गुजरात में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और खबर ये है कि कांग्रेस पार्टी सुर्खियों से गायब है. यह विडंबनापूर्ण ही है. यह चर्चा भी है कि इस तरह कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को भरपूर जमीन दे दी है. गुजरात में कांग्रेस के स्टार प्रचारक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हाल ही में कहा है कि राज्य में पार्टी का चुनाव प्रचार बहुत धीमा है.
एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में गहलोत ने कहा है, "यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह रहे हैं कि खामोश कांग्रेस अभियान को देखिए. लेकिन वहां हमारा बड़ा प्रचार हो रहा है. अभियान जारी है. यह कहना गलत है कि हम लड़ाई में नहीं हैं."
लेकिन हाल ही का एबीपी-सीवोटर सर्वेक्षण गहलोत के दावों का पूरी तरह से समर्थन नहीं करता. उसके नतीजे कहते हैं कि 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 135-143 सीटें जीतकर कांग्रेस को एक आसान से अंतर से हरा सकती है. कांग्रेस को 36-44 सीटें मिल सकती हैं, जोकि 2017 की 77 सीटों की तुलना में काफी कम है.
कांग्रेस के वोट शेयर में भी गिरावट की आशंका है क्योंकि आम आदमी पार्टी एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरी है. क्विंट ने गुजरात में कांग्रेस के कई पदाधिकारियों से बात की और यह समझने की कोशिश की राज्य में पार्टी के अभियान की क्या स्थिति है और उसकी चुनावी रणनीति, उसके मुख्य विरोधियों, बीजेपी और आम आदमी पार्टी से कैसे और क्यों अलग है.
बूथ स्तर पर मैनेजमेंट और डोर टू डोर प्रचार, जैसी बुनियादी कोशिश
जमीनी स्तर पर कांग्रेस का संदेश दो मुख्य अभियानों के इर्द-गिर्द दिया जा रहा है - 'कांग्रेस नू काम बोले छे' (कांग्रेस का काम बोलता है) और 'कांग्रेस के 8 वचन'.
राज्य में पार्टी के मीडिया को-ऑर्डिनेटर हेमांग रावल ने दोनों अभियानों के बारे में विस्तार से बताया. रावल ने बताया,
"हम गुजरात में करीब 27 वर्षों से सरकार से बाहर हैं. इसलिए नौजवानों और नए वोटर्स को पिछली कांग्रेसी सरकारों के कामों के बारे में बताना महत्वपूर्ण था, यह मानते हुए कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं होगा."
दूसरा अभियान उन आठ वादों पर केंद्रित है जो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य में वोटर्स से किए थे. जैसे गैस सिलेंडर की कीमतों में कमी, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 10 लाख रुपए तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, किसानों की कर्जमाफी, अंग्रेजी मीडियम के 3000 सरकारी स्कूल, दूध उत्पादों पर सबसिडी, नौजवानों के लिए सरकारी नौकरी और 30,000 रुपए तक का बेरोजगारी भत्ता.
रावल ने कहा, "अब तक हमने राज्य भर में इन वादों वाले 1.5 करोड़ पर्चे बांटें हैं." उन्होंने कहा, "हम जमीनी स्तर पर अपने कैडर के नेटवर्क पर बहुत अधिक भरोसा कर रहे हैं."
पार्टी के कई पदाधिकारियों के अनुसार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के एक्सपर्ट्स की टीम गुजरात पहुंच गई है और आगामी चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों पर नजर रख रही है.
अहमदाबाद में युवा कांग्रेस के नेता और वार्ड प्रमुख सागर शाह ने क्विंट को बताया कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की टीमें गुजरात में चुनाव पर्यवेक्षकों के रूप में काम करने तैनात की गई हैं, और पार्टी कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग का काम कर रही हैं.
