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लोकसभा की 4 सीटों पर उपचुनाव, जानें क्या कहते हैं पिछले ट्रेंड 

चारों लोकसभा सीटों के लिए 28 मई को होगी वोटिंग 

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चुनाव आयोग ने यूपी में कैराना समेत चार लोकसभा सीटों पर 28 मई को उपचुनाव कराने की घोषणा की है. कैराना के अलावा महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया, पालघर और नगालैंड लोकसभा सीट पर एकसाथ उप-चुनाव कराया जाएगा.

उपचुनाव से पहले ये जानना जरूरी है कि इन चारों सीटों पर पिछले 5 लोकसभा चुनावों में किस पार्टी का कैसा प्रदर्शन रहा. साथ ही इन सीटों का जातीय समीकरण क्या कहता है?

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उत्तर प्रदेशः कैराना लोकसभा सीट उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी.

कैराना लोकसभा क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों का समीकरण

कैराना लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से तीन विधानसभा सीटें शामली जिले में आती हैं, जबकि दो सीटें सहारनपुर में. मौजूदा समय में इन पांच विधानसभा सीटों में चार बीजेपी के पास हैं, जबकि कैराना विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के पास है. इन 5 सीटों पर बीजेपी को 2017 में 4 लाख 33 हजार और बीएसपी को 2 लाख 8 हजार वोट मिले थे. एसपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि दो सीटें कांग्रेस को दे दी थीं. एसपी को तीन सीटों पर कुल 1 लाख 6 हजार वोट मिले थे.

विधानसभा चुनाव 2017 में बीएसपी को करीब दो लाख और एसपी को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में अगर एसपी-बीएसपी मिलकर चुनाव में उतरती हैं, तो बीजेपी को इस सीट पर मुश्किल हो सकती है.

चुनाव आयोग ने पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल 883 मतदान केंद्र बनाए हैं. इस उपचुनाव में 7.36 लाख महिलाओं समेत करीब 16 लाख वोटर अपने वोट के हक का इस्तेमाल करेंगे.

कैराना का जातीय समीकरण

कैराना लोकसभा सीट में करीब 16 लाख वोटर हैं. कैराना में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. लेकिन फिर भी इस सीट को गुर्जर बहुल सीट माना जाता है.

साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के हुकुम सिंह के खिलाफ दो मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के चलते हुए वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा हुकुम सिंह को मिला और दोनों मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव हार गए.

महाराष्ट्रः पालघर लोकसभा सीट उपचुनाव

महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट बीजेपी सांसद चिंतामन वनगा के निधन के बाद खाली हुई है. पालघर लोकसभा क्षेत्र पहले डहाणू लोकसभा सीट के तहत आता था, जबकि वसई-विरार का क्षेत्र उत्तर मुंबई लोकसभा का हिस्सा था. डीलिमिटेशन के बाद साल 2009 में ही पालघर संसदीय सीट बनी.

तब से लेकर अब तक इस सीट पर दो बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. 2009 में हुए चुनाव में बहुजन विकास आघाडी (बीवीए) के जाधव बलिराम ने 30.47 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी.

साल 2014 में हुए चुनाव में इस सीट से बीजेपी के चिंतामन वनगा ने जीत हासिल की. उन्हें 53.70 फीसदी वोट मिले.

पालघर आदिवासी बहुल लोकसभा सीट है. इस क्षेत्र में हिंदी भाषी वोटरों की आबादी भी अच्छी खासी है. इसके बाद गुजराती,आदिवासी और पानमाली वोटरों का नंबर आता है.

पालघर लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से दो सीटें बीजेपी के पास हैं, जबकि तीन बहुजन विकास आघाडी और एक सीट शिवसेना के पास है.

शिवसेना ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने से इनकार कर दिया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी इस सीट पर अपनी वापसी कर सकती है.

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महाराष्ट्रः भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट उपचुनाव

महाराष्ट्र की भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट बीजेपी सांसद नाना पटोले के संसद सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी. नाना पटोले पिछले साल बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट 2008 में बनी थी. इसके बाद साल 2009 में इस सीट पर पहली बार हुए आम चुनावों में एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने 47.52 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. वहीं इस चुनाव में नानाभाऊ पटोले ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. नानाभाऊ 23.08 फीसदी वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे थे. बाद में साल 2014 में हुए चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस चुनाव में नानाभाऊ ने जीत हासिल की. हालांकि, कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए.

शिवसेना ने इस सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारने से इनकार कर दिया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी इस सीट पर अपनी वापसी कर सकती है.

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नगालैंड लोकसभा सीट उपचुनाव

नगालैंड लोकसभा सीट से सांसद नेफ्यू रियो ने नगालैंड का मुख्यमंत्री बनने पर संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जिसके चलते यह सीट खाली हो गई.

इस सीट पर असली मुकाबला कांग्रेस और नगालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के बीच ही रहता है. पिछले तीन बार से यहां एनपीएफ जीतती आ रही है. इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था.

साल 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने 86.70 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 1999 के चुनाव में भी कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. हालांकि, इस बार कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटकर 71.18 रह गया.

साल 2004 के चुनावों में उतरी नगालैंड पीपुल्स फ्रंट ने कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया. तब से लेकर अब तक इस सीट पर एनपीएफ का ही कब्जा है.

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क्या है उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग का प्लान?

चुनाव आयोग के घोषित कार्यक्रम के मुताबिक, इन चारों लोकसभा सीटों पर 28 मई को वोटिंग होगी. इसके बाद 31 मई को वोटों की गिनती होगी और फिर विजेता का ऐलान कर दिया जाएगा.

चुनाव के लिये अधिसूचना तीन मई को जारी की जाएगी और 10 मई तक पर्चा दाखिल किया जा सकेगा. नामांकन पत्रों की जांच अगले दिन 11 मई को होगी, जबकि नाम वापसी की आखिरी तारीख 14 मई तय की गई है.

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