उत्तराखंड की तरह कर्नाटक में भी लगातार मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर सवाल उठ रहे हैं. पिछले कई महीनों से बीजेपी विधायक लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ हैं. लेकिन अब कर्नाटक के एक मंत्री सीएम की शिकायत लेकर राज्यपाल के पास पहुंच गए. इस शिकायत में मंत्री ने कहा है कि सीएम येदियुरप्पा ने कई नियमों का उल्लंघन किया है. ये आरोप विभागीय फंड में मनमानी को लेकर लगाए गए हैं.
हस्तक्षेप करने का लगाया आरोप
दरअसल कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने राज्यपाल वजुभाईवाला को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने कहा कि, सीएम येदियुरप्पा बिना मंत्री की सहमति के ही उनके मंत्रालय में हस्तक्षेप कर रहे हैं और फैसले ले रहे हैं.
इतना ही नहीं मंत्री से पहले कर्नाटक बीजेपी के विधायक बसंगौड़ा पाटिल ने एक बड़ा बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले सीएम येदियुरप्पा को सीएम की कुर्सी से हटाना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगला चुनाव लड़ना काफी मुश्किल होगा. पार्टी में ऐसे ही कई विधायक सीएम बदलने को लेकर सहमत हैं.
सीएम येदियुरप्पा को एक दिन में लगातार दो झटके
बता दें कि सीएम येदियुरप्पा को लगने वाला एक ही दिन में लगातार ये दूसरा झटका है. इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी थी.
येदियुरप्पा पर आरोप है कि सरकार बनाने के लिए उन्होंने 2019 में जेडीएस विधायक के बेटे को कथित तौर पर पैसे और मिनिस्ट्री का लालच दिया था. कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा ने इस मामले में फरवरी 2019 में अंतरिम आदेश पर लगी रोक को हटाकर, नया अंतरिम आदेश जारी किया.
इससे पहले भी एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी किए थे. तब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खिलाफ आठ साल पुराने भ्रष्टाचार मामले को दोबारा शुरू करने की इजाजत दी थी. ये मामला 2008-2012 के दौरान का है जब बीजेपी पहली बार सत्ता में थी.
नया नहीं है सीएम का विरोध
बता दें कि बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ कर्नाटक बीजेपी नेताओं का विरोध नया नहीं है. सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बीजेपी विधायक नाराज दिखे. इसके बाद बात यहां तक पहुंच गई थी कि येदियुरप्पा ने कहा था, अगर विधायकों को कोई आपत्ति है तो वो दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नेताओं से मिल सकते हैं. लेकिन अब वो भ्रष्टाचार को लेकर अपने ही नेताओं के निशाने पर हैं. जिसके बाद लगातार यही चर्चा है कि उत्तराखंड की ही तरह कर्नाटक में भी बीजेपी नेतृत्व बदलने का फैसला ले सकती है.
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