AICC महासचिव और कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत (Harish Rawat) ने 1अगस्त को पार्टी के पंजाब नेतृत्व को 'पंज प्यारे' कहने के लिए माफी मांगी और कहा कि वे अपने राज्य के किसी एक गुरुद्वारे में झाड़ू लगाकर अपनी टिप्पणी पर प्रायश्चित करेंगे.
मालूम हो कि पार्टी की प्रदेश इकाई में जारी आतंरिक कलह के बीच 31 अगस्त को चंडीगढ़ पहुंचे हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस भवन में एक बैठक के बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए 'पंज प्यारे' शब्द का इस्तेमाल किया था.
फेसबुक पोस्ट में की गलती स्वीकार
1 अगस्त को अपने फेसबुक पेज पर रावत ने अपनी 'पंज प्यारे' टिप्पणी के लिए अपनी 'गलती' को स्वीकार किया.
“कभी आप आदर व्यक्त करते हुये, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं. मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है. मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूंँ और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है. मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा ... मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ.”हरीश रावत
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने भी रावत की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और इसके लिए माफी की मांग की थी.अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने रावत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की थी और मांग की थी कि राज्य सरकार को भावनाओं को आहत करने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए.
सिख परंपरा में, 'पंज प्यारे' शब्द गुरु के पांच प्रिय के लिए प्रयोग किया जाता है. दस गुरुओं में से अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में पांच लोगों को 'खालसा' (शुद्ध) के रूप में दीक्षित किया था.इन्हीं के लिए 'पंज प्यारे' शब्द का प्रयोग किया जाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)