कर्नाटक से शुरू हुआ बवाल मुंबई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और इसे 16 जुलाई तक के लिए टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहे.
बागी विधायकों के इस्तीफे को लेकर विधानसभा स्पीकर पर लगातार दबाव बन रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई टलने के बाद कर्नाटक सरकार और स्पीकर को वक्त मिल गया. जिसके बाद अब स्पीकर विधायकों के इस्तीफों पर अपने फैसले की जानकारी देंगे.
बागी विधायकों ने लगाया आरोप
अपने इस्तीफों को लेकर बेसब्र बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उनकी तरफ से कहा गया था कि विधानसभा स्पीकर उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं और जानबूझकर मामले को खींच रहे हैं. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को स्पीकर से मिलकर इस्तीफे सौंपने को कहा, वहीं स्पीकर को भी तुरंत इस पर फैसला लेने के आदेश जारी किए. दूसरी सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों की तरफ से दलीलें रखी गईं.
कर्नाटक के बागी विधायकों की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था,
विधानसभा स्पीकर लगातार अलग-अलग बयान दे रहे हैं. स्पीकर विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने की बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. कोर्ट के आदेश के बावजूद भी स्पीकर ने फैसला नहीं लिया, इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए. सिर्फ एक लाइन में इस्तीफे लिखे गए थे, फिर भी पढ़ने में वक्त कैसे लग सकता है?एडवोकेट मुकुल रोहतगी
कोर्ट को बताए थे स्पीकर के अधिकार
पिछली सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार के वकील राजीव धवन और स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के सामने कई दलीलें रखीं. दोनों ने कोर्ट को बताया कि स्पीकर के पास सोच-समझकर फैसला लेने के अधिकार हैं. इस दौरान सिंघवी ने कहा था,
स्पीकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. उनको अधिकार है कि वो अपना समय लेकर फैसला लें. स्पीकर ने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेंगे. स्पीकर को ये देखने का अधिकार है कि विधायकों ने सही तरीके से इस्तीफा दिया है या नहीं.अभिषेक मनु सिंघवी
वहीं कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी की तरफ से पैरवी कर रहे वकील राजीव धवन ने कोर्ट में किहोतो होलोहन केस का जिक्र करते हुए कहा कि, कोर्ट सिर्फ स्पीकर के फैसले के बाद इसका रिव्यू कर सकता है. लेकिन कोर्ट स्पीकर को फैसला लेने का समय और कैसे काम करना है ये नहीं बता सकता.
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