बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि पिछले साल 23 फरवरी को उन्होंने दिल्ली में जो किया, उसका उन्हें कोई अफसोस नहीं है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
मिश्रा ने पिछले साल नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA)-समर्थक रैली का नेतृत्व किया था और पुलिस को चेतावनी थी कि अगर CAA-विरोधी प्रदर्शनकारियों को इलाके से नहीं हटाया गया तो वे सड़कों पर उतरेंगे. इसके अगले दिन इस इलाके में दंगे भड़क गए थे, जिसमें 53 लोगों की जान चली गई थी.
सोमवार को मिश्रा ने कहा, ‘’एक साल हो गया है, इसलिए ये बात दोबारा बोलना चाहता हूं...फरवरी 23 पिछले साल जो किया, अगर जरूरत पड़े तो दोबारा कर लूंगा.’’ उन्होंने कहा, ‘’मुझे कोई अफसोस नहीं है, सिवाय इस तथ्य के कि हम इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा और कॉन्स्टेबल रतन लाल को नहीं बचा सके.’’
मिश्रा ने कहा, ''एक साल हो चुका है, जब जिहादी ताकतों ने दिल्ली में दंगों को अंजाम दिया था. बिल्कुल वैसा ही पैटर्न अब भी देखा जा रहा है, जैसा कि गणतंत्र दिवस पर हुआ था...प्रदर्शन से दंगा तक मॉडल काफी हद तक साफ है.''
मिश्रा के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज होने के बावजूद, दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2020 में, दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया था, जिसमें दावा किया गया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि कपिल मिश्रा और, अनुराग ठाकुर और प्रवीण वर्मा जैसे बाकी बीजेपी नेताओं की नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के दंगे भड़काने में कोई भूमिका थी.
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