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Ghosi Bypoll: ओमप्रकाश राजभर की परीक्षा, घोसी सीट पर BJP-SP के लिए जीत क्यों जरूरी?

मऊ की घोसी सीट पर जीत-हार क्या तय करेगी?

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यूपी के मऊ जिले की घोसी सीट पर 5 सितंबर को विधानसभा के उपचुनाव होने हैं. इस सीट पर सीधे तौर पर एसपी और बीजेपी आमने सामने हैं. कांग्रेस ने एसपी को अपना समर्थन दे दिया है. बीएसपी ने उपचुनाव में ना अपने प्रत्याशी उतारें हैं और ना ही किसी का समर्थन किया है. हाल ही में NDA गठबंधन का हिस्सा हुए ओमप्रकाश राजभर बीजेपी उम्मीदवार के लिए घर-घर घुमकर वोट मांग रहे हैं.

एसपी उम्मीदवार के लिए खुद अखिलेश यादव प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं. शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव भी एसपी उम्मीदवार के समर्थन में वोट की अपील कर रहे हैं. वहीं, सीएम योगी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य अपने बीजेपी उम्मीदवार को जीताने के लिए घोसी में डेरा जमाए हुए हैं.

लेकिन, सवाल है कि आखिर घोसी सीट पर जीत बीजेपी और एसपी के लिए महत्वपूर्ण क्यों है? तो इसका जवाब है उपचुनाव की 'टाइमिंग'. अब आपका सवाल होगा कि वो कैसे? तो चलिए समझते हैं. लेकिन, उससे पहले ये जान लेते हैं कि घोसी सीट पर उपचुनाव की जरूत क्यों पड़ी?

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दरअसल, मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव इसलिए हो रह है, क्योंकि यहां से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे दारा सिंह चौहान ने इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. अब जब उपचुनाव हो रहा है तो बीजेपी ने दारा सिंह चौहान पर ही दांव खेला है. समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को उपचुनाव में उतारा है.

क्या कहता है घोसी का जातिगत समीकरण?

अगर घोसी विधानसभा को जातिगत आधार पर देखें तो दलित वोटर यहां सबसे ज्यादा हैं. कुल 4 लाख 70 हजार की आबादी वाले घोसी विधानसभा में करीब 1 लाख की आबादी दलितों की है. दलितों के बाद यहां मुसलमानों की संख्या करीब 60 हजार की है. एसपी का मजबूत स्तंभ कहे जानें वाला यादव वोट बैंक 40 हजार के आसपास है. 40 हजार राजभर हैं, निषाद करीब 15 हजार, चौहान (लोनिया) करीब 43 हजार, राजपूत करीब 15 हजार और कुर्मी करीब 5500 हैं. हालांकि, इसके अलावा भी कई जातियां निर्णायक भूमिका में हैं.

घोसी सीट से क्या रहा था साल 2022 का परिणाम?

पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी से इस्तीफा देकर आए दारा सिंह चौहान को घोसी से टिकट दिया था. दारा सिंह चौहान ने बीजेपी प्रत्याशी विजय राजभर को लगभग 22 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हराया था. बएसपी के प्रत्याशी करीब 56 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. उस वक्त के एसपी प्रत्याशी रहे दारा सिंह चौहान को कुल 108,430 मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार विजय राजभर को 86,214 वोट प्राप्त हुए थे. लेकिन, उस वक्त ओमप्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के साथ, जो इस वक्त बीजेपी के साथ हैं.

समाजवादी पार्टी ने घोसी उपचुनाव में क्षत्रिय समाज से आने वाले घोसी के पूर्व विधायक सुधाकर सिंह पर दांव लगाया हैं. सुधाकर सिंह एसपी के पुराने और जनाधार वाले नेता हैं. सुधाकर सिंह 2012 में एसपी के टिकट पर घोसी से चुनाव जीत चुके हैं. साल 2017 में हार गए थे, जबकि साल 2022 में एसपी ने इनको टिकट नहीं दिया था. इनके बदले दारा सिंह को टिकट दिया था.

चुनावी आंकड़ों में किसका रहा है घोसी?

अगर घोसी के पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो यह कहा जा सकता है कि घोसी किसी भी दल का गढ़ नहीं रहा है. विधानसभा चुनावों में चार-चार बार CPI और BJP, तीन बार कांग्रेस, दो-दो बार बीएसपी और एसपी को जीत मिली है. समाजवादी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से 42% वोट हासिल किए थे, जो किसी भी दल के लिए अभी तक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत है. बीजेपी ने 33% वोट हासिल किए.

