ADVERTISEMENTREMOVE AD

Jharkhand के सियासी ड्रामे में क्लाइमेक्स के बाद क्लाइमेक्स, BJP शांत-JMM सावधान

JMM-Congress के विधायकों को Jharkhand CM हेमंत सोरेन रिजॉर्ट लेकर गए, दिन भर वहां रखने के बाद रांची ले आए

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

नाच नचइया ता ता थइया. सियासी रंगमंच पर नेताओं का स्वांग जारी है और वोटर फ्रंट सीट पर निढाल देख रहा है, जैसे वो कह रहा हो कि मैंने ऐसी फिल्म के लिए तो वोट नहीं दिया है. ऐसा लगता है वो न एक्टर है और निर्देशक तो है ही नहीं. विधायकों की खींचम खांच चल रही है और बसों में बंद है 'बेबस लोकतंत्र'. अभी महाराष्ट्र का ड्रामा खत्म भी नहीं हुआ था कि झारखंड (Jharkhand) में लगता है उसी का पार्ट-2 शुरू हो गया है. और झारखंड का सियासी ड्रामा ऐसा है कि जब लगता है कि अब कुछ होकर रहेगा तो फिर मामला ठंडा पड़ जाता है. जब लगता है कि मामला शांत हो गया है तो फिर गर्म हो जाता है. पिछले दो दिन से यही हो रहा है. शनिवार को दिन भर गहमागहमी रही, लेकिन नतीजा निल बट्टे सन्नाटा.

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में फंसे हेमंत सोरेन की किस्मत का फैसला राज्यपाल को करना है और पूरा देश इसपर निगाहें टिकाए हुए है. सूत्रों वाले पत्रकार खबर चला चलाकर थक चुके कि चुनाव आयोग ने राज्यपाल को अपनी राय भेज दी है. और उसमें लिखा है कि सोरेन की विधायकी खत्म कर दी जाए. लेकिन, राज्यपाल हैं कि आधिकारिक रूप से सामने आते ही नहीं. इस अफरातफरी में कहीं बीजेपी बाजी न मार दे, इसलिए सोरेन सतर्क हैं.

शनिवार सुबह झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायक उनके आवास पर जमा हुए. जमा क्या हुए बोरिया बिस्तर समेट कर आ गए. लोग अपना सामान लेकर आए थे. पत्रकारों का माथा ठनका. उधर, बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर पर छौंक लगाई कि ये छत्तीसगढ़ निकल रहे हैं. लेकिन, पिछले दो दिन कई बार अपने को गलत साबित कर चुके निशिकांत दुबे ने अपने को फिर ट्विटर पर हिट विकेट कराया.

सीएम आवास से विधायक निकले तीन बसों में. किसी ने कहा कि रायपुर जा रहे थे. लेकिन, ड्राइवर ने जिधर स्टेयरिंग घुमाई वो रायपुर की तरफ नहीं थी. फिर पक्का हुआ कि ये तो झारखंड में ही खूंटी के लतरातू डैम के पास बने रिजॉर्ट जा रहे हैं. पत्रकारों ने आंख गड़ाईं तो दिखा बस की एक खिड़की से सोरेन का चेहरा झलक रहा है. यानी की बीजेपी कहीं कोई विधायक न झटक ले इसलिए सोरेन ने खुद कमान संभाली.

हेमंत सोरेन ने दिन भर विधायकों की पिकनिक कराई. डैम पर बोट में सैर कराई और शाम होते-होते फिर रांची लेकर लौट आए. शाम को दिल्ली से कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी पहुंचे. पांडे सोरेन से बात करेंगे, अपने विधायकों से बात करेंगे.

JMM-Congress के विधायकों को Jharkhand CM हेमंत सोरेन रिजॉर्ट लेकर गए, दिन भर वहां रखने के बाद रांची ले आए
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दूसरे खेमे में क्या हो रहा था?

