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हनी ट्रैप केस: हाईकोर्ट की फटकार, अब बिना इजाजत SIT में बदलाव नहीं

हनी ट्रैप केस में एसआईटी चीफ बदलने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

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मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले हनी ट्रैप मामले में अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. इस केस में बार-बार एसआईटी चीफ बदलने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि अब बिना कोर्ट की इजाजत के एसआईटी में कोई बदलाव नहीं होगा. इसके अलावा हाईकोर्ट ने पकड़ी गई महिलाओं के पास से मिले इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच हैदराबाद की प्रयोगशाला में कराए जाने के भी निर्देश दिए.

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मध्य प्रदेश के चर्चित हनी ट्रैप मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें इस केस की सीबीआई जांच कराने और बार-बार एसआईटी का चीफ बदले जाने को चुनौती दी गई थी. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कई जरूरी निर्देश जारी किए.

कोर्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी ने आरोपी महिलाओं से सीडी, मोबाइल फोन, पेनड्राइव सहित काफी सामान जब्त किया था. इनकी जांच पुलिस ने अपनी ही प्रयोगशाला में करवाई है. इसे कोर्ट ने गलत मानते हुए जब्त किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया.

सरकार के जवाब से संतुष्ठ नहीं कोर्ट

कोर्ट ने इस मामले की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार से एसआईटी प्रमुख बदले जाने का कारण पूछा था, जिसका जवाब बंद लिफाफे में पेश किया गया, मगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया. इस पर हाईकोर्ट के जजों ने नाराजगी जताई. साथ ही निर्देश दिया कि जांच अधिकारी को कोर्ट की इजाजत के बिना न बदला जाए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.

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ऐसे बदलते गए एसआईटी चीफ

बता दें कि हनीट्रैप का मामला सामने आने के बाद पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी के बाद सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है. एसआईटी चीफ सबसे पहले आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था, लेकिन उन्होंने खुद ही इस पद को छोड़ दिया था. इसके बाद डीजीपी ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी को एसआईटी चीफ नियुक्त किया, फिर उन्हें भी हटा दिया गया. उनकी जगह विशेष पुलिस महानिदेशक राजेंद्र कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई.

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इस चर्चित हनीट्रैप मामले की जड़ें काफी लंबी बताई जा रही हैं. अभी तक जो भी जांच हुई है उसमें कई बड़े नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के नाम सामने आए हैं. मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने क्विंट को बताया-

“कुछ मामलों में तो हमारे पास सुबूत के रूप में नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के सेक्स वीडियो टेप उपलब्ध हैं. लेकिन कुछ मामलों में हमने आरोपियों के नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के साथ फोन कॉल इंटरसेप्ट किया है, जिनकी जांच की जा रही है.”

इस मामले का खुलासा इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह से महिलाओं की तरफ से ब्लैकमेलिंग की धमकी देकर तीन करोड़ रुपये मांगे जाने की शिकायत के बाद हुआ था. भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था. पांचों अभी जेल में हैं.

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