फागू सिंह चौहान के राज्यपाल बनने के बाद 2019 के विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने यहां लगभग 31% वोट हासिल किए थे. एसपी का वोट शेयर लगभग 30% रहा था. 2017 में यहां बीजेपी ने 36% वोटों के साथ जीत हासिल की थी. एसपी 24% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी. 2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को यहां 35% वोट शेयर प्राप्त हुआ था. बीजेपी तीसरे स्थान पर रही थी. वोट शेयर के तौर पर देखें तो घोसी में समाजवादी पार्टी का वोट लगातार बढ़ा है और वहीं बीजेपी का बढ़ता हुआ वोट कम हुआ है.

घोसी उपचुनाव में बीएसपी के न होने के मायने?

मऊ की राजनीति को बारीकी से समझने वाले फरीद आजमी क्विंट हिंदी से बताते हैं कि बीएसपी के लिए घोसी सीट शुरू से ही एक बड़े जनाधार का हिस्सा रही है. 2012 से लेकर 2022 तक घोसी सीट पर चार चुनाव हुए, जिसमें बीएसपी का एवरेज वोट 50-60 हजार के बीच रहा है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बीएसपी को उसका बेस वोट मिलता रहा है. इस चुनाव में बीएसपी के चुनावी मैदान में न होने के चलते दलित वोटों का एक बड़ा तबका फिलहाल फ्री है. ऐसे में घोसी की हार जीत दलित वोट तय कर सकता है.

घोसी सीट पर मुस्लिम और दलित मुस्लिम जीत का समीकरण माना जाता है. अगर पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो बीएसपी यहां मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. 2022 में बीएसपी को यहां लगभग 54 हजार वोट मिले. 2019 के उपचुनाव में बीएसपी ने यहां लगभग 50 हजार वोट प्राप्त किए थे. 2017 में बीएसपी यहां दूसरे नंबर पर थी और लगभग 6 हजार वोटों से हारी थी. जबकि, पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी को करीब 50 हजार वोट मिले थे. यानी की इससे साफ है कि बीएसपी का कोर वोटर जिधर पड़ेगा जीत उसकी पक्की है.
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क्यों महत्वपूर्ण है घोसी का उपचुनाव?

  • घोसी विधानसभा का उपचुनाव जिस समय में हो रहा है वह कई मायनों में अहम है. एसपी के 'इंडिया' गठबंधन की घोसी उपचुनाव में पहली परीक्षा है. इंडिया गठबंधन में शामिल आरएलडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएम ने एसपी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह को अपना समर्थन दिया है. अगर एसपी यह सीट जीतती है तो 'इंडिया' गठबंधन में अखिलेश यादव का कद बढ़ जाएगा और साथ ही यह जीत अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी असर डालेगी.

  • घोसी उपचुनाव भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का भी बीजेपी में सियासी भविष्य तय करेगी. घोसी सीट पर राजभर वोट लगभग 40 हजार है. ओमप्रकाश राजभर के मुताबिक पिछले चुनाव में वे एसपी के साथ थे, इसलिए एसपी घोसी जीतने में कामयाब रही थी. ओमप्रकाश पिछड़ी जाति से आते हैं, घोसी सीट पर वो अपनी मजबूत पकड़ की दावेदारी करते हैं. उपचुनाव की जीत हार ओमप्रकाश राजभर का दावा कितना मजबूत है यह तय कर देगी और साथ ही ओमप्रकाश का बीजेपी गठबंधन में कद भी तय करेगी.

  • राजनैतिक विश्लेषक नवेद शिकोह क्विंट हिंदी से कहते हैं कि घोसी उपचुनाव के नतीजे कई सैंपल देंगे. घोसी उपचुनाव 'इंडिया' गठबंधन के लिए एक सैंपल के तौर पर हैं जिस तरह से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने एसपी को समर्थन किया है, इसमें अखिलेश यादव खुद को किस तरह साबित करते है क्योंकि 'इंडिया' गठबंधन का यूपी में मुख्य दारोमदार एसपी पर टिका है. अगर एसपी यह चुनाव जीतती है तो इंडिया गठबंधन को यूपी में एक बल मिलेगा. घोसी के रण में एसपी पीडीए की पहली परीक्षा देगी.

  • नवेद कहते है कि, एनडीए का हिस्सा सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर दारा सिंह चौहान के लिए जोर लगाए हुए हैं, राजभर और अन्य पिछड़ी जातियों को बीजेपी के पक्ष में लाने के लिए घर घर जा रहें है, अगर बीजेपी यहां से जीतती है तो ओमप्रकाश को कहीं न कहीं बीजेपी गठबंधन में फायदा मिलेगा. ओमप्रकाश घोसी उपचुनाव में बीजेपी को हर हाल में जीताना की कोशिश में हैं ताकि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकें.

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