पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि संजय गांधी की मां ने आपातकाल लगाया और जवाहरलाल नेहरू की बेटी ने उसे हटाया था. जयराम ने एक कार्यक्रम में अपनी नई किताब 'इंदिरा गांधी : अ लाइफ इन बातचीत की.
जयराम रमेश ने कहा कि इंदिरा ने छोटे बेटे संजय गांधी की सलाह मानकर देश में आपातकाल लगाया था और जवाहरलाल नेहरू की बेटी को जब अपनी गलती का अहसास हुआ, तब उसे वापस ले लिया था.
जयराम रमेश ने कहा-
इंदिरा गांधी कहा करती थीं कि हमारे देश के लोग प्रकृति की पूजा करते करते हैं, पर्यावरण संरक्षण हमारे जीवन में है और सिर्फ भारतीय संस्कृति में है, बाकी किसी देश और सभ्यता में कुदरत के प्रति इतना लगाव नहीं है.
जयराम ने कहा, "ये साल इंदिरा गांधी का जन्म शताब्दी वर्ष है और मेरी ये किताब इसी उपलक्ष में है."
पर्यावरण के लिए बेहद संवेदनशील थीं इंदिरा
उन्होंने कहा, "हम इंदिरा को या तो दुर्गा के रूप में जानते हैं और या फिर इमर्जेसी के लिए याद करते हैं, मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि इंदिरा पर्यावरण के प्रति भी बहुत संवेदनशील थीं. मेरी ये किताब कुदरत के प्रति उनके लगाव को उजागर करती है."
जयराम ने कहा, "साल 2009 से लेकर 2011 के 26 महीने मैं पर्यावरण मंत्री पद पर रहा. इस दौरान पुराने पत्र देखने के बाद मुझे पता चला कि इंदिरा गांधी कुदरत के प्रति काफी संवेदनशील थीं. 1925 से 1940 के बीच इंदिरा ने अपने पिता पंडित नेहरू को लगभग 250 पत्र लिखे थे और इन पत्रों में ज्यादातर उन्होंने पेड़, पक्षी, नदी, जंगल वगैरह का जिक्र किया है."
दो बार रही इंदिरा से असहमति: रमेश
उन्होंने आगे बताया कि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के रूप में 16 सालों के अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्रियों से पर्यावरण संरक्षण के लिए लड़ती रहीं. यह बात दस्तवेजों से पता चलता है. उत्तरखंड के चिपको आंदोलन का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा था और टिहरी बांध परियोजना को उन्होंने पांच सालों तक रोका था. यह परियोजना उनकी शहादत के बाद शुरू हुई थी.
एक सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने कहा कि वो इंदिरा के दो फैसलों से असहमत थे- एक, मथुरा रिफाइनरी और दूसरा, ओडिशा में चिल्का झील पर नेवी ट्रेनिंग सेंटर बनाने को मंजूरी.
(इनपुट:IANS)
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