कर्नाटक के सत्ता के गलियारों में ये साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का समय अब पूरा हो चुका है. यहां तक कि बीजेपी इस मामले में भी स्पष्ट है कि येदियुरप्पा के बेटे 47 वर्षीय बीवाई रघुवेंद्र और 45 वर्षीय बीवाई विजयेंद्र समेत उनके रिश्तेदार अगर मुख्यमंत्री के राजनीतिक प्रभाव की आड़ लेंगे तो राजनीति में उनका कोई भविष्य नहीं होगा.
ये तब है जब बीजेपी की नेशनल लीडरशिप ने आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री का बचाव कर चुका है.
नेशनल लीडर और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी 7 जून को येदियुरप्पा के समर्थन में आने वाले पहले नेता थे. उन्होंने कहा कि राज्य में लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं होगा. कहा जा रहा है कि मई के आखिरी हफ्ते और जून के पहले हफ्ते में कई नेता हाई कमांड से येदियुरप्पा को हटाने की अपील कर चुके हैं.
इस साल मार्च में भी बीजेपी नेताओं ने सीएम के काम पर असंतोष जताया था. विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल हालिया समय में येदियुरप्पा के आलोचक बने हुए हैं. पिछले दो हफ्तों में पर्यटन मंत्री सीपी योगेश्वर कर हुबली-धारवाड़ विधायक अरविंद बेल्लाड़ भी सीएम के खिलाफ बोल चुके हैं.
बीजेपी लीडरशिप में बदलाव को लेकर आश्वस्त
क्विंट से बात करते हुए एक नेशनल लीडर ने कहा, "वो बीजेपी में अकेले नेता हैं जो 75 पार करने के बाद भी किसी ताकतवर पद पर हैं. पार्टी का लक्ष्य उन्हें बिना दिल का दर्द दिए हटाना है." नेता ने कहा कि जब पार्टी 2023 विधानसभा चुनावों में जाएगी तो येदियुरप्पा का प्रभाव नहीं होगा.
नेशनल लीडर ने कहा, "वो तब 80 से ज्यादा होंगे और हमें यंग लीडरशिप को बढ़ावा देना है."
6 जून को येदियुरप्पा ने ऐलान किया कि वो पद छोड़ने और लीडरशिप की तरफ से मिली कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. हालांकि, पार्टी ने एक दिन के अंदर ही कहा कि वो नहीं हटाए जाएंगे.
क्विंट से बातचीत में नेशनल लीडर ने इसकी वजह 'अनुशासन' बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी अनुशासन में विश्वास रखती है और एकदम से येदियुरप्पा की जगह मतभेद रखने वालों का समर्थन कर सकती है.
येदियुरप्पा के खिलाफ जाने वालों को उम्मीद ये है कि मार्च में पार्टी ने उत्तराखंड से त्रिवेंद्र सिंह रावत हो हटाया था.
नेशनल लीडर ने कहा, "विधायकों को हाई कमांड का समर्थन है क्योंकि उनके खिलाफ विरोध जताने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई."
सीएम के बेटों का क्या होगा?
सीएम के बड़े बेटे राघवेंद्र शिवमोगा से बीजेपी सांसद हैं. विजयेंद्र ने अभी चुनावी राजनीति शुरू नहीं की है लेकिन सरकार के काम में दखलंदाजी के सबसे ज्यादा आरोप उन्हीं पर लगते हैं.
विजयेंद्र पर आरोप है कि वो अपने वित्तीय हितों को साधने में लगे रहते हैं.
एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा, “विजयेंद्र अगले चुनाव में डिप्टी सीएम के पद पर नजरें गड़ाए बैठे हैं. लेकिन दखलंदाजी की वजह से उनका पार्टी में नाम अच्छा नहीं है.”
नेता ने कहा कि बीजेपी सीएम के परिवार को पूरी तरह दरकिनार करने की योजना में है. उन्होंने कहा कि पार्टी को उन 16 विधायकों को भी खुश रखना है, जो 2019 में कांग्रेस और जेडीएस से बीजेपी में आए थे.
कई हैं दावेदार
येदियुरप्पा के खिलाफ सामने से यतनाल, बेल्लाड़ और योगेश्वर जैसे लोग बोल रहे हैं, लेकिन परदे के पीछे कई और नेता मन ही मन खुश हो रहे हैं.
राजनीतिक उठापटक पर रेवेन्यू मंत्री आर अशोका और गृह मंत्री बसवराज बोम्मई की भी नजरें हैं. दिलचस्प बात है कि दोनों येदियुरप्पा के लिए समर्थन जता चुके हैं.
एक और नाम इस लिस्ट में काफी ऊपर है. ये बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और चिकमगलूर से चार बार विधायक सीटी रवि हैं. रवि वोक्कालिगा समुदाय से हैं. राज्य में लिंगायत के बाद इसी समुदाय का सबसे ज्यादा दबदबा है. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं.
कर्नाटक में ज्यादातर सीएम इन्हीं दोनों समुदाय से हुए हैं.
दिलचस्प रूप से प्रह्लाद जोशी को खुद सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है. जोशी की दोनों समुदाय में अच्छी पकड़ है. वो धारवाड़ संसद सीट चार बार जीत चुके हैं. ये लिंगायत गढ़ है.
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