गुजरात विधानसभा में एक दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां विधानसभा स्पीकर ने एक कांग्रेस विधायक को सिर्फ इसलिए सदन से बाहर का रास्ता दिखा दिया, क्योंकि वो सदन मं टी-शर्ट पहनकर आए थे. कांग्रेस विधायक विमल चूडास्मा ने क्विंट से बातचीत में इस घटना का विरोध किया और कहा कि ऐसा किसी भी कानून में नहीं लिखा है. उन्होंने कहा कि स्पीकर ने ऐसा करके ओबीसी समाज का अपमान किया है.
विधासनभा में ड्रेस कोड को लेकर नहीं कोई नियम
हालांकि बताया गया है कि गुजरात विधानसभा स्पीकर राजेंद्र त्रिवेदी ने बजट सत्र शुरू होने से पहले ही सभी सदस्यों से कहा था कि वो सदन को शोभा देने वाले ही कपड़े पहनकर आएं. उन्होंने कहा था कि सदन में जींस और टी-शर्ट जैसे कपड़े पहनकर न आएं.
इस पूरे मामले को लेकर पहले हमने गुजरात विधानसभा में फोन लगाया और ये पता लगाया कि क्या वाकई में ऐसा कोई नियम है या फिर नहीं... हमारी बात पीएस टू सेक्रेट्री आरआर कुरुप से हुई. जिन्होंने हमें बताया कि विधानसभा में ड्रेस कोड को लेकर ऐसा कोई नियम नहीं है. हालांकि अगर विधानसभा अध्यक्ष चाहें तो वो विधायकों को इसके लिए बाहर निकाल सकते हैं.
कांग्रेस विधायक ने क्या कहा?
विधानसभा में बात करने के बाद हमने खुद कांग्रेस विधायक विमल चूडास्मा को फोन लगाया. जिन्होंने क्विंट से बातचीत में बताया कि,
“मैं विधानसभा में टी-शर्ट पहनकर बैठा था, तभी अध्यक्ष ने कहा कि आप यहां टी-शर्ट पहनकर नहीं आ सकते हैं. मैंने उन्हें बताया कि ये 21वीं सदी चल रही है, यहां आदमी जींस, टी-शर्ट नहीं पहनेगा तो क्या पहनेगा. इसमें कुछ लिखा भी नहीं था. मैंने उन्हें बताया कि 2017 में जब मैंने चुनाव लड़ा था तो जींस, टी-शर्ट में ही लड़ा था. जब मेरी पार्टी ने मुझे टिकट दिया तो टी-शर्ट पहनकर ही दिया था. मुझे लोगों ने वोट दिया तो प्रचार भी मैंने टी-शर्ट पहनकर ही किया.”
‘अध्यक्ष ने किया ओबीसी समाज का अपमान’
कांग्रेस विधायक ने कहा कि, मैंने विधानसभा अध्यक्ष को बार-बार विनती करते हुए कहा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं, जबकि किसी भी नियम में ये नहीं लिखा गया है. अगर इसके लिए कोई नियम बनाना है तो बनाए जाए, मैं आपके साथ हूं. मैं ओबीसी समाज का, कोहली समाज से आता हूं. ये इस समाज का अपमान है. पिछले दिनों बीजेपी के मंत्री ने भी टी-शर्ट पहनकर स्पीच दी थी. आज भी बीजेपी का एक विधायक टी-शर्ट पहनकर विधासनभा में बैठा था. लेकिन उसे कुछ नहीं कहा गया. मेरे लाख कहने के बावजूद मुझे बाहर जाने को कहा गया.
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