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हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से क्यों दिया था इस्तीफा? 3 बड़े सवालों के जवाब

Hardik Patel Resign: कांग्रेस का दामन छोड़ हार्दिक पटेल किस पार्टी में जाएंगे? आम आदमी पार्टी या बीजेपी..

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"गुजरात कांग्रेस में मेरी हालत उस दूल्हे जैसी है, जिसकी शादी के बाद नसबंदी करा दी गई हो."

"मैं बीजेपी की अच्छी बात को स्वीकार करता हूं. उन्होंने कश्मीर से धारा 370 हटाई, राम मंदिर बनवा रहे हैं."

ये बयान हार्दिक पटेल का है. वही हार्दिक पटेल जिन्होंने साल 2019 में कांग्रेस से हाथ मिलाया था और अब हाथ छुड़ा लिया (Hardik Patel Resign) है. गुजरात में विधानसभा चुनाव के 6 महीने पहले कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दे दिया है. और अब 2 जून को बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए हैं.

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बीजेपी में शामिल होने से पहले हार्दिक ने अपने ट्वीट में लिखा, "भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूंगा."

हार्दिक पटेल का इस्तीफा अचानक नहीं हुआ है, इसकी स्क्रिप्ट कई महीनों से लिखी जा रही थी. और अपनी स्क्रिप्ट का टीजर या कहें अंश बीच-बीच में मीडिया में सुनाते रहते थे. फिलहाल अभी भी पूरी फिल्म रीलीज नहीं हुई है. मतलब क्लाइमेक्स बाकी है. यहां हम गुजरात की राजनीति की इस बड़ी घटना से जुड़े तीन सबसे बड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं.

1. हार्दिक ने कांग्रेस क्यों छोड़ा?

दरअसल, साल 2015 में, हार्दिक ने गुजरात में पाटीदार समुदाय के अभियान की अगुवाई की थी, उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग की थी. जिसके बाद हार्दिक साल 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए. 2019 में शामिल होने के एक साल के अंदर ही उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था. हार्दिक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से गुजरात कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं में नाराजगी दिखी.

हार्दिक ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे में लिखा है, "मैंने 3 सालों में पाया कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है, जबकि देश को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो. देश को आगे ले जाने की क्षमता हो."
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हार्दिक ने पार्टी छोड़ने के पीछे वजह बताते हुए लिखा है कि मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा.

ये पहली बार नहीं था, हार्दिक ने इससे पहले भी 13 अप्रैल को कहा था कि उन्हें पार्टी में दरकिनार कर दिया गया है और पार्टी नेतृत्व उनके कौशल का उपयोग करने को तैयार नहीं है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि वो ऐसे दूल्हे की तरह हैं जिसका नसबंदी करा दिया गया है.

यही नहीं पाटीदार नेता नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी में दुविधा से भी हार्दिक नाखुश थे. हालांकि गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने कहा कि हार्दिक की निराशा को समझने के लिए उनके साथ बैठक की जाएगी और पार्टी नरेश पटेल के स्वागत के लिए तैयार है.

हालांकि कांग्रेस के कई नेता हार्दिक पर आरोप लगाते हैं वो अपनी ही चलाना चाहते थे और वो राजयसभा में सीट या गुजरात कांग्रेस अधयक्ष पद चाहते थे. जो भी हो ऐन चुनाव के पहले हार्दिक के जाने से गुजरात कांग्रेस को नुकसान होना तय है.

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2. हार्दिक पटेल किस पार्टी में जाएंगे? आम आदमी पार्टी या बीजेपी..

पिछले कुछ दिनों की मीटिंग, गपशप, विरोधियों की तारीफ और सूत्रों वाले खबर पर गौर करेंगे तो शायद कुछ समझ आए. हार्दिक पटेल ने मई के पहले हफ्ते में जामनगर में एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री जीतू वघानी के साथ मंच साझा किया था. कार्यक्रम का आयोजन बीजेपी विधायक हाकू जडेजा ने किया था.

अप्रैल में हार्दिक पटेल ने कहा था कि मैं बीजेपी की तरफ से हाल ही में लिए गए राजनीतिक फैसलों का स्वागत करता हूं. गुजरात में बीजेपी मजबूत है क्योंकि उनके पास निर्णय लेने की क्षमता के साथ नेतृत्व है.

हार्दिक ने खुद को हिंदूवादी नेता कहे जाने पर भी जवाब दिया था. उन्होंने कहा था, मैं रघुवंशी वंश से हूं. हम हिंदू को संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. मुझे हिंदू होने पर गर्व है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीने से हार्दिक की बीजेपी के नेताओं से बातचीत चल रही है. बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर हार्दिक पटेल की बीएल संतोष के साथ पिछले दिनों एक मीटिंग भी हुई थी.

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हार्दिक के इस्तीफा पत्र के कुछ शब्दों पर गौर करें तो भी संकेत मिलते हैं. हार्दिक ने लिखा है, "अयोध्या मंदिर, सीएए-एनआरसी, धारा 370 हटाना हो या जीएसटी लागू करने जैसे निर्णय हो, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही."

वहीं दूसरी ओर हार्दिक की नाराजगी का फायदा आम आदमी पार्टी भी उठाना चाह रही है. हार्दिक की नाराजगी पर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि अगर कांग्रेस पसंद नहीं है, तो उन्हें आप जैसी समान विचारधारा वाली पार्टी में शामिल होना चाहिए. कांग्रेस से शिकायत करने और अपना समय बर्बाद करने की बजाए उन्हें यहां (आप) में अपना योगदान देना चाहिए.

3. आगे क्या होगा? इस बड़ी घटना का गुजरात की राजनीति पर असर क्या होगा?

गुजरात की राजनीति में पाटीदार हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं. सौराष्ट्र और कच्छ के इलाके में पाटीदार समाज निर्णायक भूमिका में है. सौराष्ट्र के 11 जिलों के अलावा सूरत में भी अच्छा प्रभाव है.

राज्य में पाटीदारों की आबादी क़रीब 15% है. 25 विधानसभा क्षेत्रों में पटेलों की 20% या उससे भी ज्यादा है. गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से करीब 70 सीटों पर इनके वोट हार-जीत का फैसला कर सकते हैं.

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ऐसे में कांग्रेस के लिए आगे मुश्किल और बढ़ सकती है. हार्दिक बीजेपी में जाते हैं तो एक मजबूत पार्टी का साथ मिलेगा, लेकिन पहले से मजबूत पार्टी में हार्दिक को कितनी आजादी मिलेगी ये एक बड़ा सवाल बना रहेगा. एक बात और है यदि हार्दिक आम आदमी पार्टी में जाना चाहते हैं तो बीजेपी के लाइन पर जाकर CAA-NRC, धारा 370, अयोध्या मंदिर की बातें, बेहतर पद पाने के लिए प्रेशर टैक्टिक्स भी हो सकती हैं.

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