कर्नाटक में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बीजेपी विधायकों में असहमति बढ़ती ही जा रही है, जिससे परेशान कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि अगर विधायकों को कोई आपत्ति है तो वे दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नेताओं से मिल सकते हैं. इस बयान से जाहिर होता है येदियुरप्पा को भरोसा है कि उन्हें हाईकमान का समर्थन है.
बीजेपी हाईकमान ने चार महीने की देरी के बाद येदियुरप्पा को मंत्रिमंडल के विस्तार और अपनी पसंद के मंत्रियों को नियुक्त करने की अनुमति दी. शायद यही वजह है कि येदियुरप्पा को भरोसा है कि उनके सीएम पद पर कोई खतरा नहीं है.
हालांकि, विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने आरोप लगाया गया कि कुछ लोगों ने येदियुरप्पा को एक गुप्त सीडी के जरिए ब्लैकमेल किया था और मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव दिल्ली जाकर वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी करने वाले थे.
चार महीने से येदियुरप्पा के खिलाफ साजिश
मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा के कुछ घंटों बाद विधायक यतनाल ने दावा किया था कि कुछ लोगों ने कैबिनेट में शामिल होने के लिए येदियुरप्पा को ब्लैकमेल किया और रिश्वत दी.
यतनाल ने कहा,
“चार महीने पहले तीन लोग एक सीडी लेकर नेलामंगाला के एक गेस्ट हाउस में मुझसे मिलने के लिए आए थे. वे येदियुरप्पा की सरकार गिराना चाहते थे. हालांकि जो चार लोग आए थे उनमें से दो मंत्रिमंडल में शामिल होने में सफल रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा ने जिन लोगों का करियर बनाया, उन्होंने ही उन्हें ब्लैकमेल किया. तीन लोगों में एक सचिव और दो मंत्रियों ने पिछले तीन महीनों से सीडी के जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया. उनमें से एक (जिसे मंत्री बनाया गया) सीएम के बेटे विजयेंद्र को पैसे देते हैं. येदियुरप्पा ने पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया.
येदियुरप्पा के लिए बड़ी मुश्किल क्या है?
यतनाल को येदियुरप्पा के खिलाफ बयान देने के लिए जाना जाता है. उनके अलावा एक दर्जन से अधिक बीजेपी विधायक हैं जो सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की आलोचना करते हैं जो उनके लिए चिंता का कारण है.
करकला से विधायक सुनील कुमार ने ट्वीट किया, “पार्टी के लिए वफादारी, विकास और हिंदुत्व के प्रति निष्ठा मेरा एजेंडा है. मैं दूसरा तरीका नहीं जानता. मैंने जाति की राजनीति का महिमामंडन नहीं किया. पद के लिए किसी को ब्लैकमेल नहीं किया और न ही कभी करूंगा.” अफवाह थी कि तीन बार के करकला से विधायक सुनील कुमार को मंत्रिमंडल विस्तार में पद मिल सकता है.
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव एम पी रेणुकाचार्य ने येदियुरप्पा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य के 40% कैबिनेट मंत्री सिर्फ बेंगलुरु और बेलागवी जिलों से हैं. यानी दो जिलों में ही प्रदेश की सरकार सिमट कर रह गई है.
बोम्मनहल्ली से बीजेपी विधायक सतीश रेड्डी ने ट्वीट कर पूछा,
येदियुरप्पा जी, मंत्रियों के चयन के लिए क्या मापदंड हैं? उन्होंने आगे कहा, क्या आप पार्टी के ईमानदार युवा कार्यकर्ताओं की वफादारी नहीं देख पा रहे हैं? हम एच एन अनंत कुमार जैसे नेता की अनुपस्थिति को महसूस कर रहे हैं. वह हमारी समस्याओं को सुनते थे.
पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्रियों के खिलाफ बोलने वाले विधायकों पर इसका असर पड़ेगा. कुछ का यह भी तर्क है कि येदियुरप्पा के खिलाफ असहमति पैदा करने के लिए आरएसएस ने ही कैबिनेट का विस्तार करवाया.
तो क्या कर्नाटक में बदलेगा येदियुरप्पा नेतृत्व?
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि सीडी ब्लैकमेलिंग और विधायकों की असहमति के बावजूद राज्य में येदियुरप्पा को नेतृत्व को बदलने की संभावना कम ही है.
आरएसएस की कोशिशों के बावजूद कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार की देर से मंजूरी मिली. हालांकि हाईकमान ने येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में अपने पसंद के मंत्रियों की रखने का विकल्प देकर सभी अटकलों पर लगाम लगा दी है.
विधायकों की शिकायतों के बावजूद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह जोर देकर कहते हैं कि नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं था. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राज्य के बजट, कोरोना वैक्सीन टीकाकरण, उप-चुनाव और जिला पंचायत चुनावों के बीच येदियुरप्पा को हटाना संभव नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजेपी के पास अभी भी ऐसा जन नेता नहीं है जो राज्य में येदियुरप्पा की लोकप्रियता की जगह ले सके.
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