"पार्टी आलाकमान ने उन राज्यों की टीमों को गुजरात में लगाया है जिनमें कांग्रेस ने बीजेपी को हराया है ताकि गुजरात कांग्रेस को मजबूत किया जा सके और आगामी चुनावों में हमें जीत हासिल हो. इन राज्यों की टीमें गुजरात में अपने मॉडल को दोहराएंगी."सागर शाह, युवा कांग्रेस
सागर कहते हैं कि बूथ स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए वर्चुअल प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं ताकि वे न केवल वोटर्स से अच्छी तरह से संवाद कर सकें, बल्कि वोट वाले दिन स्थिति को संभालने के लिए भी तैयार हो सकें.
''बजट कम है और मीडिया खिलाफ है''
आणंद के अंकलव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमिटी (जीपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष अमित चावड़ा ने क्विंट को बताया कि पार्टी शोर शराबे से दूर, डोर-टू-डोर अभियान पर इसलिए जोर दे रही है क्योंकि उसके पास बजट कम है और वह सीधे वोटर से बात करना चाहती है.
"बीजेपी ने पिछले 27 वर्षों में काफी पैसा कूट लिया है. उससे उलट, हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए कम बजट है. इसीलिए हमने सोचा कि विज्ञापनों पर पैसा बर्बाद करने से अच्छा है कि हम वोटर्स से सीधे संवाद करें."अमित चावड़ा
हेमांग रावल ने कहा कि, "हम जमीन पर मौजूद हैं. रोजाना वोटर्स से बातचीत करते हैं. गुजरात में आम आदमी पार्टी की कोई लहर नहीं है. यह हाइप मीडिया के उस सेक्शन ने तैयार किया है जो बीजेपी के साथ मिलकर काम कर रहा है. इसका मकसद सत्ता विरोधी लहर को विभाजित करना है."
अमित चावड़ा, सागर शाह और हेमांग रावल, सभी आम आदमी पार्टी को 'नौटंकीबाज' कहकर खारिज करते हैं. हेमांग रावल का कहना है कि नेशनल मीडिया ने आम आदमी पार्टी का हाइप पैदा किया है. दूसरी तरफ अमित चावड़ा कहते हैं कि आम आदमी पार्टी 'बीजेपी की बी-टीम' है जो सत्ता विरोधी वोट को विभाजित करने का काम कर रही है.
एबीपी सी-वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि गुजरात में 46 प्रतिशत लोग आम आदमी पार्टी को बीजेपी के लिए मुख्य चुनौती मानते हैं. सिर्फ 40 प्रतिशत लोग कांग्रेस को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हैं.
भारत जोड़ो यात्रा गुजरात से क्यों नहीं गुजर रही है?
गुजरात में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और नरेंद्र मोदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक, सभी रैलियां कर रहे हैं. जब राहुल गांधी ने अपनी महत्वाकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी, तो पार्टी के बाहर के कई लोगों की राय थी कि 3500 किलोमीटर लंबी यात्रा गुजरात से शुरू होनी चाहिए थी.
सागर शाह इस पर अपनी रजामंदी जताते हैं. वह कहते हैं, "जब पार्टी के शीर्ष नेता राज्य में आते हैं और रैलियों को संबोधित करते हैं और लोगों से बात करते हैं, तो यह जमीनी स्तर के कैडर में जान फूंकता है."
लेकिन सागर के मुताबिक, शुरुआत में जरूर उन्हें ऐसा लगा था कि भारत जोड़ो यात्रा को गुजरात से शुरू होना चाहिए था लेकिन फिर उन्हें महसूस हुआ कि इससे राज्य में चुनावी तैयारियों में रुकावट आ सकती थी.
वह कहते हैं,
"अगर यात्रा गुजरात आती है, तो हमारे बहुत सारे रिसोर्स उसके लॉजिस्टिक्स में खर्च हो जाते. हमारे टॉप लीडर्स भी यात्रा में शामिल होते और उन्हें स्थानीय स्तर पर अपना काम करने का समय नहीं मिलता."
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