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BJP के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार करने हैं चुनौतियों के ये पहाड़

साल 1978 में शुरू हुआ था जेपी नड्डा का पॉलिटिकल करियर

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जगत प्रकाश नड्डा को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का अध्यक्ष चुन लिया गया है. वह BJP के उन नेताओं में शुमार हैं, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गहरा नाता रहा है.

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राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में नड्डा साल 2010 से सक्रिय हैं, जब उन्हें उस समय के BJP अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपनी नई टीम में शामिल किया था. उस वक्त उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के तहत उतरी थीं, तो वहां BJP की राह काफी मुश्किल मानी जा रही थी. हालांकि BJP तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाते हुए राज्य की 80 में से 62 सीटें जीतने में सफल रही. BJP के इस प्रदर्शन में जेपी नड्डा की अहम भूमिका मानी जाती है.

2 दिसंबर 1960 को जन्मे नड्डा ने अपनी ग्रेजुएशन पटना से पूरी की थी. नड्डा के पिता नारायण लाल पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे थे. नड्डा ने शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से LL.B. की डिग्री भी ली थी. इसके अलावा उनके पास राजनीतिक विज्ञान में पोस्टग्रेजुएट डिग्री भी है.

साल 1978 में शुरू हुआ था पॉलिटिकल करियर

जेपी नड्डा का पॉलिटिकल करियर साल 1978 में RSS की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के एक छात्र नेता के तौर पर शुरू हुआ था. इसके बाद उन्होंने BJP से जुड़े भारतीय युवा मोर्चा में काम किया था.

नड्डा की पत्नी मल्लिका नड्डा भी ABVP से जुड़ी हुई थीं और उन्होंने साल 1988 से 1999 तक इसकी राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर काम किया था.

नड्डा ने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 1993 में हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर (सदर) सीट से जीता था. साल 1998 में भी वह इसी सीट से चुनाव जीते और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बने. 

हालांकि साल 2003 में उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2007 के विधानसभा चुनाव में नड्डा को एक बार फिर सफलता हाथ लगी और उन्हें राज्य का फॉरेस्ट मिनिस्टर बनाया गया.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश की BJP सरकार (2007-2012) में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ मतभेदों के बीच साल 2010 में नड्डा को फॉरेस्ट मिनिस्टर के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

हालांकि उसी साल से वह BJP की राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में इस तरह सक्रिय हुए कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में BJP की सरकार बनी तो नड्डा को भी केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया. जेपी नड्डा दो बार (2012 और 2018) राज्यसभा में सदस्य के तौर पर चुने गए हैं.

BJP अध्यक्ष के तौर पर आसान नहीं नड्डा की राह

BJP के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के बाद पार्टी के अध्यक्ष बने जेपी नड्डा की आगे की राह आसान नहीं दिखती. दरअसल साल 2014 से जो BJP तेजी से साथ देश के राजनीतिक नक्शे पर उभरी थी, अब उसी पार्टी के हाथों से कई राज्यों की सत्ता निकल चुकी है.

पिछले कुछ समय में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड की सत्ता बीजेपी ने गंवाई है. नड्डा के हाथ में BJP की कमान दिल्ली विधानसभा चुनावों की वोटिंग से ठीक पहले आई है. दिल्ली के बाद बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने हैं.

फिलहाल केंद्र में सत्तारूढ़ BJP नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर-2020 (NPR) जैसे मुद्दों पर विपक्ष से लेकर कई यूनिवर्सिटीज के छात्रों तक के विरोध का सामना कर रही है. विपक्ष आर्थिक मंदी और बेरोजगारी को लेकर भी BJP पर लगातार हमलावर है.

ऐसे में भविष्य में नड्डा के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि वह BJP को हालिया चुनावी झटकों से उबारकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ाएं.

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