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बाहुबली MLA मुख्तार अंसारी को जेल में दिल का दौरा,पत्नी को भी अटैक

यूपी में मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को दिल को जेल में ही दिल का दौरा 

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जेल में बंद बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता मुख्तार अंसारी को दिल का दौरा पड़ा है. हार्ट अटैक के बाद उन्हें तुरंत बांदा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी हालत देख कर उनकी पत्नी को दिल का दौरा पड़ने की खबर है. अंसारी पर कई आपराधिक मामले हैं. वह बांदा जेल में कैद थे.

मुख्तार अंसारी को आठ महीने पहल बांदा जेल शिफ्ट किया गया था. सोमवार को उनकी पत्नी उनसे मिलने पहुंची थीं. उनके सामने ही मुख्तार अंसारी को दिल का दौरा पड़ा. पति की हालत देखकर पत्नी को भी दिल का दौरा पड़ गया.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि बांदा डीएम और एसएसपी से उन्होंने जॉइंट रिपोर्ट मांगी. उन्हें हर संभव इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है.

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पत्नी को भी हार्ट अटैक

समर्थकों ने बताया कि 55 साल के विधायक अंसारी को बांदा अस्पाल से संजय गांधी पीजीआई हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया. अब उनकी हालत स्थिर है. यूपी के गृह सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि उन्होंने इस सिलसिले में बांदा से एसएसपी से बात की है. एसपी और बांदा के डीएम से भी अंसारी के हार्ट अटैक के बारे में जानकारी ली है.

अरविंद कुमार ने कहा कि उन्होंने अंसारी को सबसे अच्छी मेडिकल सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अंसारी के अलावा उनकी पत्नी को भी दिल का दौरा पड़ा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी.

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अंसारी पर कई आपराधिक मामले

मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन आपराधिक मामलों की वजह से वह आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत 2015 से ही राज्य के विभिन्न जेलों में बंद रहे हैं. हाल में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से कहा था कि उन्हें जेल में धमकी मिल रही है. उन्हें जान का खतरा है.

कौन हैं मुख्तार अंसारी

यूपी में 2017 विधानसभा चुनाव से पहले मुख्तार अंसारी ने अपनी पार्टी कौमी एकता पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर लिया था. लेकिन बाहुबली और आपराधिक छवि वाले अंसारी की पार्टी के एसपी मे विलय का अखिलेश यादव ने कड़ा विरोध किया. इसके बाद मुख्तार अंसारी पूरे परिवार के साथ बीएसपी में शामिल हो गए थे.

मुख्तार अंसारी ने 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता. इस चुनाव में वह बीएसपी के उम्मीदवार थे. उन्होंने 2002 और 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता. 2012 में उन्होंने कौमी एकता पार्टी बनाई और इसके बैनर तले चुनाव मैदान में उतर कर जीत हासिल की. 2017 में बीजेपी की लहर के बावजूद मुख्तार ने जीत हासिल की. मऊ के अलावा गाजीपुर और बलिया की कुछ सीटों पर भी मुख्तार का असर है.

इनपुटः पीटीआई

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