कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री व जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को जोर देकर कहा कि वह देश में गैर-हिंदी भाषी समुदायों पर हिंदी थोपने का सख्त विरोध करेंगे. कुमारस्वामी ने कन्नड़ भाषा में 10 ट्वीट करते हुए कहा कि हिंदी कभी भी राष्ट्रीय भाषा नहीं थी और कभी होगी भी नहीं.
उन्होंने एक बार फिर हिंदी और दूसरी भाषाओं पर होने वाली राजनीति को हवा देते हुए कहा,
“हमारे संविधान ने सभी भाषाओं को समान दर्जा दिया है. इसलिए, जो लोग दिल्ली में बैठे हैं, उन्हें अन्यथा नहीं सोचना चाहिए. इसलिए, हिंदी दिवस मनाने का विचार कुछ और नहीं बल्कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को लागू करने का एक नरम तरीका है, जिसका मैं पुरजोर विरोध करता हूं.”
उन्होंने कहा कि भारत में बोली जाने वाली सभी भाषाओं और बोलियों का अपना इतिहास, संस्कृति है, और हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में लागू करने के लिए कुछ लोगों के प्रयासों को आगे बढ़ाने की होड़ में इसे कुर्बान नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "जो लोग सोचते हैं कि हिंदी दिवस का आयोजन करके या स्कूल के पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में पेश करके हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में लागू किया जा सकता है, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।"
हिंदी दिवस की जगह भाषा दिवस
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिंदी दिवस को 'भाषा दिवस' के रूप में मनाने के लिए कदम उठा सकती है, जिससे सभी लोग देश में सभी भाषाओं के लिए दिवस मना सकेंगे. हम निश्चित रूप से केंद्र का समर्थन करेंगे अगर यह हिंदी दिवस के बजाय भाषा दिवस मनाने का फैसला करता है.
कुमारस्वामी ने कहा कि अगर राज्य में या केंद्र में बीजेपी सोचती है कि त्रि-भाषी फॉर्मूले को लाकर कर्नाटक में हिंदी को आसानी से लागू किया जा सकता है, तो इसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा.
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