं, उसका लाभ भी उन्हें मिल सकता है.
कल्पना सोरेन हर रैली, सभा में झारखंडी सवाल, जज्बात को उभारने की कोशिशें करती रही हैं.
इन बातों पर भी उनका जोर रहा है कि केंद्र सरकार ने हमेशा झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया है और तानाशाही ताकतों ने हेमंत सोरेन को एक साजिश के तहत जेल भेजा है.
2019 के बाद से सातवां उपचुनाव
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद अलग- अलग कारणों से झारखंड में यह सातवां उपचुनाव है.
इससे पहले छह उपचुनावों में तीन पर सत्तारूढ़ जेएमएम, दो पर कांग्रेस और एक सीट- रामगढ़ में बीजेपी की एलायंस आजसू पार्टी ने जीत हासिल की है.
बीजेपी जिन 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हारी, उनमें- दुमका, मधुपुर, मांडर, बेरमो शामिल है. जबकि इन उपचुनावों में जीत हासिल कर बीजेपी सत्तारूढ़ जेएमएम और कांग्रेस को झटका दे सकती थी.
बीजेपी के लिए गांडेय का उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उसे जेएमएम में तेजी से उभरते सोरेन परिवार के एक चेहरा- कल्पना सोरेन को रोकना है.
दूसरी तरफ जेएमएम और सोरेन परिवार दोनों के लिए गांडेय का उपचुनाव उसके प्रतिष्ठा से जुड़ा है. इसलिए जेएमएम के कैडर लामबंद होते दिख रहे हैं.
उम्मीदवार और खेवनहार भी
कल्पना सोरेन गांडेय से इंडिया ब्लॉक समर्थित जेएमएम की उम्मीदवार के साथ चुनावी खेवनहार भी हैं.
29 अप्रैल को गांडेय विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के पहले से वे गांडेय की चुनावी मुहिम में जुटी हैं.
29 अप्रैल को कल्पना सोरेन के नामांकन के बाद पपरवाटांड़ फुटबॉल मैदान में आयोजित एक बड़ी रैली में जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन भी अपना आशीर्वाद देने पहुंचे थे.
इस रैली में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन समेत जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी और भाकपा-माले के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बड़े जुटान को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा गया था.
स्वास्थ्य और उम्र के कारणों से शिबू सोरेन अब चुनावी दौरे, रैलियां, सभा नहीं करते.
इन हालात में उनका गांडेय जाना इंडिया ब्लॉक और कल्पना सोरेन दोनों के लिए अहम माना जा रहा है. और इसके मायने भी निकाले जाते रहे हैं.
इधर 15 मई को राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की गांडेय विधानसभा क्षेत्र के बेंगाबाद में हुए एक रैली को भी मोर्चाबंदी के तौर पर देखा जा रहा है.
खुद कल्पना सोरेन ने गांडेय विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 80 छोटी-बड़ी सभाएं कर हर वर्ग और हर समुदाय के बीच पहुंचने की कोशिशें की हैं.
इनके अलावा वे लोकसभा चुनावों में इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार कर रही हैं. इन वजहों से वे बीजेपी के लिए वे एक चुनौती बनकर उभरी हैं.
बीजेपी का भरोसा
लोकसभा के साथ उपचुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही रैलियों, सभा, रोड शो ने जोर पकड़ा है.
बीजेपी ने भी चुनावी गतिविधियां तेज की है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कोडरमा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी समेत कई नेता इस रण में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.
बीजेपी को इसका भी भरोसा है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा नरेंद्र मोदी हैं.
14 मई को कोडरमा संसदीय क्षेत्र के बिरनी में नरेंद्र मोदी की रैली से बीजेपी खेमा की उम्मीदें जगी है.
इसके अलावा, बीजेपी के रणनीतिकारों की नजरें इस ओर टिकी है कि पहले के उपचुनावों में जेएमएम और कांग्रेस को सहानुभति का लाभ मिलता रहा है, लेकिन इस बार बात वैसी नहीं है.
बहरहाल, अगले दो- तीन दिनों में गांडेय की चुनावी बिसात पर और भी मोहरे बिछाये जाने हैं. पानी का कई घाट से बहना बाकी है. साथी ही नतीजे आने के बाद जेएमएम और सरकार के बीच कौन सी नई तस्वीर उभरती है, यह भी देखा जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)