कर्नाटक में एक बार फिर सियासी घमासान तेज हो चुका है. अब पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कहा है कि कर्नाटक में कभी भी चुनाव हो सकते हैं. देवगौड़ा ने कांग्रेस के व्यवहार पर भी सवाल उठाए और कहा कि, कांग्रेस ने कहा था कि पांच साल तक वो हमारा साथ देगी. लेकिन अब लोग उनका व्यवहार देख रहे हैं.
हालांकि अपने इस बयान पर बवाल मचने के बाद देवगौड़ा ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि मैंने ये बयान निकाय चुनाव के लिए दिया था.
मिड-टर्म में चुनाव की बात
जहां अभी तक बीजेपी नेता कर्नाटक में मिड-टर्म (मध्यावधि) चुनाव की बात कर रहे थे और सरकार के गिरने का दावा कर रहे थे, वहीं अब कांग्रेस की सहयोगी पार्टी जेडीएस ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है. जेडीएस प्रमुख देवगौड़ा ने कहा, इसमें कोई भी शक नहीं है कि राज्य में मिड-टर्म चुनाव होंगे.
अपने बयान से पलटे देवगौड़ा
जेडीएस प्रमुख देवगौड़ा ने अपने बयान से पलटते हुए कहा, ‘मैंने ये बयान लोकल बॉडी इलेक्शन के लिए दिया था न कि विधानसभा चुनाव के लिए. जैसा एचडी कुमारस्वामी ने कहा है सरकार अगले 5 साल तक चलेगी. जेडीएस और कांग्रेस के बीच ये समझौता हुआ है.’
कर्नाटक में कांग्रेस लगातार बीजेपी पर सरकार गिराने की कोशिशों का आरोप लगाती आई है. लेकिन हाल ही में कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि उन्होंने अपने विधायकों को सराकर को अस्थिर करने की किसी भी एक्टिविटी में नहीं होने की चेतावनी दी है
कांग्रेस बोली, अभी नहीं चाहते चुनाव
कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश प्रमुख दिनेश गुंडू राव ने कहा कि मुझे नहीं पता देवगौड़ा जी ने ऐसा बयान क्यों दिया. उन्हें इस पर सफाई देनी चाहिए. गठबंधन में दोनों पार्टियों को समझौता करना पड़ता है. हम नहीं चाहते हैं कि मिड-टर्म इलेक्शन हों. हम एक स्थिर सरकार चाहते हैं. इस बारे में सीएम से सभी तरह की बातचीत हो चुकी है. इसके बाद भी देवगौड़ा ने ऐसा क्यों कहा पता नहीं. हम एकजुट रहेंगे और हमने गठबंधन के खिलाफ बोलने वाले विधायक पर भी कार्रवाई की.
बीजेपी नेता सदानंद गौड़ा ने भी हाल ही में सरकार गिरने पर विकल्प तलाशने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, ‘हम राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं, हम इस सरकार को गिराने के लिए कोई प्रयास नहीं करेंगे. लेकिन अगर सरकार अपने आप गिरती है तो हम जिम्मेदार नहीं हैं. सरकार गिरती है तो एक पार्टी के रूप में, सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि विकल्प की तलाश करें. उसी राजनीतिक विचार से हम काम करते हैं.’
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