हिमाचल प्रदेश (Himanchal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) में अब सरकार ने बिजली परियोजनाओं के पानी पर भी टैक्स लगाना शुरु कर दिया है. सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की सरकार ने सालाना 4 हजार करोड़ की कमाई के लिए वाटर सेस लगाया. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को सदन में जलविद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक 2023 सदन में पेश किया था जिसको आज पास कर दिया गया है. इसका आम जनता पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा.
उप मुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने बताया कि हिमाचल में फिलहाल 172 पनबिजली परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में 10 हजार 991 मेगावाट बिजली हर साल पैदा हो रही है. और वाटर सेस लगाने से इनसे सालाना चार हजार करोड़ की आय होनी तय है.
किस हिसाब से लगेगा वाटर सेस ?
प्रदेश में पहली बार हाइडल पावर प्रोजेक्ट से वाटर सेस 30 मीटर तक पानी उठाए जाने पर 0.10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से लगेगा. इसके अलावा 30 से 60 मीटर की ऊंचाई तक पानी उठाने पर सेस की दर 0.25 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर तय की गई है. जबकी 60 से 90 मीटर तक पानी उठाए जाने पर 0.35 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर और 90 मीटर से ऊपर पानी उठाए जाने पर 0.50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर की दर से सेस वसूला जाएगा.
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्ष ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा की सेस लगाने से बिजली के दाम तो नहीं बढ़ जायेंगे. क्योंकि यहां पर उद्योग लगाने वाले बिजली के लालच में आते थे. अब बिजली महंगी होने से उनका झुकाव कम हो जाएगा. विपक्ष के नेता ने सवाल उठाया कि इस बिल पर रात दो बजे हस्ताक्षर करने की क्या जरूरत थी.
हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री शांता कुमार ने सरकार के इस फैसले की तारीफ की है. उन्होंने इसे सरकार का एक अच्छा फैसला कहा है जो आय की वृद्धि में मदद करेगा.
इस बिल पर सवाल उठाने वालों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार इस तरह के जरूरी कदम उठा रही है. कांग्रेस सरकार व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए आई है. उन्होंने कहा कि सरकार दिन रात मेहनत कर रही है, फिर रात को अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से क्या फर्क पड़ता है. सरकार की नियत साफ है.
सरकार उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर से हुई प्रेरित
सीएम सुक्खू ने कहा कि इस उपकर को लेकर जम्मू-कश्मीर में चल रही योजना का भी अध्ययन किया गया है.
यह कानून उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में लगाए गए जल उपकर का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लाया गया है. इन दोनों ही राज्यों में कई लोग जल उपकर के खिलाफ अदालतों में गए, लेकिन अदालतों ने फैसला सरकार के पक्ष में ही सुनाया है.
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