शांति, संयम, गिरिडीह में प्रदेश बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक शुरू हो गई. अकेले निशिकांत दुबे ट्विटर पर डटे रहे. सोरेन पर हमले करते रहे, लेकिन ये ऐसी मिसाइलें साबित हुईं जिसमें कोई पेलोड नहीं था. बैठक में सारे बीजेपी विधायकों के फोन बंद करवा दिए गए. अगर हेमंत सोरेन को कोई आशंका थी तो बीजेपी की तरफ से कोई 'ऑपरेशन लोटस' नहीं चलाया गया. कम से कम शनिवार को तो नहीं. आप यूं भी कह सकते हैं कि ये ऑपरेशन के बाद की शांति थी. वो ऑपरेशन जो सोरेन ने ममता के साथ मिलकर कथित ऑपरेशन लोटस के खिलाफ चलाया था.

आपको याद होगा कि कांग्रेस के तीन विधायक कुछ दिन पहले बंगाल में कैश के साथ पकड़े गए थे. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये बीजेपी के साथ मिलकर सोरेन की सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे. लेकिन उसके बाद क्या हुआ, ये भी सोचिए. गिरफ्तारी के बाद तीनों विधायक जमानत पर रिहा हो गए. रिहा ही नहीं हुए, ये कांग्रेस की बैठक में शामिल हुए. अंदरखाने की खबर है कि इन तीनों ने सोरेन एंड कंपनी को पूरी कहानी कह दी है. साजिश क्या थी, कौन लोग शामिल थे? कहा जा रहा है कि सोरेन+ममता बनर्जी के ज्वाइंट ऑपरेशन से 'ऑपरेशन कमल' जहां का तहां अटक गया. और इनाम स्वरूप इन तीनों विधायकों को भी माफ कर दिया गया है.

लेकिन कहते हैं ना कि दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र तक जो हुआ उससे सोरेन कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. इसलिए शनिवार को उन्होंने सुपर सैटरडे बना डाला. वो लगातार आरोप लगा रहे हैं कि 'गोदी मीडिया' ऐसी-वैसी खबरें उड़ाता रहता है तो उन्होंने ऐसा कुछ न हो इसलिए उन्होंने शनिवार को ऐसे रिपोर्टरों को खूब रोमांच और सुर्खियां दीं. बस इस बार नैरेटिव अपने हाथ में रखा.
JMM-Congress के विधायकों को Jharkhand CM हेमंत सोरेन रिजॉर्ट लेकर गए, दिन भर वहां रखने के बाद रांची ले आए
ADVERTISEMENTREMOVE AD

तीन मसले और थे. इनके नाम हैं

  • सोरेन की भाभी और JMM विधायक सीता सोरेन

  • लिट्टी पाड़ा से विधायक JMM विधायक साइमन मरांडी

  • उनके अपने भाई और विधायक बसंत सोरेन

ये तीनों पिछले एक डेढ़ साल से सोरेन के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. सीता और उनकी बेटियों ने तो पिछले साल 'दुर्गा सोरेन सेना पार्टी' तक बना डाली थी. डैम की सैर में ये तीनों भी तमाम जेएमएम विधायकों के साथ नजर आए. संदेश साफ था कोई खफा नहीं है, कोई दिक्कत नहीं है.

हालांकि जेएमएम गठबंधन में आत्मविश्वास की बड़ी वजह ये है कि राज्य विधानसभा में 81 सीटें हैं और उनक पास 49 का सीधा समर्थन हैं. एनसीपी, सीपीआईएमएल और एनसीपी भी उन्हें ही समर्थन देती हैं. बीजेपी+ के पास महज 28 विधायक हैं. यानी उसे अगर सोरेन सरकार को गिराना है तो 13 विधायक तोड़ने होंगे. जो कि अभी दूर की कौड़ी लग रही है.

अब पटकथा का अगला हिस्सा राजभवन से लिखा जाना है. देखिए झारखंड की सियासी फिल्म क्या टर्न लेती है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×