यूपी के जौनपुर (Jaunpur) में मुकाबला रोमांचक और त्रिकोणीय हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जौनपुर प्रत्याशी के अधिकारिक ऐलान के बाद बाहुबली माफिया और पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने साफ कर दिया था कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. लेकिन इसी बीच अपहरण और रंगदारी के एक पुराने मामले में एमपी एमएलए कोर्ट में धनंजय सिंह को 7 साल की सजा हो गई. बीजेपी और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से टिकट की जुगत में लगे पूर्व सांसद धनंजय सिंह अब जेल के सलाखों के पीछे हैं.
जब सबको लग रहा था कि जौनपुर में बीजेपी का सीधा मुकाबला एसपी से होगा तो धनंजय सिंह कैंप ने एक बार फिर एंट्री मारी है. कहीं बीजेपी तो कहीं एसपी का खेल बिगाड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने जौनपुर से धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट देकर त्रिकोणीय मुकाबले की नींव डाल दी है.
श्रीकला पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं और वह इस समय जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म था. श्रीकला सिंह के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने के आसार दिख रहे थे लेकिन अब बीएसपी से टिकट मिलने के उनकी दावेदारी मजबूत होती दिख रही है.
बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है बीएसपी
जौनपुर लोकसभा सीट पर तकरीबन ढाई लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या तकरीबन 2 लाख है. क्षत्रिय और ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर जातीय समीकरण के हिसाब से बीजेपी का पलड़ा भारी दिखता है. लेकिन यहां पर बड़ी तादाद में मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति के वोटर भी हैं, जिससे बीजेपी को एसपी और बीएसपी से कड़ी टक्कर मिलती है.
अगर बीएसपी से श्रीकला सिंह के उम्मीदवारी की बात करें तो उनका अपने पति धनंजय सिंह की तरह कोई बड़ा राजनीतिक कद नहीं है लेकिन विशेषज्ञों की माने तो धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद सहानुभूति के रूप में क्षत्रिय वोटरों का एक बड़ा तबका श्रीकला सिंह की दावेदारी का समर्थन कर सकता है.
जौनपुर सीट पर 2 लाख 20 हजार से ज्यादा हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर और तकरीबन 2 लाख 30 हजार अनुसूचित जाति के वोटर हैं. बीएसपी के सक्रिय होने से अगर इस सीट पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता है तो स्थिति में श्रीकला सिंह की उम्मीदवारी और मजबूत होगी.
इस नए समीकरण से कहीं ना कहीं बीजेपी का नुकसान होता दिख रहा है. बीएसपी उम्मीदवार श्रीकला सिंह अगर ऊंची जाति के वोटरों खासकर क्षत्रियों में सेंध लगाने में सफल रहती हैं तो 2019 की तरह एक बार फिर यह सीट बीजेपी के हाथ से फिसल सकती है.
हर चुनाव में बदला समीकरण
2009 लोकसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में धनंजय सिंह को 3,02,618 वोट मिले थे.
5 साल बाद 2014 कि मोदी लहर में जौनपुर के समीकरण बदल गए और बीजेपी के कृष्ण प्रताप ने 3,67,149 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में निर्दलीय लड़े धनंजय सिंह को सिर्फ 64,137 वोट मिले.
2019 में समीकरण में एक बार फिर परिवर्तन हुआ और एसपी-बीएसपी गठबंधन प्रत्याशी श्याम सिंह यादव ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में यादव मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोटरों के एकतरफा समर्थन का फायदा यह हुआ कि श्याम सिंह यादव का वोट शेयर 50% से ज्यादा रहा.
2024 में एक बार फिर समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं. जेल में रहते हुए भी माफिया धनंजय सिंह चुनावी गणित में शामिल हैं. माफिया की छवि वाले धनंजय सिंह की जौनपुर में "रॉबिन हुड" वाली इमेज है और शायद यही कारण है कि उनके जेल जाने से उनके समर्थकों और चाहने वालों में खासी नराजगी है.
यह नाराजगी अगर सहानुभूति और फिर वोटों में तब्दील होती है तो श्रीकला सिंह सारे समीकरण को उलट कर रख देंगी. धनंजय सिंह के जेल जाने के श्रीकला राजनीति में पहले से ज्यादा सक्रिय दिख रही हैं. चाहे वह डोर टू डोर कैंपेन हो, रोड शो हो या फिर सभा, श्रीकला क्षेत्र में लोगों के बीच पहुंच कर लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं.
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