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गुजरात: सीआर पाटिल के खिलाफ 'विद्रोह', नेताओं का इस्तीफा, BJP में 'सब ठीक नहीं'

Gujarat BJP महासचिव प्रदीप सिंह वाघेला के बाद वडोदरा शहर के महासचिव सुनील सोलंकी ने भी इस्तीफा दे दिया.

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लोकसभा चुनाव 2024 से पहले गुजरात (Gujarat) बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है. राज्य बीजेपी के महासचिव प्रदीप सिंह वाघेला के इस्तीफे पर अभी विवाद थमा नहीं था कि अब पार्टी के वडोदरा शहर के महासचिव सुनील सोलंकी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है.

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गुजरात बीजेपी में जारी है इस्तीफों का दौर

सुनील सोलंकी वडोदरा के पूर्व मेयर भी रह चुके हैं. उनका इस्तीफा अल्पेश लिम्बाचिया के निष्कासन के ठीक बाद आया, जो वडोदरा नगर निगम (VMC) में सत्तारूढ़ दल के नेता थे. लिम्बाचिया को जुलाई में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उन्होंने मेयर नीलेश राठौड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पर्चे बांटे थे. इसके बाद पार्टी ने भी लिम्बाचिया को छह साल के लिये निकाल दिया था.

बीजेपी ने स्वीकार किया सुनील सोलंकी का इस्तीफा

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीजेपी के शहर अध्यक्ष विजय शाह ने एक बयान में कहा, "पार्टी द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद सुनील सोलंकी को वडोदरा के महासचिव पद से मुक्त कर दिया गया है."

5 अगस्त को, भले ही सोलंकी के इस्तीफे की खबर से वडोदरा क्राइम ब्रांच द्वारा मानहानि मामले की जांच के मद्देनजर और अधिक नेताओं पर 'कार्रवाई' की अटकलें लगने लगीं हैं. लेकिन सोलंकी शनिवार को भी पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं और लोगों से मुलाकात की.

'यह महज संयोग'

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सोलंकी ने कहा, “मैं ऑफिस में बैठा हूं, पार्टी स्टोल पहन रहा हूं और लोगों से मिल रहा हूं. मेरा इस्तीफा उसी दिन आया जिस दिन प्रदीप सिंह वाघेला का इस्तीफा आया है, यह महज एक संयोग है."

मैंने अपना इस्तीफा 29 जुलाई को शहर अध्यक्ष डॉ विजय शाह को सौंप दिया था. पार्टी ने कल इस्तीफा मंजूर कर लिया और हमें नहीं पता था कि यह ऐसे समय में होगा जब एक और वरिष्ठ नेता ने इस्तीफा दे दिया है. इसमें पढ़ने के लिए और कुछ नहीं है.
सुनील सोलंकी, बीजेपी नेता
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'मैं हमेशा बीजेपी का सदस्य रहूंगा'

यह कहते हुए कि पद छोड़ने के उनके कारण “व्यक्तिगत” है, सोलंकी ने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में एक बिंदु के बाद पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के लिए कुछ समय समर्पित करने की आवश्यकता होती है. एक पदाधिकारी के पद से हटने का निर्णय केवल इसलिए है. इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अपना समय पार्टी को समर्पित नहीं करूंगा या भविष्य में पार्टी द्वारा मुझे सौंपे गए कर्तव्यों का पालन नहीं करूंगा. अगर वे मुझे दूसरी जिम्मेदारी देंगे तो मैं उसे भी स्वीकार करूंगा. मैं जो कुछ भी हूं वह बीजेपी के कारण हूं और इसने मुझे सार्वजनिक चेहरा दिया है. मैं हमेशा बीजेपी का सदस्य रहूंगा.”

उन्होंने पार्टी में हालिया घटनाक्रम को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए कहा, 'यह संयोग है कि एक के बाद एक कई घटनाएं हो रही हैं, लेकिन उनका आपस में कोई संबंध नहीं है.

वडोदरा और सूरत में जो हुआ (राज्य पार्टी प्रमुख सी आर पाटिल को बदनाम करने के लिए तीन नेताओं की गिरफ्तारी) दुर्भाग्यपूर्ण है. बीजेपी हमेशा अपने नेताओं के लिए एक पारदर्शी पार्टी रही है. हमने अनुभव किया है कि हमारे राज्य पार्टी अध्यक्ष पाटिल साहब हमेशा व्यक्तिगत रूप से फोन का जवाब देते हैं. जब वह नहीं कर पाता, तो वह वापस भी कॉल करते हैं.
सुनील सोलंकी, बीजेपी नेता

'मेरी निष्ठा बीजेपी के साथ रहेगी'

सोलंकी ने कहा, "इसलिए अगर किसी को कोई शिकायत है, तो वे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले गुप्त कृत्यों के बजाय सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं. यह स्वाभाविक है कि ऐसे समय में नेताओं के वास्तविक इस्तीफे भी सवाल उठाएंगे. लेकिन मेरी निष्ठा बीजेपी के साथ रहेगी."

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गुजरात बीजेपी में क्यों हैं विवाद?

वहीं, प्रदीप सिंह वाघेला का इस्तीफा शनिवार को सामने आया, जिसके बाद उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें महासचिव पद छोड़ने के लिए कहा था.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब दक्षिण गुजरात में राज्य बीजेपी अध्यक्ष सी आर पाटिल के खिलाफ कथित विद्रोह हो रहा है.

पार्टी के विभिन्न नेताओं को विभागों के आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर पाटिल को बदनाम करने को लेकर इस सप्ताह की शुरुआत में सूरत क्राइम ब्रांच ने दक्षिण गुजरात के तीन पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. ये गिरफ्तारियां चोरयासी सीट से बीजेपी विधायक संदीप देसाई द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के बाद हुईं.

पिछले महीने इसी तरह के एक मामले में, जिनेंद्र शाह नामक व्यक्ति को सूरत क्राइम ब्रांच ने पाटिल की छवि खराब करने और बदनाम करने के मामले में गिरफ्तार किया था.

यह दूसरा अवसर है जब किसी पार्टी महासचिव ने पाटिल के नेतृत्व में राज्य संगठन में एक शक्तिशाली पद खो दिया है. इससे पहले इसी साल अप्रैल में महासचिव भार्गव भट्ट को पार्टी आलाकमान ने शीर्ष पद से हटा दिया था.

चार में से दो महासचिव के पद खाली

गुजरात बीजेपी में महासचिव के चार पद हैं. वाघेला के इस्तीफे के साथ, पार्टी में केवल दो महासचिव, रजनी पटेल और विनोद चावड़ा रह गए हैं.

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