राजस्थान बीजेपी के नेता और शिव से विधायक मानवेंद्र सिंह के कांग्रेस ज्वाइन करने की खबरें तेज हो गई हैं. मानवेंद्र वाजपेयी सरकार में रक्षामंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रहे जसवंत सिंह के बेटे हैं.
मानवेंद्र सिंह 22 सितंबर को बाड़मेर के पचपदरा में ''स्वाभिमान रैली'' भी निकाल रहे हैं. इसमें उनके समर्थक और राजपूत समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या मौजूद रहने की आशा जताई जा रही है.
2014 में जसवंत सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद से ही मानवेंद्र लूपलाइन में चल रहे हैं. मानवेंद्र ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट कर्नल सोनाराम चौधरी के पक्ष में अपने पिता के खिलाफ प्रचार करने से मना कर दिया था. मुबंई मिरर की रिपोर्ट में रैली पर मानवेंद्र ने कहा,
सभा में वे सभी लोग मौजूद रहेंगे, जिन्होंने मेरे पिता के आखिरी चुनाव में उनका साथ दिया था. इसमें मेरे सभी साथी भी मौजूद होंगे. सभा में मेरे भविष्य पर जो भी जनसहमति बनेगी, मैं उसके साथ जाऊंगा. यह एक लोकतांत्रिक आवाज होगी.मुंबई मिरर से मानवेंद्र सिंह, विधायक, शिव
2014 चुनाव के बाद मानवेंद्र को बीजेपी की नेशनल एक्जीक्यूटिव से बाहर करने के बाद पार्टी से भी निकाल दिया गया था. हांलांकि मानवेंद्र को अधिकारिक तौर पर लेटर नहीं दिया गया. इसके चलते वे अभी भी बीजेपी के सदस्य बने हुए हैं. मानवेंद्र विधानसभा चुनाव से आगे लोकसभा पर ध्यान लगाए हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मानवेंद्र सिंह और उनके परिवार के रिश्ते सीएम वसुंधरा राजे से भी ठीक नहीं चल रहे हैं.
बीजेपी ने मेरे पति को दो बार धोखा दिया: शीतल कंवर
जसवंत सिंह की पत्नी शीतल कंवर बीजेपी से बेहद खफा हैं. उनका कहना है कि उनके पति जिस पार्टी के फाउंडर मेंबर में से एक थे, उसने उनसे दो बार धोखा किया है. उनका इशारा जसवंत सिंह की किताब वाले प्रकरण और 2014 लोकसभा चुनावों की ओर था. जसवंत सिंह ने पार्टिशन पर एक किताब लिखी थी. उन पर इसमें जिन्ना की तारीफ करने का आरोप लगा था.
जब किताब आई तो किसी ने उसे नहीं पढ़ा. लेकिन उन्हें तुरंत पार्टी से निकाल दिया. मुझे याद है किसी ने उन्हें बताया तक नहीं था. मुझे खुद उन्हें बताना पड़ा था. दो साल बाद वो लोग उन्हें मनाने वापस आए. मैंने उन्हें चेताया था कि इन लोगों पर विश्वास नहीं किया जा सकता. टिकट देने का वायदा करने के बावजूद उन्हें उनके आखिरी चुनाव में लोकसभा टिकट नहीं दिया गया.शीतल कंवर, जसवंत सिंह की पत्नी
कद्दावर नेता रहे हैं जसवंत सिंह
सेना में अफसर रहे जसवंत सिंह ने 1960 के दशक के आखिरी सालों में पॉलिटिक्स ज्वाइन किया था. वे बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से थे. बीजेपी के कद्दावर नेता रहे भैरोसिंह शेखावत उनके पॉलिटिकल मेंटर थे. वे 4 बार लोकसभा और 5 बार राज्यसभा सांसद रहे.
2014 में बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद जसवंत सिंह ने निर्दलीय ही मोर्चा लड़ा. मोदी लहर के बावजूद वे 4 लाख से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहे थे.
जसवंत सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे. 13 दिन की सरकार में वे वित्तमंत्री बने. 2 साल बाद जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उन्हें विदेश मंत्रालय का जिम्मा मिला. विदेश मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल बेहद अहम रहा था. परमाणु परीक्षण के बाद उन्होंने अमेरिका के साथ संबंध बेहतर करने और प्रतिबंधों से उबरने में बड़ी भूमिका निभाई थी. 2004 में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बने.
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