हरियाणा (Haryana) में सियासी उठापटक चरम पर है. बीजेपी और जेजेपी में सब कुछ सही नहीं है. कांग्रेस अंदरूनी कलह की वजह से कई धड़ों में बंट गई है. लेकिन, इन सबके बीच बीजेपी और जेजेपी हाल के दिनों में हरियाणा की राजनीति में लाइमलाइट में हैं. दोनों पार्टियों के बीच चल रही सियासी तकरार फिलहाल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.
हांलाकि, बीते कई दिनों से जारी एक-दूसरे पर तीखे कटाक्ष कम जरूर हुए हैं, लेकिन ये नहीं माना जा सकता कि दोनों के बीच दूरियां खत्म हो गई हैं.
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि दोनों पार्टियां आपसी सहयोग से लोकसभा और विधानसभा में एक साथ सियासी दंगल में उतरेंगी. लेकिन, अंदरखाने दोनों दलों के बीच काफी कुछ अलग चल रहा है. दोनों पार्टियां अलग-अलग रणनीति बनाकर लोगों के बीच जाने का मन बना रही हैं.
अमित शाह सिरसा से करेंगे लोकसभा चुनाव का ‘शंखनाद’
भारतीय जनता पार्टी की जून महीने में ताबड़तोड़ रैलियां करने का प्लान है. गर्मी के महीने में बीजेपी सियासी पारा बढ़ाने का पूरा मन बना चुकी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 18 जून को सिरसा में एक बड़ी चुनावी रैली को संबोधित करेंगे. बीजेपी इन दिनों अमित शाह की रैली को सुपरहिट बनाने में जुटी है. इसके बाद बची 9 लोकसभा सीटों पर भी बीजेपी रैलियां करेगी.
फिलहाल सिरसा की बड़ी रैली का तो ऐलान हो चुका है. वहीं, दूसरी बड़ी रैली के लिए बीजेपी सियासी गणित बैठाकर ही आगे का ऐलान करेगी. सिरसा में बीजेपी की रैली के कई महत्व हैं.
सिरसा में बड़ी रैली का क्या मतलब?
सिरसा में पहली बार बीजेपी ने लोकसभा का चुनाव जीता था और अब मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल की जीत को दोबारा मजबूत करने के लिए शाह सिरसा आएंगे.
दूसरी, वजह ये भी है कि सिरसा, पंजाब और काफी हद तक राजस्थान से सटा हुआ है, इसका असर भी पड़ोसी राज्य में आसानी से दिखाई देगा.
इसके अलावा तीसरी और अहम वजह ये भी मानी जा रही है कि सिरसा में अभय और अजय चौटाला का अच्छा खासा वर्चस्व है और इसे भेदने के लिए बीजेपी ने ये मास्टर स्ट्रोक खेला है.
ताबड़तोड़ रैलियों में JJP भी पीछे नहीं
बीजेपी रैलियों के जरिए जनता को रिझाने का प्लान बना रही है, तो दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने भी बीजेपी का तोड़ निकाल लिया है. जेजेपी आने वाले कुछ दिनों में हरियाणा की सभी 10 सीटों पर रैलियां करेगी. इसकी शुरुआत 2 जुलाई को सोनीपत से होने वाली है. इसके बाद हर लोकसभा सीट पर अलग-अलग नेता शिरकत करेंगे और जनता के बीच बड़ा संदेश पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.
जननायक जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने क्विंट हिंदी के साथ बातचीत में कहा कि...
"हम बीजेपी के विपरीत कोई रैली नहीं कर रहे हैं, बल्कि पार्टी को प्रमोट करने के लिए रैलियां की जाती हैं. रैलियों का मकसद लोगों को इकट्ठा करना, अपनी बात लोगों तक पहुंचाना है. हम किसी के विरोध या तुलनात्मक रूप से कोई रैली नहीं कर रहे हैं. लेकिन, हमें 10 सीटों पर रैलियां करनी हैं, इसके लिए कोई समय या एक रैली को छोड़कर कोई जगह तय नहीं की गई है."
सिरसा से लोकसभा सांसद सुनीता दुग्गल ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए रैली का पूरा ब्यौरा दिया. उन्होने कहा कि...
"गठबंधन पर बातचीत का मेरा कोई औचित्य नहीं है. लेकिन, सिरसा में जो रैली हो रही है, वो केंद्र में बीजेपी के 9 साल की उपलब्धियों को लेकर की जा रही है."
हांलाकि, उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी और जेजेपी की कोई संयुक्त रैली नहीं होगी. सिरसा में अजय और अभय चौटाला के गढ़ को लेकर उन्होने कहा कि "गढ़ राजा महाराजाओं के जमाने में होते थे, अब जनता तय करती है कि जीताना किसे है और हराना किसे है. लेकिन सिरसा में पूरे 10 साल बाद अमित शाह आ रहे हैं और इस रैली में करीब 50 हजार लोग इकट्ठा होंगे. ये रैली अपने आप में गौरवशाली होगी."
हरियाणा की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले सीनियर पत्रकार धर्मपाल धनखड़ कहते हैं कि...
"रैलियों के जरिए दोनों पार्टियां शक्ति प्रदर्शन करना चाहती हैं और ये तैयारी का उनके पास मौका है. मुझे लगता है कि दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी. ये वक्त दोनों पार्टियों के लिए गठबंधन तोड़ने का नहीं है. फिलहाल, जेजेपी का फोकस राजस्थान विधानसभा चुनाव की तरफ ज्यादा है."धर्मपाल धनखड़, वरिष्ठ पत्रकार
रैलियों से ‘साथ’ रहेगा या टूटेगा?
बीजेपी नेता शुरू से कहते रहे हैं कि हम पूरे पांच साल चुनावी मोड में रहते हैं. बाकायदा इसके लिए बीजेपी ने काफी पहले ही रैलियों का ऐलान कर दिया था और पार्टी अब इन रैलियों को अमलीजामा पहनाने में जुट गई है.
बीजेपी, पीएम नरेंद्र मोदी के 9 साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच जा रही है, तो दूसरी तरफ जेजेपी ने भी पत्ते खोल दिए हैं. दोनों दल ना सिर्फ शक्ति प्रदर्शन दिखाएंगे, बल्कि इन रैलियों के जरिए जनता के मूड का भी आकलन करेंगे.
ऐसे में ये रैलियां दोनों पार्टियों के लिए कितना निर्णायक होंगी, ये तो वक्त बताएगा लेकिन रैलियों के जरिए बीजेपी और जेजेपी फिर सियासी तौर पर टकराने के लिए तैयार हैं.
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